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भिंड एक पर्यटन स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध है। यहाँ के मंदिर और घाटियाँ पर्यटकों को | भिंड एक पर्यटन स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध है। यहाँ के मंदिर और घाटियाँ पर्यटकों को ख़ासे आकर्षित करते हैं, जिन्हें देखने की लालसा उन्हें बार-बार यहाँ आकर्षित करती है। यहाँ के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शामिल हैं- | ||
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Latest revision as of 13:30, 1 November 2014
भिंड
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विवरण | 'भिंड' मध्य प्रदेश का एक नगर है, जो ऐतिहासिक स्थल होने के साथ ही एक पर्यटन स्थल भी है। यहाँ के कई स्थान पर्यटन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं। |
राज्य | मध्य प्रदेश |
ज़िला | भिंड ज़िला |
कब जाएँ | कभी भी जा सकते हैं |
हवाई अड्डा | ग्वालियर |
रेलवे स्टेशन | भिंड |
क्या देखें | 'अटेर का क़िला', 'गोहद का क़िला', 'वनखंडेश्वर मंदिर', 'माता रेणुका मंदिर' आदि। |
संबंधित लेख | मध्य प्रदेश, मध्य प्रदेश के पर्यटन स्थल
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अन्य जानकारी | भिंड का इतिहास काफ़ी बड़ा है। शुंग, मौर्य, नंद, कुषाण, गुप्त, हूण, गुर्जर, प्रतिहार, कछवाहा, सूर, मुग़ल आदि शासकों का यहाँ काफ़ी समय तक शासन रहा था। |
अद्यतन | 18:27, 01 जुलाई, 2014 (IST) |
भिंड मध्य प्रदेश राज्य का प्रसिद्ध नगर और ज़िला, जो अपनी तंग घाटियों, उपजाऊ भूमि तथा घने जंगलों के लिए जाना जाता है। यह ज़िला कुंवारी और पाहुज नदी के मध्य बसा है। भिंड के आसपास का क्षेत्र गंगा, यमुना के मैदान की शुरुआत को दर्शाता है। ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह नगर काफ़ी महत्त्वपूर्ण रहा। यहाँ कई पर्यटन स्थल भी हैं। यहाँ के मंदिर और घाटियाँ पर्यटकों को विशेष तौर पर आकर्षित करते हैं, जिन्हें देखने की लालसा में उनका यहां निरंतर आवागमन होता रहता है।
भौगोलिक तथ्य
इस नगर के आसपास का क्षेत्र गंगा, यमुना के मैदान की शुरुआत को दर्शाता है। भिंड यमुना-चंबल की उत्खात भूमि में यमुना की सहायत चंबल, कुंवारी और सिंध नदियों के किनारे कई गहरे खड्डों वाला अर्द्ध उर्वर मैदानी क्षेत्र है।
इतिहास
भिंडी ऋषि के नाम पर इस ज़िले का नाम 'भिंड' पड़ा था। नवम्बर, 1956 ई. में इस ज़िले को मध्य प्रदेश में शामिल किया गया। प्रारंभ में यह चार तहसीलों में विभक्त था, जबकि वर्तमान में यह ज़िला सात तहसीलों में बंटा हुआ है। भिंड का इतिहास भी काफ़ी बड़ा है। शुंग, मौर्य, नंद, कुषाण, गुप्त, हूण, गुर्जर, प्रतिहार, कछवाहा, सूर, मुग़ल आदि शासकों का यहाँ काफ़ी समय तक शासन रहा।[1] 18वीं शताब्दी में सिंधिया शासकों द्वारा अधिकार में किए जाने से पहले भिंड भदौरिया चौहान राजपूतों का क्षेत्र था। इस शहर में 'गौरीताल' नामक झील पर एक पुराना दुर्ग स्थित है, जिसमें भगवान शिव को समर्पित 'वनखंडेश्वर' (वेंकटेश्वर) मंदिर है। यह नगर 1948 से ज़िले का मुख्यालय है। यहां 1902 में नगरपालिका का गठन किया गया था।[2]
पर्यटन स्थल
भिंड एक पर्यटन स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध है। यहाँ के मंदिर और घाटियाँ पर्यटकों को ख़ासे आकर्षित करते हैं, जिन्हें देखने की लालसा उन्हें बार-बार यहाँ आकर्षित करती है। यहाँ के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शामिल हैं-
कृषि तथा उद्योग
यहाँ दलहन. गेहूं, कपास और ज्वार-बाजरा आपपास के क्षेत्रों में उगने वाली प्रमुख फ़सलें हैं। भिंड एक कृषि विपणन केंद्र है; कपास ओटने तथा प्रसंस्करण और पीतल के सामान बनाने के उद्योग यहां प्रमुख रूप से विकसित हैं। अन्य उद्योगों में दाल और तेल मिल, ज्वार, गेहूं, बाजरा, तिल और दलहन की मंडियां शामिल हैं। वस्त्रों की बुनाई, चर्मोद्योग, लुहारगिरी और बढ़ईगिरी भी की जाती है।
शिक्षण संस्थाएँ
भिंड में 'जीवाजी विश्वविद्यालय' से संबद्ध कई महाविद्यालय हैं। इनमें 'आदिनाथ जैन महाविद्यालय' और 'कुसुमबाई कन्या महाविद्यालय' शामिल हैं।
- जनसंख्या
वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार यहाँ की शहरी जनसंख्या 1,53,768 तथा ज़िले की कुल जनसंख्या14,26,951 थी।[2]
कैसे पहुँचें
- वायु मार्ग - ग्वालियर भिंड ज़िले का नजदीकी हवाईअड्डा है, जो देश और राज्य के अनेक बड़े शहरों से वायु मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।
- रेल मार्ग - भिंड रेलवे स्टेशन उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के अनेक शहरों से रेल मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।
- सड़क मार्ग - भिंड के बसअड्डे के लिए पड़ोसी राज्यों और शहरों से राज्य परिवहन निगम की नियमित बसें चलती रहती हैं।
कहाँ ठहरें
भिंड में ठहरने के लिए होटलों की उचित व्यवस्था नहीं है। इसके पड़ोसी ज़िले ग्वालियर में ठहरने के लिए उत्तम व्यवस्था है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख