Difference between revisions of "चैतसिक शील बौद्ध निकाय"

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जीवहिंसा आदि दुष्टकर्मों से विरत रहने वाले पुरुष की वह विरति 'चैतसिक शील' है अर्थात दुष्कर्मों के करने से रोकने वाली शक्त्ति 'विरति है। यह विरति भी एक प्रकार का 'शील' है, अत: इसे 'विरति शील' भी कहते हैं। अथवा लोभ, द्वेष मोह आदि का प्रहाण करने वाले पुरुष के जो अलोभ, अद्वेष, अमोह हैं, वे 'चैतसिक शील' हैं अर्थात जिस पुरुष की सन्तान में लोभ, मोह न होंगे वह काय दुच्चरित आदि दुष्कर्मों सें विरत रहेगा। अत: इन्हें (अलोभ आदि को) 'विरति शील' कहते हैं।  
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जीवहिंसा आदि दुष्टकर्मों से विरत रहने वाले पुरुष की वह विरति 'चैतसिक शील' है अर्थात् दुष्कर्मों के करने से रोकने वाली शक्त्ति 'विरति है। यह विरति भी एक प्रकार का 'शील' है, अत: इसे 'विरति शील' भी कहते हैं। अथवा लोभ, द्वेष मोह आदि का प्रहाण करने वाले पुरुष के जो अलोभ, अद्वेष, अमोह हैं, वे 'चैतसिक शील' हैं अर्थात् जिस पुरुष की सन्तान में लोभ, मोह न होंगे वह काय दुच्चरित आदि दुष्कर्मों सें विरत रहेगा। अत: इन्हें (अलोभ आदि को) 'विरति शील' कहते हैं।  
 
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==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==

Latest revision as of 07:51, 7 November 2017

bauddh dharm ke atharah bauddh nikayoan mean chaitasik shil ki yah paribhasha hai:-
jivahiansa adi dushtakarmoan se virat rahane vale purush ki vah virati 'chaitasik shil' hai arthath dushkarmoan ke karane se rokane vali shaktti 'virati hai. yah virati bhi ek prakar ka 'shil' hai, at: ise 'virati shil' bhi kahate haian. athava lobh, dvesh moh adi ka prahan karane vale purush ke jo alobh, advesh, amoh haian, ve 'chaitasik shil' haian arthath jis purush ki santan mean lobh, moh n hoange vah kay duchcharit adi dushkarmoan sean virat rahega. at: inhean (alobh adi ko) 'virati shil' kahate haian.

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