चैतसिक शील बौद्ध निकाय: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
Line 7: Line 7:
{{शील विमर्श}}
{{शील विमर्श}}


[[Category:दर्शन कोश]] [[Category:बौद्ध दर्शन]]  [[Category:बौद्ध धर्म]]    [[Category:बौद्ध धर्म कोश]]__INDEX__
[[Category:दर्शन कोश]] [[Category:बौद्ध दर्शन]]  [[Category:बौद्ध धर्म]]    [[Category:बौद्ध धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]]__INDEX__

Revision as of 13:45, 21 March 2014

बौद्ध धर्म के अठारह बौद्ध निकायों में चैतसिक शील की यह परिभाषा है:-
जीवहिंसा आदि दुष्टकर्मों से विरत रहने वाले पुरुष की वह विरति 'चैतसिक शील' है अर्थात दुष्कर्मों के करने से रोकने वाली शक्त्ति 'विरति है। यह विरति भी एक प्रकार का 'शील' है, अत: इसे 'विरति शील' भी कहते हैं। अथवा लोभ, द्वेष मोह आदि का प्रहाण करने वाले पुरुष के जो अलोभ, अद्वेष, अमोह हैं, वे 'चैतसिक शील' हैं अर्थात जिस पुरुष की सन्तान में लोभ, मोह न होंगे वह काय दुच्चरित आदि दुष्कर्मों सें विरत रहेगा। अत: इन्हें (अलोभ आदि को) 'विरति शील' कहते हैं।

संबंधित लेख