जल राशि: Difference between revisions
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#[[पश्चिमी भारत]] में साह्यद्री अथवा पश्चिमी घाट। | #[[पश्चिमी भारत]] में साह्यद्री अथवा पश्चिमी घाट। | ||
हिमालय से निकलने वाली नदियों को यहां के [[ग्लेशियर|ग्लेशियरों]] से [[जल]] प्राप्त होता है। इनकी | हिमालय से निकलने वाली नदियों को यहां के [[ग्लेशियर|ग्लेशियरों]] से [[जल]] प्राप्त होता है। इनकी ख़ास बात यह है कि पूरे [[वर्ष]] इन नदियों में जल रहता है। अन्य दो नदी प्रणालियां पूरी तरह से मानसून पर ही निर्भर है और गर्मी के दौरान छोटी नदियां मात्र बन कर रह जाती हैं। हिमालय से [[पाकिस्तान]] बह कर जाने वाली नदियों में [[सिंधु नदी|सिंधु]], [[व्यास नदी|व्यास]], [[चिनाब नदी|चिनाब]], [[रावी नदी|रावी ]], [[सतलुज नदी|सतलुज]] और [[झेलम नदी|झेलम]] शामिल हैं। | ||
[[गंगा]]-[[ब्रह्मपुत्र]] प्रणाली का जल अपवाह क्षेत्र सबसे ज्यादा 1,100,000 वर्ग किमी है। गंगा का उद्गम स्थल [[उत्तरांचल]] के गंगोत्री ग्लेशियर से है। यह दक्षिण-पूर्व दिशा में बहते हुए [[बंगाल की खाड़ी]] में जाकर गिरती है। ब्रह्मपुत्र नदी का उद्गम स्थल [[तिब्बत]] में है और [[अरुणाचल प्रदेश]] में यह भारत में प्रवेश करती है। यह पश्चिम की ओर बढ़ते हुए [[बांग्लादेश]] में गंगा से मिल जाती है। | [[गंगा]]-[[ब्रह्मपुत्र]] प्रणाली का जल अपवाह क्षेत्र सबसे ज्यादा 1,100,000 वर्ग किमी है। गंगा का उद्गम स्थल [[उत्तरांचल]] के गंगोत्री ग्लेशियर से है। यह दक्षिण-पूर्व दिशा में बहते हुए [[बंगाल की खाड़ी]] में जाकर गिरती है। ब्रह्मपुत्र नदी का उद्गम स्थल [[तिब्बत]] में है और [[अरुणाचल प्रदेश]] में यह भारत में प्रवेश करती है। यह पश्चिम की ओर बढ़ते हुए [[बांग्लादेश]] में गंगा से मिल जाती है। | ||
पश्चिमी घाट दक्कन की सभी नदियों का स्त्रोत है। इसमें [[महानदी]], [[गोदावरी नदी|गोदावर]], [[कृष्णा नदी|कृष्णा]] और [[कावेरी नदी|कावेरी]] नदियां शामिल हैं। ये सभी नदियां बंगाल की खाड़ी में गिरती है। भारत की कुल 20 फीसदी जल अपवाह इन नदियों के द्वारा ही होता है। | पश्चिमी घाट दक्कन की सभी नदियों का स्त्रोत है। इसमें [[महानदी]], [[गोदावरी नदी|गोदावर]], [[कृष्णा नदी|कृष्णा]] और [[कावेरी नदी|कावेरी]] नदियां शामिल हैं। ये सभी नदियां बंगाल की खाड़ी में गिरती है। भारत की कुल 20 फीसदी जल अपवाह इन नदियों के द्वारा ही होता है। | ||
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भारत की मुख्य खाड़ियों में कांबे की खाड़ी, [[कच्छ की खाड़ी]] और [[मन्नार की खाड़ी]] शामिल हैं। जल संधियों में पाल्क जलसंधि है जो भारत और [[श्रीलंका]] को अलग करती है, टेन डिग्री चैनल अंडमान को निकोबार द्वीप समूह से अलग करता है और एट डिग्री चैनल [[लक्षद्वीप]] और अमिनदीवी द्वीपसमूह को मिनिकॉय द्वीप से अलग करता है। | भारत की मुख्य खाड़ियों में कांबे की खाड़ी, [[कच्छ की खाड़ी]] और [[मन्नार की खाड़ी]] शामिल हैं। जल संधियों में पाल्क जलसंधि है जो भारत और [[श्रीलंका]] को अलग करती है, टेन डिग्री चैनल अंडमान को निकोबार द्वीप समूह से अलग करता है और एट डिग्री चैनल [[लक्षद्वीप]] और अमिनदीवी द्वीपसमूह को मिनिकॉय द्वीप से अलग करता है। महत्त्वपूर्ण अंतरीपों में भारत की मुख्य भूमि के धुर दक्षिण भाग में स्थित [[कन्याकुमारी]], इंदिरा प्वाइंट (भारत का धुर दक्षिण हिस्सा), रामा ब्रिज और प्वाइंट कालीमेरे शामिल हैं। [[अरब सागर]] भारत के पश्चिमी किनारे पर पड़ता है, बंगाल की खाड़ी और [[हिंद महासागर]] भारत के क्रमशः पूर्वी और दक्षिणी भाग में स्थित