गुप्त राजवंश: Difference between revisions
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Revision as of 14:03, 28 September 2010
गुप्त राजवंशों का इतिहास साहित्यिक तथा पुरातात्विक दोनों प्रमाणों से प्राप्त होता है। गुप्त राजवंश या गुप्त वंश प्राचीन भारत के प्रमुख राजवंशों में से एक था। इसे भारत का 'स्वर्ण युग' माना जाता है। गुप्त काल भारत के प्राचीन राजकुलों में से एक था। मौर्य चंद्रगुप्त ने गिरनार के प्रदेश में शासक के रूप में जिस 'राष्ट्रीय' (प्रान्तीय शासक) की नियुक्ति की थी, उसका नाम 'वैश्य पुष्यगुप्त' था। शुंग काल के प्रसिद्ध 'बरहुत स्तम्भ लेख' में एक राजा 'विसदेव' का उल्लेख है, जो 'गाप्तिपुत्र' (गुप्त काल की स्त्री का पुत्र) था। अन्य अनेक शिलालेखों में भी 'गोप्तिपुत्र' व्यक्तियों का उल्लेख है, जो राज्य में विविध उच्च पदों पर नियुक्त थे। इसी गुप्त कुल के एक वीर पुरुष श्रीगुप्त ने उस वंश का प्रारम्भ किया, जिसने आगे चलकर भारत के बहुत बड़े भाग में मागध साम्राज्य का फिर से विस्तार किया। इस राजवंश में जिन शासकों ने शासन किया उनके नाम इस प्रकार है:-
- श्रीगुप्त (240-280 ई.),
- घटोत्कच (280-319 ई.),
- चंद्रगुप्त प्रथम (319-335 ई.)
- समुद्रगुप्त (335-375 ई.)
- रामगु्प्त (375 ई.)
- चंद्रगुप्त द्वितीय (375-414 ई.)
- कुमारगुप्त प्रथम महेन्द्रादित्य (415-454 ई.)
- स्कन्दगुप्त (455-467 ई.)
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