शिवाजी गणेशन: Difference between revisions

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'''विल्लुपुरम चिन्नैयापिल्लई गणेशन''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Viluppuram Chinnaiahpillai Ganesan'', जन्म: 1 अक्टूबर, 1927 - मृत्यु: 21 जुलाई 2001) मुख्य रूप से शिवाजी गणेशन से प्रसिद्ध हैं। तमिल सिनेमा की प्रमुख हस्तियों में से एक शिवाजी गणेशन संवाद अदायगी से दर्शकों को मुग्ध कर देने वाले सुपरस्टार थे। शिवाजी गणेशन ने [[रंगमंच]] के साथ-साथ फिल्मों में भी अपने अभिनय से दर्शकों का मन मोह लिया। वहीं बाद की पीढ़ी के अभिनेताओं को भी अपनी अभिनय शैली से प्रेरित किया। दक्षिण भारत के कई सितारों ने स्वीकार किया है कि उनकी अभिनय शैली शिवाजी गणेशन से प्रभावित थी। शिवाजी गणेशन का मूल नाम विल्लुपुरम चिन्नैयापिल्लई गणेशन था और उन्होंने सी. एन. अन्ना दुरै द्वारा लिखित,' शिवाजी कांड हिन्दू राज्यम' नाटक में [[शिवाजी|छत्रपति शिवाजी]] की भूमिका निभायी। इस नाटक में उनके अभिनय की काफी सराहना हुई और उन्हें 'शिवाजी गणेशन' का नाम मिल गया।  
'''विल्लुपुरम चिन्नैयापिल्लई गणेशन''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Viluppuram Chinnaiahpillai Ganesan'', जन्म: 1 अक्टूबर, 1927 - मृत्यु: 21 जुलाई 2001) मुख्य रूप से शिवाजी गणेशन से प्रसिद्ध हैं। तमिल सिनेमा की प्रमुख हस्तियों में से एक शिवाजी गणेशन संवाद अदायगी से दर्शकों को मुग्ध कर देने वाले सुपरस्टार थे। शिवाजी गणेशन ने [[रंगमंच]] के साथ-साथ फिल्मों में भी अपने अभिनय से दर्शकों का मन मोह लिया। वहीं बाद की पीढ़ी के अभिनेताओं को भी अपनी अभिनय शैली से प्रेरित किया। दक्षिण भारत के कई सितारों ने स्वीकार किया है कि उनकी अभिनय शैली शिवाजी गणेशन से प्रभावित थी। शिवाजी गणेशन का मूल नाम विल्लुपुरम चिन्नैयापिल्लई गणेशन था और उन्होंने सी. एन. अन्ना दुरै द्वारा लिखित,' शिवाजी कांड हिन्दू राज्यम' नाटक में [[शिवाजी|छत्रपति शिवाजी]] की भूमिका निभायी। इस नाटक में उनके अभिनय की काफी सराहना हुई और उन्हें 'शिवाजी गणेशन' का नाम मिल गया।  
==जीवन परिचय== 
==जीवन परिचय==
[[1 अक्तूबर]] [[1927]] को पैदा हुए शिवाजी गणेशन का फिल्मों में प्रवेश 1952 में हुआ और 'पराशक्ति' उनकी पहली फिल्म थी। दर्शकों ने उन्हें हाथों-हाथ लिया और उनकी अभिनय शैली खासकर संवाद अदायगी से मुग्ध हो गए। 1954 में प्रदर्शित उनकी फिल्म 'अंधानाल' तमिल सिनेमा की दिशा तय करने वाली साबित हुई। इसमें एक ओर कोई गाना नहीं था वहीं गणेशन एंटी हीरो की भूमिका में थे। बचपन से ही उनकी याददाश्त काफी अच्छी थी और वह लंबे-लंबे संवाद बिना किसी मदद के दर्शकों के सामने बखूबी पेशकर देते थे। दर्शक उनकी इस अदा से भाव विभोर हो जाते थे बाद में जब वह बड़े पर्दे की दुनिया में आ गए तो यहां भी उन्हें इस प्रतिभा का काफी फायदा हुआ और उनका यह अंदाज विशेष रूप से लोकप्रिय हुआ।<ref name="Slive"/>
[[1 अक्तूबर]] [[1927]] को पैदा हुए शिवाजी गणेशन का फिल्मों में प्रवेश 1952 में हुआ और 'पराशक्ति' उनकी पहली फिल्म थी। दर्शकों ने उन्हें हाथों-हाथ लिया और उनकी अभिनय शैली खासकर संवाद अदायगी से मुग्ध हो गए। 1954 में प्रदर्शित उनकी फिल्म 'अंधानाल' तमिल सिनेमा की दिशा तय करने वाली साबित हुई। इसमें एक ओर कोई गाना नहीं था वहीं गणेशन एंटी हीरो की भूमिका में थे। बचपन से ही उनकी याददाश्त काफी अच्छी थी और वह लंबे-लंबे संवाद बिना किसी मदद के दर्शकों के सामने बखूबी पेशकर देते थे। दर्शक उनकी इस अदा से भाव विभोर हो जाते थे बाद में जब वह बड़े पर्दे की दुनिया में आ गए तो यहां भी उन्हें इस प्रतिभा का काफी फायदा हुआ और उनका यह अंदाज विशेष रूप से लोकप्रिय हुआ।<ref name="Slive"/>
==फ़िल्मी सफर==
==फ़िल्मी सफर==