हैं। छोटे सागरों में लक्षद्वीप सागर और निकोबार सागर शामिल हैं। भारत में चार प्रवाल भित्ति क्षेत्र हैं। ये चार क्षेत्र अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह, मन्नार की खाड़ी, लक्षद्वीप और कच्छ की खाड़ी में स्थित हैं। महत्त्वपूर्ण झीलों में [[चिल्का झील]] ([[उड़ीसा]] में स्थित भारत की सबसे बड़ी साल्टवाटर झील), [[आंध्र प्रदेश]] की [[कोलेरू झील]], [[मणिपुर]] की [[लोकटक झील]], [[कश्मीर]] की [[डल झील]], [[राजस्थान]] की [[सांभर झील जयपुर|सांभर झील]] और [[केरल]] की ससथामकोट्टा झील शामिल हैं। | ||
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भारत में लगभग 14,500 किमी आंतरिक नौपरिवहन योग्य जलमार्ग हैं। देश में कुल 12 नदियां ऐसी हैं जिन्हें बड़ी नदियों की श्रेणी में रखा जा सकता है। इन नदियों का कुल अपवाह क्षेत्रफल 2,528,000 वर्ग किमी है।
प्रमुख नदियाँ
भारत की सभी प्रमुख नदियां निम्नलिखित तीन क्षेत्रों से निकलती हैं-
- हिमालय या कराकोरम श्रृंखला।
- मध्य भारत की विंध्य और सतपुरा श्रृंखला।
- पश्चिमी भारत में साह्यद्री अथवा पश्चिमी घाट।
हिमालय से निकलने वाली नदियों को यहां के ग्लेशियरों से जल प्राप्त होता है। इनकी ख़ास बात यह है कि पूरे वर्ष इन नदियों में जल रहता है। अन्य दो नदी प्रणालियां पूरी तरह से मानसून पर ही निर्भर है और गर्मी के दौरान छोटी नदियां मात्र बन कर रह जाती हैं। हिमालय से पाकिस्तान बह कर जाने वाली नदियों में सिंधु, व्यास, चिनाब, रावी , सतलुज और झेलम शामिल हैं। गंगा-ब्रह्मपुत्र प्रणाली का जल अपवाह क्षेत्र सबसे ज्यादा 1,100,000 वर्ग किमी है। गंगा का उद्गम स्थल उत्तरांचल के गंगोत्री ग्लेशियर से है। यह दक्षिण-पूर्व दिशा में बहते हुए बंगाल की खाड़ी में जाकर गिरती है। ब्रह्मपुत्र नदी का उद्गम स्थल तिब्बत में है और अरुणाचल प्रदेश में यह भारत में प्रवेश करती है। यह पश्चिम की ओर बढ़ते हुए बांग्लादेश में गंगा से मिल जाती है। पश्चिमी घाट दक्कन की सभी नदियों का स्त्रोत है। इसमें महानदी, गोदावर, कृष्णा और कावेरी नदियां शामिल हैं। ये सभी नदियां बंगाल की खाड़ी में गिरती है। भारत की कुल 20 फीसदी जल अपवाह इन नदियों के द्वारा ही होता है।
मुख्य खाड़ियाँ
भारत की मुख्य खाड़ियों में कांबे की खाड़ी, कच्छ की खाड़ी और मन्नार की खाड़ी शामिल हैं। जल संधियों में पाल्क जलसंधि है जो भारत और श्रीलंका को अलग करती है, टेन डिग्री चैनल अंडमान को निकोबार द्वीप समूह से अलग करता है और एट डिग्री चैनल लक्षद्वीप और अमिनदीवी द्वीपसमूह को मिनिकॉय द्वीप से अलग करता है। महत्त्वपूर्ण अंतरीपों में भारत की मुख्य भूमि के धुर दक्षिण भाग में स्थित कन्याकुमारी, इंदिरा प्वाइंट (भारत का धुर दक्षिण हिस्सा), रामा ब्रिज और प्वाइंट कालीमेरे शामिल हैं। अरब सागर भारत के पश्चिमी किनारे पर पड़ता है, बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर भारत के क्रमशः पूर्वी और दक्षिणी भाग में स्थित हैं। छोटे सागरों में लक्षद्वीप सागर और निकोबार सागर शामिल हैं। भारत में चार प्रवाल भित्ति क्षेत्र हैं। ये चार क्षेत्र अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह, मन्नार की खाड़ी, लक्षद्वीप और कच्छ की खाड़ी में स्थित हैं। महत्त्वपूर्ण झीलों में चिल्का झील (उड़ीसा में स्थित भारत की सबसे बड़ी साल्टवाटर झील), आंध्र प्रदेश की कोलेरू झील, मणिपुर की लोकटक झील, कश्मीर की डल झील, राजस्थान की सांभर झील और केरल की ससथामकोट्टा झील शामिल हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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