शिशुनाग वंश: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
No edit summary |
||
(3 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
'''शिशुनाग वंश''' [[मगध]] राज्य (दक्षिण [[बिहार]], [[भारत]]) का एक प्राचीन राजवंश था। इस वंश का संस्थापक शिशुनाग को माना जाता है, जिसके नाम पर इस वंश का नाम शिशुनाग वंश पड़ा। इस वंश का शासनकाल [[बिम्बिसार]] और [[अजातशत्रु]] ([[बुद्ध]] के समकालीन) के बाद का था। इस काल को आमतौर पर [[नंद वंश]] से ठीक पहले का माना जाता है और इसका काल लगभग पाँचवीं ई. पू. से चौथी शताब्दी के मध्य तक का है। | '''शिशुनाग वंश''' (412 ई.पू. से 345 ई.पू.) [[मगध]] राज्य (दक्षिण [[बिहार]], [[भारत]]) का एक प्राचीन राजवंश था। इस वंश का संस्थापक शिशुनाग को माना जाता है, जिसके नाम पर इस वंश का नाम शिशुनाग वंश पड़ा। इस वंश का शासनकाल [[बिम्बिसार]] और [[अजातशत्रु]] ([[बुद्ध]] के समकालीन) के बाद का था। इस काल को आमतौर पर [[नंद वंश]] से ठीक पहले का माना जाता है और इसका काल लगभग पाँचवीं ई. पू. से चौथी शताब्दी के मध्य तक का है। | ||
*शिशुनाग वंश के संस्थापक शिशुनाग के प्रतिनिधि थे। | *शिशुनाग वंश के संस्थापक शिशुनाग के प्रतिनिधि थे। | ||
Line 5: | Line 5: | ||
*शिशुनाग का शासनकाल अपने पूर्ववर्ती शासकों की तरह [[मगध साम्राज्य]] के तीव्र विस्तार के इतिहास में एक चरण का प्रतिनिधित्व करता है। | *शिशुनाग का शासनकाल अपने पूर्ववर्ती शासकों की तरह [[मगध साम्राज्य]] के तीव्र विस्तार के इतिहास में एक चरण का प्रतिनिधित्व करता है। | ||
*उसने अवंतिवर्द्धन के विरुद्ध विजय प्राप्त की और अपने साम्राज्य में [[अवंति]] (मध्य भारत) को सम्मिलित कर लिया। | *उसने अवंतिवर्द्धन के विरुद्ध विजय प्राप्त की और अपने साम्राज्य में [[अवंति]] (मध्य भारत) को सम्मिलित कर लिया। | ||
*शिशुनाग के पुत्र कालाशोक के काल को प्रमुखत: दो | *शिशुनाग के पुत्र कालाशोक के काल को प्रमुखत: दो महत्त्वपूर्ण घटनाओं के लिए जाना जाता है- वैशाली में दूसरी 'बौद्ध परिषद' की बैठक और [[पाटलिपुत्र]] (आधुनिक [[पटना]]) में मगध की राजधानी का स्थानान्तरण। | ||
*शिशुनाग वंश के पतन का इतिहास भी [[मगध]] के [[मौर्य वंश]] से पूर्व के इतिहास जितना ही अस्पष्ट है। | *शिशुनाग वंश के पतन का इतिहास भी [[मगध]] के [[मौर्य वंश]] से पूर्व के इतिहास जितना ही अस्पष्ट है। | ||
*पारम्परिक स्रोतों के अनुसार कालाशोक के 10 पुत्र थे, परन्तु उनका कोई विवरण ज्ञात नहीं है। | *पारम्परिक स्रोतों के अनुसार कालाशोक के 10 पुत्र थे, परन्तु उनका कोई विवरण ज्ञात नहीं है। | ||
*माना जाता है कि [[नंद वंश]] के संस्थापक [[महापद्मनंद]] द्वारा कालाशोक की निर्दयतापूर्वक हत्या कर दी गई और शिशुनाग वंश के शासन का अन्त हो गया। | *माना जाता है कि [[नंद वंश]] के संस्थापक [[महापद्मनंद]] द्वारा [[कालाशोक]] (394 ई.पू. से 366 ई.पू.) की निर्दयतापूर्वक हत्या कर दी गई और शिशुनाग वंश के शासन का अन्त हो गया। | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
Line 15: | Line 15: | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{भारत के राजवंश}} | {{भारत के राजवंश}} | ||
[[Category:इतिहास कोश]] | [[Category:शिशुनाग वंश]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:भारत के राजवंश]] | ||
[[Category:भारत के राजवंश]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ | __NOTOC__ |
Latest revision as of 09:58, 4 May 2016
शिशुनाग वंश (412 ई.पू. से 345 ई.पू.) मगध राज्य (दक्षिण बिहार, भारत) का एक प्राचीन राजवंश था। इस वंश का संस्थापक शिशुनाग को माना जाता है, जिसके नाम पर इस वंश का नाम शिशुनाग वंश पड़ा। इस वंश का शासनकाल बिम्बिसार और अजातशत्रु (बुद्ध के समकालीन) के बाद का था। इस काल को आमतौर पर नंद वंश से ठीक पहले का माना जाता है और इसका काल लगभग पाँचवीं ई. पू. से चौथी शताब्दी के मध्य तक का है।
- शिशुनाग वंश के संस्थापक शिशुनाग के प्रतिनिधि थे।
- इस वंश के राजा मगध की प्राचीन राजधानी गिरिव्रज या राजगीर से जुड़े और वैशाली (उत्तर बिहार) को पुनर्स्थापित किया।
- शिशुनाग का शासनकाल अपने पूर्ववर्ती शासकों की तरह मगध साम्राज्य के तीव्र विस्तार के इतिहास में एक चरण का प्रतिनिधित्व करता है।
- उसने अवंतिवर्द्धन के विरुद्ध विजय प्राप्त की और अपने साम्राज्य में अवंति (मध्य भारत) को सम्मिलित कर लिया।
- शिशुनाग के पुत्र कालाशोक के काल को प्रमुखत: दो महत्त्वपूर्ण घटनाओं के लिए जाना जाता है- वैशाली में दूसरी 'बौद्ध परिषद' की बैठक और पाटलिपुत्र (आधुनिक पटना) में मगध की राजधानी का स्थानान्तरण।
- शिशुनाग वंश के पतन का इतिहास भी मगध के मौर्य वंश से पूर्व के इतिहास जितना ही अस्पष्ट है।
- पारम्परिक स्रोतों के अनुसार कालाशोक के 10 पुत्र थे, परन्तु उनका कोई विवरण ज्ञात नहीं है।
- माना जाता है कि नंद वंश के संस्थापक महापद्मनंद द्वारा कालाशोक (394 ई.पू. से 366 ई.पू.) की निर्दयतापूर्वक हत्या कर दी गई और शिशुनाग वंश के शासन का अन्त हो गया।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख