पपीहा
पपीहा
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जगत | जंतु (Animalia) |
संघ | रज्जुकी (Chordata) |
वर्ग | पक्षी (Aves) |
गण | क्यूकलिफॉर्मीस (Cuculiformes) |
कुल | क्यूकलिडी (Cuculidae) |
जाति | एच. वेरिअस (H. varius) |
प्रजाति | हायरोकॉक्सिस (Hierococcyx) |
द्विपद नाम | हायरोकॉक्सिस वेरिअस (वाल, १७९७) |
पपीहा अंग्रेज़ी में इसको (Common Hawk-Cuckoo) कहते है। यह एक ऐसा पक्षी है, जो दक्षिण एशिया में बहुतायत में पाया जाता है।
पपीहा देखने में कबूतर जैसा लगता है। इसकी आँखें पीले रंग की होती हैं और शरीर का ऊपरी हिस्सा हल्के भूरे रंग का होता है। इसकी चोंच और इसके पैर पीले रंग के होते हैं, जिसमें थोड़ा हरा रंग लिए हल्के-हल्के धब्बे होते हैं। इसकी लम्बाई 15 से 19 इंच तक की हो सकती है। नर और मादा में बहुत कम अंतर होता है। देखने में दोनों एक जैसे ही होते हैं। खाने में इसे कीड़े-मकोड़े ज्यादा पसंद हैं। यह बसंत और बारिश के दिनों में आम के पेड़ पर बैठकर पीहू-पीहू की आवाज निकालता है। ये पूरे देश में पाया जाता है। अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग तरह के पपीहे देखे जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस पक्षी की खास बात यह है कि ये केवल बारिश का ही पानी पीता है। इसके अंडों का रंग भी कोयल के अंडों की तरह नीला होता है। ये अप्रैल से जून के महीने के बीच अंडे देते हैं। पपीहे की एक जाति ऐसी है, जो आम पपीहों से कुछ अलग है। इसे चातक कहते हैं। कद में ये बाकी पपीहों की ही तरह होते हैं। बस इनके सिर पर बुलबुल की तरह एक कलगी सी होती है। यह दिखने में शिकरा की तरह होता है। इसके उड़ने और बैठने का तरीका भी बिल्कुल शिकरा जैसा होता है। पपीहा की आवाज बहुत सुरीली और बारीक होती है। कुछ लोगों का तो यह भी मानना है कि यह कोयल से भी सुरीला और मीठा गाता है। जो बसंत और वर्षा में बहुत ही मधुर स्वर में ‘पी-कहाँ’ की तरह का शब्द बोलता है।[1]
स्थान
सर्दी इसे बिल्कुल पसंद नहीं है और इन दिनों में ये दक्षिण की ओर चला जाता है, जहां सर्दी कम पड़ती है। यह हरे-भरे क्षेत्र या घने जंगलों में पाया जाता है। यह अपना सारा समय पेड़ पर ही गुजारता है। यह अपना घोंसला नहीं बनाता है और दूसरे चिड़ियों के घोंसलों में अपने अण्डे देता है।
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