Revision as of 12:22, 30 September 2012

विल्लुपुरम चिन्नैयापिल्लई गणेशन (अंग्रेज़ी: Viluppuram Chinnaiahpillai Ganesan, जन्म: 1 अक्टूबर, 1927 - मृत्यु: 21 जुलाई 2001) मुख्य रूप से शिवाजी गणेशन से प्रसिद्ध हैं। तमिल सिनेमा की प्रमुख हस्तियों में से एक शिवाजी गणेशन संवाद अदायगी से दर्शकों को मुग्ध कर देने वाले सुपरस्टार थे। शिवाजी गणेशन ने रंगमंच के साथ-साथ फिल्मों में भी अपने अभिनय से दर्शकों का मन मोह लिया। वहीं बाद की पीढ़ी के अभिनेताओं को भी अपनी अभिनय शैली से प्रेरित किया। दक्षिण भारत के कई सितारों ने स्वीकार किया है कि उनकी अभिनय शैली शिवाजी गणेशन से प्रभावित थी। शिवाजी गणेशन का मूल नाम विल्लुपुरम चिन्नैयापिल्लई गणेशन था और उन्होंने सी. एन. अन्ना दुरै द्वारा लिखित,' शिवाजी कांड हिन्दू राज्यम' नाटक में छत्रपति शिवाजी की भूमिका निभायी। इस नाटक में उनके अभिनय की काफी सराहना हुई और उन्हें 'शिवाजी गणेशन' का नाम मिल गया।  

जीवन परिचय

1 अक्तूबर 1927 को पैदा हुए शिवाजी गणेशन का फिल्मों में प्रवेश 1952 में हुआ और 'पराशक्ति' उनकी पहली फिल्म थी। दर्शकों ने उन्हें हाथों-हाथ लिया और उनकी अभिनय शैली खासकर संवाद अदायगी से मुग्ध हो गए। 1954 में प्रदर्शित उनकी फिल्म 'अंधानाल' तमिल सिनेमा की दिशा तय करने वाली साबित हुई। इसमें एक ओर कोई गाना नहीं था वहीं गणेशन एंटी हीरो की भूमिका में थे। बचपन से ही उनकी याददाश्त काफी अच्छी थी और वह लंबे-लंबे संवाद बिना किसी मदद के दर्शकों के सामने बखूबी पेशकर देते थे। दर्शक उनकी इस अदा से भाव विभोर हो जाते थे बाद में जब वह बड़े पर्दे की दुनिया में आ गए तो यहां भी उन्हें इस प्रतिभा का काफी फायदा हुआ और उनका यह अंदाज विशेष रूप से लोकप्रिय हुआ।[1]

फ़िल्मी सफर

शिवाजी गणेशन ने अपने करीब पांच दशक के लंबे फिल्मी सफर में लगभग 300 फिल्मों में काम किया। उन्होंने तमिल के अलावा तेलुगू, कन्नड़, मलयालम और हिंदी फिल्मों में भी काम किया। 1970 में प्रदर्शित हिंदी फिल्म 'धरती' में भी उन्होंने अभिनय किया। यह फिल्म उनकी मूल फिल्म 'सिवांध मान' की रीमेक थी। उनकी कई फिल्मों का रीमेक अन्य भाषाओं में भी हुआ। ऐसी ही एक फिल्म नवरातिरि थी जिसमें उन्होंने नौ किरदार निभाए थे। बाद में हिंदी में इसी आधार पर 'नया दिन नयी रात' फिल्म बनी जिसमें संजीव कुमार ने नौ भूमिकाएं की थी। उनकी फिल्मों का सिंघली भाषा में भी रीमेक हुआ है।[1]

राजनीति में

शिवाजी गणेशन अपने फिल्मी सफर में व्यावसायिक, पौराणिक और प्रयोगधर्मी फिल्मों के बीच संतुलन स्थापित करने में काफी हद तक कामयाब रहे। बाद में वह राजनीति में भी आए और द्रमुक से जुड़ गए। लेकिन द्रमुक के साथ उनका सफर लंबा नहीं चला और वह कांग्रेस समर्थक हो गए। उन्हें राज्यसभा के लिए भी चुना गया। उन्होंने अपनी एक पार्टी भी बनायी थी।  

सम्मान और पुरस्कार

शिवाजी गणेशन को दादा साहब फाल्के पुरस्कार पुरस्कार से सम्मानित होने के अलावा दो बार राष्ट्रीय पुरस्कारों से भी नवाजा गया था। इनको भारत सरकार द्वारा सन 1984 में कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।

निधन

तमिल फिल्मों के सुपरस्टार शिवाजी गणेशन का 21 जुलाई 2001 को 74 साल की उम्र में निधन हो गया।

 



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 अभिनय के बादशाह थे शिवाजी गणेशन (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) समय लाइव। अभिगमन तिथि: 30 सितम्बर, 2012।

बाहरी कड़ियाँ

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