भावविवेक बौद्धाचार्य: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
आदित्य चौधरी (talk | contribs) m (Text replace - "ह्रदय" to "हृदय") |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "{{महायान के आचार्य2}}" to "{{बौद्ध धर्म}}") |
||
Line 8: | Line 8: | ||
*भावविवेक परमार्थत: शून्यवादी होते हुए भी व्यवहार में बाह्यार्थवादी हैं- यह उनकी रचनाओं के अनुशीलन से स्पष्ट है। | *भावविवेक परमार्थत: शून्यवादी होते हुए भी व्यवहार में बाह्यार्थवादी हैं- यह उनकी रचनाओं के अनुशीलन से स्पष्ट है। | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{ | {{बौद्ध धर्म}} | ||
{{महायान के आचार्य}} | {{महायान के आचार्य}} | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
[[Category:दर्शन_कोश]][[Category:बौद्ध_दर्शन]][[Category:बौद्ध_धर्म]] | [[Category:दर्शन_कोश]][[Category:बौद्ध_दर्शन]][[Category:बौद्ध_धर्म]] |
Revision as of 06:52, 17 March 2011
- माध्यमिक आचार्य-परम्परा में आचार्य भावविवेक या भव्य का विशिष्ट स्थान है।
- आचार्य चन्द्रकीर्ति ने इन्हें प्रकाण्ड पण्डित एवं महान तार्किक कहा है।
- आचार्य नागार्जुन की मूलमाध्यमिककारिका की टीका प्रज्ञाप्रदीप, मध्यमकहृदय एवं उसकी वृत्ति तर्कज्वाला तथा मध्यमकार्थसंग्रह आदि इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं।
- तर्कज्वाला इनकी विशिष्ट रचना है, जो विद्वानों में अत्यधिक चर्चित है।
- इसमें उन्होंने बौद्ध एवं बौद्धेतर सभी दर्शनों की स्पष्ट एवं विस्तृत आलोचना की है।
- दुर्भाग्य से आज भावविवेक की कोई भी रचना संस्कृत में उपलब्ध नहीं है।
- भावविवेक परमार्थत: शून्यवादी होते हुए भी व्यवहार में बाह्यार्थवादी हैं- यह उनकी रचनाओं के अनुशीलन से स्पष्ट है।