स्थविरवाद निकाय: Difference between revisions
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[[Category:दर्शन कोश]] [[Category:बौद्ध दर्शन]] [[Category:बौद्ध धर्म]] | *'स्थविरवाद' शब्द के अनेक अर्थ होते हैं। स्थविर का अर्थ 'वृद्ध' भी है और 'प्राचीन' भीं। अत: वृद्धों का या प्राचीनों का जो वाद (मार्ग) है, वह 'स्थविरवाद' है। | ||
*'स्थविर' शब्द स्थिरता को भी सूचित करता है। | |||
*विनय-परम्परा के अनुसार जिस भिक्षु के [[उपसंपदा]] के अनन्तर दस [[वर्ष]] बीत गए हों तथा जो विनय के अङ्गों और उपाङ्गों को अच्छा ज्ञाता होता है, वह 'स्थविर' कहलाता है। इसके अलावा वह भी स्थविर कहलाता है, जो स्थविरगोत्रीय होता है अर्थात जिसकी रुचि आदि स्थविरवादी सिद्धान्तों की ओर अधिक प्रवण होते हैं और जो उन सिद्धान्तों का श्रद्धा के साथ व्याख्यान करता है। ऐसे स्थविरों का वाद 'स्थविरवाद' है। | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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Latest revision as of 11:32, 23 July 2014
स्थविरवाद निकाय बौद्ध धर्म के अठारह निकायों में से एक है।
- 'स्थविरवाद' शब्द के अनेक अर्थ होते हैं। स्थविर का अर्थ 'वृद्ध' भी है और 'प्राचीन' भीं। अत: वृद्धों का या प्राचीनों का जो वाद (मार्ग) है, वह 'स्थविरवाद' है।
- 'स्थविर' शब्द स्थिरता को भी सूचित करता है।
- विनय-परम्परा के अनुसार जिस भिक्षु के उपसंपदा के अनन्तर दस वर्ष बीत गए हों तथा जो विनय के अङ्गों और उपाङ्गों को अच्छा ज्ञाता होता है, वह 'स्थविर' कहलाता है। इसके अलावा वह भी स्थविर कहलाता है, जो स्थविरगोत्रीय होता है अर्थात जिसकी रुचि आदि स्थविरवादी सिद्धान्तों की ओर अधिक प्रवण होते हैं और जो उन सिद्धान्तों का श्रद्धा के साथ व्याख्यान करता है। ऐसे स्थविरों का वाद 'स्थविरवाद' है।
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