किसा गौतमी: Difference between revisions
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Revision as of 13:45, 21 March 2014
किसा गौतमी महात्मा बुद्ध की शिष्या थी। शरीर से कृश होने के कारण ही सब लोग उसे 'किसा गौतमी' के नाम से सम्बोधित करते थे।[1]
- कहा जाता है कि किसा गौतमी के एक ही पुत्र था, जिसे बाग़ में खेलते समय साँप ने डँस लिया।
- जब किसा गौतमी अपने मृत पुत्र के शव को लेकर शोकाकुल भटक रही थी, तब किसी ने उससे कह दिया कि बुद्ध के पास जाओ, वह तुम्हारे पुत्र को जीवित कर देंगें।
- किसा गौतमी ने पुत्र के शव को ले जाकर बुद्ध के चरणों में डाल दिया और जीवित कर देने की प्रार्थना की।
- उसकी प्रार्थना सुनकर बुद्ध ने कहा- "ठीक है, तुम किसी ऐसे घर से एक मुट्ठी अन्न ले आओ, जिसके यहाँ कभी कोई मरा न हो। यदि तुम ऐसा कर सकीं तो मैं तुम्हारे पुत्र को जीवित कर दूँगा।"
- दिन भर नगर में भटकती रहने के बाद भी किसा गौतमी को कोई भी ऐसा घर नहीं मिला, जहाँ कभी कोई मरा न हो।
- किसा गौतमी निराश होकर बुद्ध के पास लौट आई। तब बुद्ध ने किसा गौतमी को उपदेश दिया कि मृत्यु के दु:ख से सारा संसार पीड़ित है। जन्म-मृत्यु का चक्र निरंतर चलता रहता है। पुत्र का शोक भूलकर धर्म की शरण में लग जाओ।
- किसा गौतमी सांसारिक मोह त्यागकर भिक्षुणी हो गई और आध्यात्मिक विकास कर अर्हत पद प्राप्त किया।
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ किसा गौतमी (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 09 फ़रवरी, 2014।