मगरमच्छ: Difference between revisions
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'''मगरमच्छ''' बड़े, भारी शरीर वाले उभयचर जंतु हैं, जो दिखने में कुछ हद तक छिपकली जैसे लगते हैं और मांसभक्षी प्रकृति के होते हैं। यह सरीसृप गण ''क्रोकोडिलिया'' के सदस्य है। | '''मगरमच्छ''' बड़े, भारी शरीर वाले उभयचर जंतु हैं, जो दिखने में कुछ हद तक छिपकली जैसे लगते हैं और मांसभक्षी प्रकृति के होते हैं। यह सरीसृप गण ''क्रोकोडिलिया'' के सदस्य है। | ||
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thumb|250px|मगरमच्छ मगरमच्छ बड़े, भारी शरीर वाले उभयचर जंतु हैं, जो दिखने में कुछ हद तक छिपकली जैसे लगते हैं और मांसभक्षी प्रकृति के होते हैं। यह सरीसृप गण क्रोकोडिलिया के सदस्य है।
लक्षण
शंक्वाकार दांतों से युक्त इनके जबड़े काफ़ी मज़बूत होते हैं और इनके छोटे पैरों के पंजे झिल्लीयुक्त होते हैं। पूंछ लंबी, भारी और चमड़ी मोटी व पट्टीदार होती है।
प्रजातियाँ
दुनिया भर में इसकी लगभग 20 से अधिक प्रजातियों की खोज की गई है। मगरमच्छ पुराऐतिहासिक काल के डायनासोरनुमा प्राणियों की अंतिम जीवित कड़ी हैं। साथ ही जीवाश्मों ये पक्षियों के सबसे नज़दीकी जीवित रिश्तेदार हैं। कई प्रकार के मगरमच्छों के जीवाश्मों की खोज की गई है; क्रोकोडिलिया गण के चार उपगणों में से तीन लुप्त हो चुके हैं। व्यापक जीवाश्म प्रमाणों के आधार पर मगरमच्छों और अन्य रीढ़धारी प्राणी समूहों के बीच सुपरिभाषित संबंध क़ायम करना संभव हो पाया है।
अवास
मगरमच्छ भारत में नदियों, दलदलों और झीलों में पाए जाते हैं। नदियों के मुहानों के क्षेत्र में पाया जाने वाला मगरमच्छ (क्रोकोडिलस पोरोसस) जिसकी लंबाई लगभग 9 मीटर होती है, सामान्यतः कीचड़युक्त डेल्टा क्षेत्र में पाई जाने वाली मछलियों, पक्षियों और केकड़ों को खाता है। लंबी थूथन वाला घड़ियाल (गैविएलिस गैंजेटिकस), जो मगरमच्छ से मिलती-जुलती प्रजाति है, गंगा और ब्रह्मपुत्र समेत बड़ी नदियों और उनकी सहयोगी धाराओं में पाया जाता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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