Difference between revisions of "बजरंग बाण -तुलसीदास"
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replacement - " दुख " to " दु:ख ") |
आदित्य चौधरी (talk | contribs) m (Text replacement - "विलंब" to "विलम्ब") |
||
Line 35: | Line 35: | ||
जय हनुमंत संत हितकारी । सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ।। | जय हनुमंत संत हितकारी । सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ।। | ||
− | जन के काज | + | जन के काज विलम्ब न कीजै । आतुर दौरि महा सुख दीजै ।। |
जैसे कूदि सिंधु महि पारा । सुरसा बदन पैठि विस्तारा ।। | जैसे कूदि सिंधु महि पारा । सुरसा बदन पैठि विस्तारा ।। | ||
आगे जाय लंकिनी रोका । मारेहुं लात गई सुरलोका ।। | आगे जाय लंकिनी रोका । मारेहुं लात गई सुरलोका ।। |
Latest revision as of 09:08, 10 February 2021
| ||||||||||||||||||
|
nishchay prem pratiti te, vinay karean sanaman . |
sanbandhit lekh |