नन्दिनी: Difference between revisions
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[[कामधेनु]] का वर्णन [[पुराण|पौराणिक]] गाथाओं में एक ऐसी चमत्कारी गाय के रूप में मिलता है जिसमें दैवीय शक्तियाँ थी और जिसके दर्शन मात्र से ही लोगो के दुःख व पीड़ा दूर हो जाती थी यह कामधेनु जिसके पास होती थी उसे हर तरह से चमत्कारिक लाभ होता था। उसका दूध अमृत के समान था। जैसे देवताओं में भगवान [[विष्णु]], सरोवरों में समुद्र, नदियों में [[गंगा नदी|गंगा]], पर्वतों में [[हिमालय]], भक्तों में [[नारद]], सभी पुरियों में [[कैलाश पर्वत|कैलाश]], सम्पूर्ण क्षेत्रों में 'केदार क्षेत्र' श्रेष्ठ है, वैसे ही गऊओं में कामधेनु सर्वश्रेष्ठ है। '''इसी कामधेनु की पुत्री नंदिनी थी।''' | [[कामधेनु]] का वर्णन [[पुराण|पौराणिक]] गाथाओं में एक ऐसी चमत्कारी गाय के रूप में मिलता है जिसमें दैवीय शक्तियाँ थी और जिसके दर्शन मात्र से ही लोगो के दुःख व पीड़ा दूर हो जाती थी यह कामधेनु जिसके पास होती थी उसे हर तरह से चमत्कारिक लाभ होता था। उसका दूध अमृत के समान था। जैसे देवताओं में भगवान [[विष्णु]], सरोवरों में समुद्र, नदियों में [[गंगा नदी|गंगा]], पर्वतों में [[हिमालय]], भक्तों में [[नारद]], सभी पुरियों में [[कैलाश पर्वत|कैलाश]], सम्पूर्ण क्षेत्रों में 'केदार क्षेत्र' श्रेष्ठ है, वैसे ही गऊओं में कामधेनु सर्वश्रेष्ठ है। '''इसी कामधेनु की पुत्री नंदिनी थी।''' | ||
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चित्र:Disamb2.jpg नन्दिनी | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- नन्दिनी (बहुविकल्पी) |
कामधेनु का वर्णन पौराणिक गाथाओं में एक ऐसी चमत्कारी गाय के रूप में मिलता है जिसमें दैवीय शक्तियाँ थी और जिसके दर्शन मात्र से ही लोगो के दुःख व पीड़ा दूर हो जाती थी यह कामधेनु जिसके पास होती थी उसे हर तरह से चमत्कारिक लाभ होता था। उसका दूध अमृत के समान था। जैसे देवताओं में भगवान विष्णु, सरोवरों में समुद्र, नदियों में गंगा, पर्वतों में हिमालय, भक्तों में नारद, सभी पुरियों में कैलाश, सम्पूर्ण क्षेत्रों में 'केदार क्षेत्र' श्रेष्ठ है, वैसे ही गऊओं में कामधेनु सर्वश्रेष्ठ है। इसी कामधेनु की पुत्री नंदिनी थी। thumb|right|गाय
- कथा
दिलीप अंशुमान के पुत्र और अयोध्या के राजा थे। दिलीप बड़े पराक्रमी थे यहाँ तक के देवराज इन्द्र की भी सहायता करने जाते थे। इन्होंने देवासुर संग्राम में भाग लिया था। वहाँ से विजयोल्लास से भरे राजा लौट रहे थे। रास्ते में कामधेनु खड़ी मिली लेकिन उसे दिलीप ने प्रणाम नहीं किया तब कामधेनु ने श्राप दे दिया कि तुम पुत्रहीन रहोगे। यदि मेरी सन्तान तुम्हारे ऊपर कृपा कर देगी तो भले ही सन्तान हो सकती है। श्री वसिष्ठ जी की कृपा से उन्होंने 'नन्दिनी गौ' की सेवा करके पुत्र श्री रघु जी को प्राप्त किया।
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