पल्लव वंश

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 13:36, 4 January 2011 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replace - "महत्वपूर्ण" to "महत्त्वपूर्ण")
Jump to navigation Jump to search

पल्लव वंश के राजाओं का मूल कहाँ से हुआ, इस सवाल को लेकर ऐतिहासिकों ने बहुत तर्क-वितर्क किया है। एक मत यह है, कि पल्लव लोग पल्हव या पार्थियन थे, जिन्होंने शकों के कुछ समय बाद भारत में प्रवेश कर उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में अपने स्वतंत्र राज्य स्थापित किए थे। शक राजा रुद्रदामा का एक अमात्य सौराष्ट्र पर शासन करने के लिए नियुक्त था, जिसका नाम सुविशाख था। वह जाति से पल्हव या पार्थियन था। सम्भवतः इसी प्रकार के पल्हव अमात्य सातवाहन सम्राटों की ओर से भी नियत किये जाते थे, और उन्हीं में से किसी ने दक्षिण के पल्लव राज्य की स्थापना की थी। अब प्रायः ऐतिहासिक लोग पल्लवों का पल्हवों या पार्थियनों से कोई सम्बन्ध नहीं मानते। काशीप्रसाद जायसवाल के अनुसार पल्लव लोग ब्राह्मण थे, क्योंकि वे अपने को द्रोणाचार्य और अश्वत्थामा का वंशज मानते थे।

इतना निश्चित है, कि पल्लव राज्य की स्थापना उस समय में हुई, जबकि सातवाहन राज्य खण्ड-खण्ड हो गया था। इस वंश द्वारा शासित प्रदेश पहले सातवाहनों की अधीनता में थे। यह माना जा सकता है, कि पल्लव राज्य का संस्थापक पहले सातवाहनों द्वारा नियुक्त प्रान्तीय शासक था, और उसने अपने अधिपति की निर्बलता से लाभ उठाकर अपने को स्वतंत्र कर लिया था। पल्लव वंश की सत्ता का संस्थापक यह पुरुष सम्भवतः बप्पदेव था। कांचीपुरम में उपलब्ध हुए दो ताम्रपत्रों से इस वंश के प्रारम्भिक इतिहास के विषय में अनेक महत्त्वपूर्ण बातें ज्ञात होती हैं। इन ताम्रपत्रों पर 'स्कन्दवर्मा' नाम के एक राजा के दान पुण्य को उत्कीर्ण किया गया है, जिसे एक लेख में 'युवमहाराजय' और दूसरे में 'धम्ममहाराजाधिराज' कहा गया है। इससे सूचित होता है, कि एक दानपत्र उसने तब उत्कीर्ण करवाया था, जब कि वह युवराज था और दूसरा उस समय जब कि वह महाराजाधिराज बन गया था। उसने अग्निष्टोम, वाजपेय और अश्वमेध यज्ञों का अनुष्ठान कर अपनी शक्ति का उत्कर्ष किया, और तुंगभद्रा एवं कृष्णा नदियों द्वारा सिंचित प्रदेश में शासन करते हुए काञ्जी को अपनी राजधानी बनाया।

गुप्त सम्राट समुद्रगुप्त ने दक्षिणी भारत में विजय यात्रा करते हुए पल्लव राज विष्णुगोप को भी आत्मसमर्पण के लिए विवश किया था। समुद्रगुप्त की यह विजय यात्रा चौथी सदी के मध्य भाग में हुई थी। कठिनाई यह है, कि पल्लवों के प्रारम्भिक इतिहास को जानने के लिए उत्कीर्ण लेखों के अतिरिक्त अन्य कोई साधन हमारे पास नहीं है। इन लेखों में पल्लव वंश के राजाओं के अपने शासन काल की तिथियाँ तो दी हुई हैं, पर इन राजाओं में कौन पहले हुआ और कौन पीछे, यह निर्धारित कर सकना सम्भव नहीं है। पल्लव वंश में जो शासक हुए उनके नाम इस प्रकार है:-


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः