Difference between revisions of "लाज न आवत दास कहावत -तुलसीदास"
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "४" to "4") |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "५" to "5") |
||
Line 40: | Line 40: | ||
तहूँ गये मद मोह लोभ अति, सरगहुँ मिटत न सावत॥4॥ | तहूँ गये मद मोह लोभ अति, सरगहुँ मिटत न सावत॥4॥ | ||
भव-सरिता कहँ नाउ संत यह कहि औरनि समुझावत। | भव-सरिता कहँ नाउ संत यह कहि औरनि समुझावत। | ||
− | हौं तिनसों हरि परम बैर करि तुमसों भलो | + | हौं तिनसों हरि परम बैर करि तुमसों भलो मनावत॥5॥ |
नाहिन और ठौर मो कहॅं, तातें हठि नातो लावत। | नाहिन और ठौर मो कहॅं, तातें हठि नातो लावत। | ||
राखु सरन उदार-चूड़ामनि, तुलसिदास गुन गावत॥६॥ | राखु सरन उदार-चूड़ामनि, तुलसिदास गुन गावत॥६॥ |
Revision as of 11:21, 1 November 2014
| ||||||||||||||||||
|
laj n avat das kahavat. |
sanbandhit lekh |