चारित्त शील बौद्ध निकाय

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 06:42, 17 March 2011 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replace - "{{बौद्ध दर्शन2}}" to "{{बौद्ध धर्म}}")
Jump to navigation Jump to search

बौद्ध धर्म के अठारह बौद्ध निकायों में चारित्त शील की यह परिभाषा है:-
जिन कर्मों का सम्पादन करना चाहिए, उनका सम्पादन करना 'चारित्त शील' है। भगवान बुद्ध ने विनय पिटक में भिक्षुओं के लिए जो करणीय आचरण कहे हैं, उनके करने से यद्यपि 'चारित्त्व शील' पूरा हो जाता है। तथापि उन्होंने निर्वाण प्राप्ति के लिए जो मार्ग प्रदर्शित किया है, उसे अपने जीवन में उतारने से ही चरित्त शील, भलीभांति पूरा होता है।

संबंधित लेख

Template:बौद्ध दर्शन

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः