श्वेत अश्व मंदिर: Difference between revisions

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'''श्वेत अश्व मंदिर''' अथवा 'श्वेत अश्व विहार' [[चीन]] के हेनान प्रांत के ल्युओयांग शहर में स्थित है। चीन में सरकार द्वारा संचालित यह [[बौद्ध विहार]] चीनी एवं भारतीय संस्कृतियों की संगमस्थली है और सांस्कृतिक मेलजोल की शानदार उपलब्धियों का प्रतीक है। कई भारतीय नेता इस विहार का दर्शन कर चुके हैं। यह विहार 'व्हाइट हार्स विहार' के नाम से भी जाना जाता है।<br />
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'''श्वेत अश्व मंदिर''' अथवा 'श्वेत अश्व विहार' ([[अंग्रेज़ी]]: ''White Horse Temple'') [[चीन]] के हेनान प्रांत के ल्युओयांग शहर में स्थित है। चीन में सरकार द्वारा संचालित यह [[बौद्ध विहार]] चीनी एवं भारतीय संस्कृतियों की संगमस्थली है और सांस्कृतिक मेलजोल की शानदार उपलब्धियों का प्रतीक है। कई भारतीय नेता इस विहार का दर्शन कर चुके हैं। यह विहार 'व्हाइट हार्स विहार' के नाम से भी जाना जाता है।<br />
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*श्वेत अश्व मंदिर [[चीन]] का पहला विहार माना जाता है।
*श्वेत अश्व मंदिर [[चीन]] का पहला विहार माना जाता है।

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thumb|200px|श्वेत अश्व मंदिर श्वेत अश्व मंदिर अथवा 'श्वेत अश्व विहार' (अंग्रेज़ी: White Horse Temple) चीन के हेनान प्रांत के ल्युओयांग शहर में स्थित है। चीन में सरकार द्वारा संचालित यह बौद्ध विहार चीनी एवं भारतीय संस्कृतियों की संगमस्थली है और सांस्कृतिक मेलजोल की शानदार उपलब्धियों का प्रतीक है। कई भारतीय नेता इस विहार का दर्शन कर चुके हैं। यह विहार 'व्हाइट हार्स विहार' के नाम से भी जाना जाता है।

  • श्वेत अश्व मंदिर चीन का पहला विहार माना जाता है।
  • लगभग 3,450 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैले इस विहार का उद्घाटन भारतीय राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने 29 मई, 2010 को किया था।
  • ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार, हान राजवंश (206 ईसा पूर्व से 220 ईसवी) के एक राजा ने दो भारतीय बौद्ध भिक्षुओं के सम्मान में बैमा विहार के निर्माण का आदेश दिया था। दरअसल, राजा ने अपने दूतों को पश्चिम से बौद्ध सिद्धांतों को लाने का आदेश दिया था। दूत दो प्रमुख भारतीय बौद्ध भिक्षुओं के साथ 67 ईसवी में ल्युयांग लौटे थे। भिक्षुओं के पास बौद्ध साहित्य व मूर्तियां थीं, जिन्हें वे सफेद घोड़ों की पीठ पर लादकर ले गए थे। उसके बाद एक विहार का निर्माण कराया गया और चीन का पहला बौद्ध शास्त्र दोनों बौद्ध भिक्षुओं ने इसी विहार में बैठकर संस्कृत से चीनी में अनुवाद किया था।
  • इसी जगह से पूर्वी एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया में बौद्ध धर्म का प्रसार शुरू हुआ।
  • पूर्व भारतीय प्रधानमंत्रीयों पी. वी. नरसिंह राव और अटल बिहारी वाजपेयी ने क्रमश: 1993 और 2003 में बैमा विहार के दर्शन किये थे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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