पिंडारक: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
m (Adding category Category:गुजरात (को हटा दिया गया हैं।)) |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replacement - " महान " to " महान् ") |
||
(One intermediate revision by the same user not shown) | |||
Line 3: | Line 3: | ||
*इस तीर्थ का [[पुलस्त्य]]-[[भीष्म]], [[गौतम]]-[[आंगिरस]] एवं [[धौम्य]]-[[युधिष्ठिर]] संवाद में उल्लेख आता है। | *इस तीर्थ का [[पुलस्त्य]]-[[भीष्म]], [[गौतम]]-[[आंगिरस]] एवं [[धौम्य]]-[[युधिष्ठिर]] संवाद में उल्लेख आता है। | ||
*पद्म लक्षण मुद्राएँ और पद्म त्रिशूल अंकित चिह्न यहाँ पर आज भी मिल जाते हैं। | *पद्म लक्षण मुद्राएँ और पद्म त्रिशूल अंकित चिह्न यहाँ पर आज भी मिल जाते हैं। | ||
*यहाँ पर [[महादेव]] का | *यहाँ पर [[महादेव]] का सान्निध्य है, और पितृ-पिंड सरोवर में डालने से पानी पर उतराते हैं। | ||
*इसीलिए यह | *इसीलिए यह महान् 'पिंड तारक' (पिंडारक) तीर्थ माना जाने लगा। | ||
*यहाँ स्नान-पितृ स्मरण शुभ फलदायी होता है।<ref>महाभारत, वनपर्व, अध्याय, 80, 86</ref> | *यहाँ स्नान-पितृ स्मरण शुभ फलदायी होता है।<ref>महाभारत, वनपर्व, अध्याय, 80, 86</ref> | ||
Latest revision as of 11:10, 1 August 2017
पिंडारक एक तीर्थ स्थान है, जो प्रभास के निकट 'द्वारवती' (द्वारका) में स्थित है। इसे गुजरात में द्वारका से सोलह मील पूर्व में स्थित बताया गया है।
- इस तीर्थ का पुलस्त्य-भीष्म, गौतम-आंगिरस एवं धौम्य-युधिष्ठिर संवाद में उल्लेख आता है।
- पद्म लक्षण मुद्राएँ और पद्म त्रिशूल अंकित चिह्न यहाँ पर आज भी मिल जाते हैं।
- यहाँ पर महादेव का सान्निध्य है, और पितृ-पिंड सरोवर में डालने से पानी पर उतराते हैं।
- इसीलिए यह महान् 'पिंड तारक' (पिंडारक) तीर्थ माना जाने लगा।
- यहाँ स्नान-पितृ स्मरण शुभ फलदायी होता है।[1]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
भारतीय संस्कृति कोश, भाग-2 |प्रकाशक: यूनिवर्सिटी पब्लिकेशन, नई दिल्ली-110002 |संपादन: प्रोफ़ेसर देवेन्द्र मिश्र |पृष्ठ संख्या: 491 |
- ↑ महाभारत, वनपर्व, अध्याय, 80, 86
संबंधित लेख