निर्मल अखाड़ा (सिक्ख): Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
Line 1: Line 1:
'''श्री निर्मल पंचायती अखाड़ा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Shri Panchayati Nirmal Akhada'') उदासीन अखाड़े में गिना जाता है। इस अखाड़े की स्थापना [[सिक्ख]] [[गुरु गोविंद सिंह]] के सहयोगी वीरसिंह ने की थी।<br />
'''श्री निर्मल पंचायती अखाड़ा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Shri Panchayati Nirmal Akhada'') उदासीन अखाड़े में गिना जाता है। इस अखाड़े की स्थापना [[सिक्ख]] [[गुरु गोविंद सिंह]] के सहयोगी वीरसिंह ने की थी। आचरण की पवित्रता व आत्मशुद्धि निर्मल अखाड़ा का मूल मंत्र है। ये सफेद कपड़े पहनते हैं। इनके ध्वज का [[रंग]] [[पीला रंग|पीला]] या बसंती होता है और ऊन या [[रुद्राक्ष]] की माला हाथ में रखते हैं। इस अखाड़े के अनुयायियों का मुध्य उद्देश्य [[गुरु नानक देव|गुरु नानक देव जी]] के मूल सिद्धांतों का पालन करना है।<br />
<br />
<br />
*आचरण की पवित्रता व आत्मशुद्धि निर्मल अखाड़ा का मूल मंत्र है।
*निर्मल अखाड़ा [[गंगा]] और धर्मशास्त्रों में पूर्ण आस्था रखने वाला है। अखाड़ा गुरु गोविंद सिंह महाराज के साथ-साथ [[गुरुग्रंथ साहब]] को आराध्य मानता है। ये अकेला अखाड़ा है जहां चिलम, सिगरेट आदि किसी भी प्रकार के धूम्रपान की सख्त मनाही है। अखाड़ा में नशे पर पूर्ण प्रतिबंध है। लाखों सिक्ख निर्मल अखाड़ा के अनुयायी हैं।
*ये सफेद कपड़े पहनते हैं। इनके ध्वज का [[रंग]] [[पीला रंग|पीला]] या बसंती होता है और ऊन या [[रुद्राक्ष]] की माला हाथ में रखते हैं।
*निर्मले संतों का इकलौता निर्मल अखाड़ा सिक्ख गुरुओं के उपदेश एवं [[वेद]] [[पुराण|पुराणों]] के ज्ञान पर आधारित है। 13 अखाड़ों में निर्मल अखाड़े की स्थापना भी सबसे बाद में 17वीं शताब्दी में हुई। कुंभ नगर में इस अखाड़े की पेशवाई भी समस्त अखाड़ों के बाद निकलती है और धर्म ध्वजा भी अंत में चढ़ाई जाती है। [[कुंभ मेला|कुंभ]] के शाही स्नानों में इस अखाड़े के स्नान अंत में होता है। मुख्य स्नान के दिन तो इस अखाड़े के स्नान कई बार तो रात में होता है।<ref name="pp">{{cite web |url=http://legendnews.in/nirmal-akhara-where-there-is-complete-ban-on-drugs/ |title=निर्मल अखाड़ा, जहां नशे पर है पूर्ण प्रतिबंध|accessmonthday=23 सितम्बर|accessyear=2021 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=legendnews.in |language=हिंदी}}</ref>
*इस अखाड़े के अनुयायियों का मुध्य उद्देश्य [[गुरु नानक देव|गुरु नानक देव जी]] के मूल सिद्धांतों का पालन करना है।
*संन्यासियों, बैरागियों और उदासीन सम्प्रदायों में [[तंबाकू]] का प्रचलन खूब है। संन्यासी अखाड़ों में चिलम उड़ाना आम बात है। इसके विपरीत निर्मल अखाड़े और छावनियों में किसी भी प्रकार का नशा निषेध है। कुंभ के अवसर पर निर्मले महंत छोटी-छोटी संगतों के माध्यम से पुरातन का परिचय नई पीढ़ी से कराते हैं। यह ऐसा दूसरा अखाड़ा है, जिसका मुख्यालय [[हरिद्वार]] में है।


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}

Latest revision as of 12:36, 23 September 2021

श्री निर्मल पंचायती अखाड़ा (अंग्रेज़ी: Shri Panchayati Nirmal Akhada) उदासीन अखाड़े में गिना जाता है। इस अखाड़े की स्थापना सिक्ख गुरु गोविंद सिंह के सहयोगी वीरसिंह ने की थी। आचरण की पवित्रता व आत्मशुद्धि निर्मल अखाड़ा का मूल मंत्र है। ये सफेद कपड़े पहनते हैं। इनके ध्वज का रंग पीला या बसंती होता है और ऊन या रुद्राक्ष की माला हाथ में रखते हैं। इस अखाड़े के अनुयायियों का मुध्य उद्देश्य गुरु नानक देव जी के मूल सिद्धांतों का पालन करना है।

  • निर्मल अखाड़ा गंगा और धर्मशास्त्रों में पूर्ण आस्था रखने वाला है। अखाड़ा गुरु गोविंद सिंह महाराज के साथ-साथ गुरुग्रंथ साहब को आराध्य मानता है। ये अकेला अखाड़ा है जहां चिलम, सिगरेट आदि किसी भी प्रकार के धूम्रपान की सख्त मनाही है। अखाड़ा में नशे पर पूर्ण प्रतिबंध है। लाखों सिक्ख निर्मल अखाड़ा के अनुयायी हैं।
  • निर्मले संतों का इकलौता निर्मल अखाड़ा सिक्ख गुरुओं के उपदेश एवं वेद पुराणों के ज्ञान पर आधारित है। 13 अखाड़ों में निर्मल अखाड़े की स्थापना भी सबसे बाद में 17वीं शताब्दी में हुई। कुंभ नगर में इस अखाड़े की पेशवाई भी समस्त अखाड़ों के बाद निकलती है और धर्म ध्वजा भी अंत में चढ़ाई जाती है। कुंभ के शाही स्नानों में इस अखाड़े के स्नान अंत में होता है। मुख्य स्नान के दिन तो इस अखाड़े के स्नान कई बार तो रात में होता है।[1]
  • संन्यासियों, बैरागियों और उदासीन सम्प्रदायों में तंबाकू का प्रचलन खूब है। संन्यासी अखाड़ों में चिलम उड़ाना आम बात है। इसके विपरीत निर्मल अखाड़े और छावनियों में किसी भी प्रकार का नशा निषेध है। कुंभ के अवसर पर निर्मले महंत छोटी-छोटी संगतों के माध्यम से पुरातन का परिचय नई पीढ़ी से कराते हैं। यह ऐसा दूसरा अखाड़ा है, जिसका मुख्यालय हरिद्वार में है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. निर्मल अखाड़ा, जहां नशे पर है पूर्ण प्रतिबंध (हिंदी) legendnews.in। अभिगमन तिथि: 23 सितम्बर, 2021।

संबंधित लेख