Difference between revisions of "मैं का जांनूं देव मैं का जांनू -रैदास"
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जमदूतनि बहु बिधि करि मार्यौ, तऊ निलज अजहूँ नहीं हार्यौ।।4।। | जमदूतनि बहु बिधि करि मार्यौ, तऊ निलज अजहूँ नहीं हार्यौ।।4।। | ||
हरि पद बिमुख आस नहीं छूटै, ताथैं त्रिसनां दिन दिन लूटै। | हरि पद बिमुख आस नहीं छूटै, ताथैं त्रिसनां दिन दिन लूटै। | ||
− | बहु बिधि करम लीयैं भटकावै, तुमहि दोस हरि कौं न | + | बहु बिधि करम लीयैं भटकावै, तुमहि दोस हरि कौं न लगावै।।5।। |
केवल रांम नांम नहीं लीया। संतुति विषै स्वादि चित दीया। | केवल रांम नांम नहीं लीया। संतुति विषै स्वादि चित दीया। | ||
कहै रैदास कहाँ लग कहिये, बिन जग नाथ सदा सुख सहियै।।६।। | कहै रैदास कहाँ लग कहिये, बिन जग नाथ सदा सुख सहियै।।६।। |
Revision as of 11:21, 1 November 2014
chitr:Icon-edit.gif | is lekh ka punarikshan evan sampadan hona avashyak hai. ap isamean sahayata kar sakate haian. "sujhav" |
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maian ka jaannooan dev maian ka jaannoo. |
tika tippani aur sandarbhsanbandhit lekh |