माणिक ईरानी

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माणिक ईरानी
पूरा नाम माणिक ईरानी
प्रसिद्ध नाम बिल्ला
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र हिंदी सिनेमा
मुख्य फ़िल्में 'हीरो', 'कालीचरण', 'त्रिशूल', 'मिस्‍टर नटवरलाल', 'शान', 'नास्‍त‍िक', 'बन्द दरवाज़ा' आदि।
प्रसिद्धि खलनायक
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी सुभाष घई की फिल्म 'कालीचरण' में माणिक ईरानी ने गूंगे खलनायक का रोल निभाया था और इसमें वह अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहे।

माणिक ईरानी (अंग्रेज़ी: Manik Irani) हिंदी सिनेमा के अभिनेता थे। 80 और 90 के दशक की फिल्मों में कई ऐसे विलेन नजर आए, जिन्होंने छोटे-छोटे रोल करने के बावजूद अपनी न मिट सकने वाली पहचान दर्शकों के जेहन में छोड़ी है। इन्हीं में से एक थे- माणिक ईरानी, जिन्हें लोग बिल्ला के नाम से भी जानते हैं। साल 1983 में आई जैकी श्रॉफ की फ़िल्म 'हीरो' ने माण‍िक को नई पहचान दी। बच्‍चा-बच्‍चा उन्‍हें 'बिल्‍ला' के नाम से जानने लगा था। माणिक ईरानी की मौत कैसे हुई, इस बारे में कोई स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है। कुछ खबरों में कहा गया कि 90 के दशक में ज्यादा शराब पीने की वजह से उनकी मौत हुई तो कुछ इसे खबरें एक्सीडेंट बताती हैं। वहीं, कुछ अन्य खबरों में ऐसा दावा भी किया गया कि माणिक ईरानी ने आत्महत्या की थी।

परिचय

माणिक ईरानी का अपना ही एक अलग अंदाज़था। उनका लुक ऐसा था कि कोई भी देखकर डर जाए और उस पर माणिक ईरानी की जानदार डायलॉग डिलिवरी। स्क्रीन पर माणिक ईरानी के आते ही दहशत फैल जाती थी। दर्शकों के लिए वह किसी सुपरस्टार से कम नहीं थे। माणिक ईरानी ने 1974 में गुंडे के किरदार से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद उन्होंने 'कालीचरण', 'त्रिशूल', 'मिस्टर नटवरलाल', 'शान' और 'कसम पैदा करने वाले की' जैसी कई फिल्मों में काम किया। सुभाष घई की फिल्म 'कालीचरण' में माणिक ईरानी ने गूंगे खलनायक का रोल निभाया और इसमें वह अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहे। इस तरह माणिक ईरानी ने 80 और 90 के दशक में विलेन के रोल में राज किया और अपना खौफ काबिज रखा।

ऐसे पड़ा नाम 'बिल्ला'

माणिक ईरानी फ़िल्मी दुनिया का जाना-पहचाना चेहरा तो थे, लेकिन वे असली नाम की बजाय 'बिल्ला' नाम से प्रसिद्ध हुए। दरअसल, माणिक ईरानी ने ख्यातिप्राप्त निर्देशक सुभाष घई की फिल्म 'हीरो' में 'बिल्ला' नाम का किरदार निभाया था, जिसे लोगों ने इतना पसंद किया कि यह नाम ही उनकी पहचान बन गया। सन 1983 में रिलीज हुई इस फिल्म में जैकी श्रॉफ, मीनाक्षी शेषाद्रि, शम्मी कपूर, संजीव कुमार, शक्ति कपूर और मदन पुरी का भी अहम रोल था।[1]

अमिताभ की फिल्‍मों में विलन

साल 1974 में माणिक ईरानी ने पर्दे पर एंट्री मारी। एक बदमाश का रोल किया था। फिल्‍म थी 'पाप और पुण्‍य', उन्‍हें खूब पसंद किया गया। 1976 में आई 'कालीचरण' में उन्‍होंने गूंगे बदमाश का रोल निभाया। 1978 में आई 'त्रिशूल' जैसी सुपरहिट फिल्‍म में उन्‍होंने अमिताभ बच्चन को पर्दे पर खूब पीटा। बाद में पिटे भी। माण‍िक ईरानी को जैसे अमिताभ की फिल्‍मों में विलन बनने का ठेका मिल गया हो। 'मिस्‍टर नटवरलाल', 'शान', 'नास्‍त‍िक' इन सभी में माणिक ईरानी थे और सामने थे अमिताभ बच्चन।[2] बताया जाता है कि 1978 में आई फिल्‍म ‘डॉन’ में माणिक ईरानी ने अमिताभ बच्‍चन के बॉडी डबल की भूमिका निभाई थी। डायरेक्टर चंद्रा बारोट की इस फिल्म में अमिताभ के बदले एक्‍शन माण‍िक ने ही किए थे। हालांकि, उन्‍हें इस काम का क्रेडिट नहीं दिया गया।

