गुमशुदा की तलाश -अशोक कुमार शुक्ला: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{| style="background:transparent; float:right; margin:5px;" |- | {{सूचना बक्सा साहित्यकार |चि...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
m (Text replacement - "==संबंधित लेख==" to "==संबंधित लेख== {{स्वतंत्र लेख}}")
 
(3 intermediate revisions by 3 users not shown)
Line 1: Line 1:
{{स्वतंत्र लेखन नोट}}
{| style="background:transparent; float:right; margin:5px;"
{| style="background:transparent; float:right; margin:5px;"
|-
|-
Line 4: Line 5:
{{सूचना बक्सा साहित्यकार
{{सूचना बक्सा साहित्यकार
|चित्र=Ashok.jpg
|चित्र=Ashok.jpg
|पूरा नाम=अशोक कुमार शुक्ला
|पूरा नाम=[[अशोक कुमार शुक्ला]]
|अन्य नाम=
|अन्य नाम=
|जन्म=[[5 जनवरी]] [[1967]]  
|जन्म=[[5 जनवरी]] [[1967]]  
|जन्म भूमि=[[पौड़ी गढ़वाल]], [[उत्तराखंड]], [[भारत]]
|जन्म भूमि=[[पौड़ी गढ़वाल]], [[उत्तराखंड]], [[भारत]]
|अविभावक=
|अभिभावक=
|पति/पत्नी=
|पति/पत्नी=
|संतान=
|संतान=
Line 88: Line 89:
==बाहरी कड़ियाँ==
==बाहरी कड़ियाँ==
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{स्वतंत्र लेख}}
{{समकालीन कवि}}
{{समकालीन कवि}}
[[Category:अशोक कुमार शुक्ला]]
[[Category:अशोक कुमार शुक्ला]]

Latest revision as of 13:19, 26 January 2017

चित्र:Icon-edit.gif यह लेख स्वतंत्र लेखन श्रेणी का लेख है। इस लेख में प्रयुक्त सामग्री, जैसे कि तथ्य, आँकड़े, विचार, चित्र आदि का, संपूर्ण उत्तरदायित्व इस लेख के लेखक/लेखकों का है भारतकोश का नहीं।
गुमशुदा की तलाश -अशोक कुमार शुक्ला
पूरा नाम अशोक कुमार शुक्ला
जन्म 5 जनवरी 1967
जन्म भूमि पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड, भारत
मुख्य रचनाएँ कविता का अनकहा अंश (कविता-संग्रह 2009); पुनरावतरण (कहानी-संग्रह 2008); एक संस्कार ऋण (कहानी-संग्रह 2010)
भाषा हिन्दी,
शिक्षा एम.एससी. (भौतिक शास्त्र) एम.एड., पीएच.डी. (शिक्षा-शास्त्र)
पुरस्कार-उपाधि कविता कोश योगदानकर्ता सम्मान 2011
विशेष योगदान अंतरजाल साहित्य योगदानकर्ता मंच की संकल्पना
नागरिकता भारतीय
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
अशोक कुमार शुक्ला की रचनाएँ


गुमशुदा की तलाश

150px

 
मुझे तलाश है
रिश्तों की एक नदी की
जो गुम हो गयी है
कंक्रीट के उस जंगल में
जहॉ स्वार्थ के भेडिये,
कपट के तेंन्दुये,
छल की नागिनों जैसे
सैकडों नरभक्षी किसी भी
रिश्ते को लील जाने को
हरपल आतुर हैं
इस अभ्यारण्य में
मौकापरस्ती के चीते जैसे
जंगली जानवर
हर कंक्रीट की आड में
घात लगाये बैठे हैं
इसलिये मुझे लगता है
कि रिश्तों की वह निरीह नदी
कहीं दुबककर रो रही होगी
याकि निवाला बन गयी होगी
इन कंक्रीट के बासिंदों का,
और अब प्यास बनकर
उतर गयी होगी
उन नरभक्षियां के हलक में ?
जाने क्यों ?
फिर भी मुझे तलाश है
रिश्तों की उस नदी की
जो बीते दिनों में
तब बिछड गयी थी मुझसे
जब मैं शाम के खाने के लिये
रोजगार की लकडियां बीनने
चला आया था
इस कंक्रीट के जंगल में!

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

स्वतंत्र लेखन वृक्ष