मकरध्वज
मकरध्वज भगवान श्रीराम के परम भक्त हनुमान के पुत्र थे। यद्यपि हनुमान ब्रह्मचारी थे, फिर भी वे एक पुत्र के पिता बने थे। पौराणिक कथा के अनुसार जब लंका में माता सीता की खोज में गए हनुमान को मेघनाद ने बंदी बना लिया, तब उन्हें रावण के समक्ष लाया गया। रावण के आदेश से हनुमान जी की पूँछ में आग लगा दी गयी। इसी जलती हुई पूँछ से हनुमान ने सम्पूर्ण लंका नगरी को जला डाला। तीव्र गर्मी से व्याकुल तथा पूँछ की आग को शांत करने हेतु हनुमान समुद्र में कूद पड़े, तभी उनके पसीने की एक बूँद जल में टपकी जिसे एक मछली ने पी लिया, जिससे वह गर्भवती हो गई। इसी मछली से मकरध्वज उत्पन्न हुआ, जो हनुमान के समान ही महान पराक्रमी और तेजस्वी था।
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