विराध: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replacement - " मां " to " माँ ")
 
Line 3: Line 3:
*वनवास के समय जब [[राम]], [[सीता|माता जानकी]] व [[लक्ष्मण]] मार्ग में चले जा रहे थे, तब इस [[राक्षस]] ने उनसे बलात् युद्ध की ठानी, किन्तु श्रीराम व लक्ष्मण द्वारा कुचले जाने पर हताहत होकर इस राक्षस ने कहा-
*वनवास के समय जब [[राम]], [[सीता|माता जानकी]] व [[लक्ष्मण]] मार्ग में चले जा रहे थे, तब इस [[राक्षस]] ने उनसे बलात् युद्ध की ठानी, किन्तु श्रीराम व लक्ष्मण द्वारा कुचले जाने पर हताहत होकर इस राक्षस ने कहा-


<blockquote><poem>अवटे चापि मां राम प्रक्षिप्य कुशली व्रज।
<blockquote><poem>अवटे चापि माँ राम प्रक्षिप्य कुशली व्रज।
रक्षसां गतसत्वानामेष धर्म: सनातन:॥</poem></blockquote>
रक्षसां गतसत्वानामेष धर्म: सनातन:॥</poem></blockquote>



Latest revision as of 14:09, 2 June 2017

विराध नामक एक राक्षस का वर्णन 'वाल्मीकि रामायण', अरण्यकाण्ड में आया है, जो कि पशु व शस्त्रधारी ऋषि-मुनि आदि का मांस भक्षण करता, रुधिर पीता हुआ निवास करता था।

  • वनवास के समय जब राम, माता जानकीलक्ष्मण मार्ग में चले जा रहे थे, तब इस राक्षस ने उनसे बलात् युद्ध की ठानी, किन्तु श्रीराम व लक्ष्मण द्वारा कुचले जाने पर हताहत होकर इस राक्षस ने कहा-

अवटे चापि माँ राम प्रक्षिप्य कुशली व्रज।
रक्षसां गतसत्वानामेष धर्म: सनातन:॥

अर्थात "हे राम! आप मुझे गड्डे में दबा कर चले जाइए, क्योंकि मरे हुये राक्षसों को जमीन में गाढ़ना पुरातन प्रथा है।"

  • उपरोक्त प्रसंग में विराध स्पष्ट करता है कि मरे हुये राक्षस गड्डा खोदकर जमीन में गाढ़ दिये जाते हैं। अतः रामलक्ष्मण विराध की इच्छानुसार गड्डा खोद कर उसे उसमें दबा आगे चले जाते हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख