नैवेद्य: Difference between revisions

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'''नैवेद्य''' एक प्रकार का भोज्य द्रव्य है जो [[देवता]] के निवेदन के लिये प्रयोग किया जाता है। देवता या मूर्ति को भेंट की या चढ़ाई हुई खाद्य वस्तु या भोग नैवेद्य कहलाती है।
*नैवेद्य एक प्रकार का भोज्य द्रव्य है जो [[देवता]] के निवेदन के लिये प्रयोग किया जाता है। देवता या मूर्ति को भेंट की या चढ़ाई हुई खाद्य वस्तु या भोग नैवेद्य कहलाती है।
*[[घी]], चीनी, श्वेतान्न, [[दही]], [[फल]] इत्यादि नैवेद्य द्रव्य कहलाते हैं ।  
*[[घी]], चीनी, श्वेतान्न, [[दही]], [[फल]] इत्यादि नैवेद्य द्रव्य कहलाते हैं ।  
*मान्यतानुसार नैवेद्य देवता के दक्षिण भाग में रखना चाहिए।  
*मान्यतानुसार नैवेद्य देवता के दक्षिण भाग में रखना चाहिए।  
*कुछ ग्रंथों का मत है कि पक्व नैवेद्य देवता के बायीं तरफ तथा कच्चा दाहिनी तरफ रखना चाहिए।  
*कुछ ग्रंथों का मत है कि पक्व नैवेद्य देवता के बायीं तरफ तथा कच्चा दाहिनी तरफ रखना चाहिए।  
*मान्यतानुसार कहा गया है देवता को भोग लगा हुआ प्रसाद खाने का बड़ा महत्त्व है पर शिव को चढ़ाया हुआ निर्माल्य खाने का निषेध हैं। चढा़ए जानें के उपरांत नैवेद्य द्रव्य निर्माल्य कहलाता है ।
*मान्यतानुसार कहा गया है कि देवता को भोग लगा हुआ प्रसाद खाने का बड़ा महत्त्व है पर [[शिव]] को चढ़ाया हुआ निर्माल्य खाने का निषेध हैं। चढा़ए जाने के उपरांत नैवेद्य द्रव्य निर्माल्य कहलाता है ।


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Latest revision as of 12:41, 17 October 2014

नैवेद्य एक प्रकार का भोज्य द्रव्य है जो देवता के निवेदन के लिये प्रयोग किया जाता है। देवता या मूर्ति को भेंट की या चढ़ाई हुई खाद्य वस्तु या भोग नैवेद्य कहलाती है।

  • घी, चीनी, श्वेतान्न, दही, फल इत्यादि नैवेद्य द्रव्य कहलाते हैं ।
  • मान्यतानुसार नैवेद्य देवता के दक्षिण भाग में रखना चाहिए।
  • कुछ ग्रंथों का मत है कि पक्व नैवेद्य देवता के बायीं तरफ तथा कच्चा दाहिनी तरफ रखना चाहिए।
  • मान्यतानुसार कहा गया है कि देवता को भोग लगा हुआ प्रसाद खाने का बड़ा महत्त्व है पर शिव को चढ़ाया हुआ निर्माल्य खाने का निषेध हैं। चढा़ए जाने के उपरांत नैवेद्य द्रव्य निर्माल्य कहलाता है ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ


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