लम्बा-चौड़ा खलनायक

छह फुट लंबी कद-काठी और गठीला बदन। एक घूसा मारे तो अच्‍छे से अच्‍छा हीरो चित हो जाए। 80 और 90 के दशक में माणिक ईरानी की यही यूएसपी थी। बॉलीवुड में तब इतने लंबे और हट्टे-कट्टे खलनायक बहुत ही कम थे। अजीबो-गरीब वेशभूषा, हेयर स्टाइल, दांत, बालों के रंग के साथ विचित्र तरीके से हंसते हुए संवाद उनकी यूएसपी थी।

बाद की फिल्मों में माणिक ईरानी गलियों के गुंडों के किरदार तक ही महदूद हो गए। 'बाटली दादा' (दीदार), 'कोल्हापूरी दादा' (बाप नंबरी बेटा दस नंबरी), 'बल्लू दादा' (कसम पैदा करने वाले की) सरीखे किरदारों से यह पता चलता है कि माणिक से निर्देशक क्या चाहते थे? छह फुट लंबे माणिक अपने शरीर को लेकर संजीदा रहे। उस दौर में जब बॉडी बिल्डिंग फिल्मोद्योग से दूर था, माणिक ईरानी नेशनल हेल्थ लीग जिम के नियमित सदस्य थे। वह जानते थे कि उनके जीवन यापन का एकमात्र सहारा उनका औरों से अलग शरीर ही है। अपनी कद-काठी और कुछ मेक-अप के बदौलत अपने एक शॉट के रोल से ही शरीर मे सिहरन पैदा कर देने के लिए काफी थे। यही कारण है कि 80 के मध्य में जब हिन्दी हॉरर फिल्मों का दौर आया, तब पैशाचिक किरदारों के लिए भी माणिक ईरानी पहली पसंद बने।[3]

प्रसिद्ध डायलॉग

माणिक ईरानी के किरदार ही नहीं उनके डायलॉग भी काफी प्रसिद्ध रहे। उन्‍हें अपनी डायलॉग डिलीवरी के चलते भी जाना जाता रहा। उनके कुछ डायलॉग्‍स जैसे- "आशिक की जगह जमीन पे नहीं…ऊपर होती है" या "मैं इस हरामजादे की वो हालत बनाऊंगा कि वैध और हकीम भी परेशान हो जाएंगे और सोचेंगे कि थोबड़ा कौन-सा है और हाथ पैर कौन-से हैं?" काफी प्रसिद्ध रहे।

मृत्यु

माणिक ईरानी की मौत कैसे हुई, इसको लेकर भी कोई पुष्‍ट जानकारी नहीं है। कहा जाता है कि उन्‍हें बाद के दिनों में शराब की बुरी लत लग गई थी। उनकी मौत ज्यादा शराब पीने की वजह से हुई। सिनेमा की दुनिया के कुछ लोग बताते हैं कि माणिक ईरानी ने आत्महत्या की। इन खबरों में कितनी सच्चाई है, इस बात की तो जानकारी नहीं है, लेकिन यह जरूर स्‍पष्‍ट है कि 'बिल्‍ला' यानी माणिक अब हमारे बीच नहीं हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. बिल्ला के नाम से फेमस था यह विलेन, क्या इस वजह से हुई थी उनकी मौत (हिन्दी) bhaskar.com। अभिगमन तिथि: 19 अगस्त, 2020।
  2. बॉलिवुड का 'गूंगा विलन', जिसने हीरो को खूब पीटा और फिर 'गायब' हो गया (हिन्दी) navbharattimes.indiatimes.com। अभिगमन तिथि: 19 अगस्त, 2020।
  3. भारतीय सिनेमा का 'बिल्ला' जिसे सबने भुला दिया (हिन्दी) hindi.firstpost.com। अभिगमन तिथि: 19 अगस्त, 2020।

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