स्मार्त सम्प्रदाय: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''स्मार्त सम्प्रदाय''' 'द्विज' या 'दीक्षित' उच्च वर्ग के...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
m (Adding category Category:हिन्दू सम्प्रदाय (को हटा दिया गया हैं।))
Line 14: Line 14:
{{धर्म}}
{{धर्म}}
[[Category:हिन्दू धर्म]][[Category:हिन्दू धर्म कोश]]
[[Category:हिन्दू धर्म]][[Category:हिन्दू धर्म कोश]]
[[Category:हिन्दू सम्प्रदाय]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

Revision as of 11:49, 16 November 2011

स्मार्त सम्प्रदाय 'द्विज' या 'दीक्षित' उच्च वर्ग के सदस्यों वाला एक हिन्दू धार्मिक सामाजिक सम्प्रदाय है। इसके सदस्यों में मुख्य रूप से ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य वर्गों के लोग शामिल हैं। इस सम्प्रदाय में मूलत: ब्राह्मण अनुयायियों की विशेषता हिन्दू देवगण के सभी देवताओं की भक्ति तथा प्राचीन सूत्र पाठों में निर्दिष्ट अनुष्ठान एवं आचार के नियमों का पालन करना है। वे अपने देवता या पूजन-पद्धति के बारे में एकनिष्ठ नहीं हैं।

संस्थापक

स्मार्त नाम संस्कृत शब्द 'स्मृति' से निकला है, जिसे वेदों के विपरीत मानव द्वारा लिखित प्राचीन मूलपाठ माना जाता है। वेदों के विषय में मान्यता है कि उन्हें आध्यात्मिक संतों (ऋषियों) को देववाणी द्वारा उद्घाटित किया गया। स्मार्त सम्प्रदाय स्मृति साहित्य का अनुसरण करता है। उनके महानतम गुरु और कुछ लोगों के अनुसार धार्मिक-सामाजिक समूह का निर्माण करने वाले, आठवीं सदी के दार्शनिक व अद्वैत वेदान्त के प्रतिपादक शंकर इस आन्दोलन के संस्थापक थे। श्रृंगेरी, कर्नाटक में उनके द्वारा स्थापित मठ स्मार्त सम्प्रदाय का केन्द्र बना हुआ है, तथा इस मठ के प्रमुख जगदगुरु, दक्षिण भारत एवं गुजरात में स्मार्तों के आध्यात्मिक गुरु हैं व भारत के प्रमुख धार्मिक व्यक्तित्वों में एक हैं।

पाँच मुख्य देवता

उत्तर के स्मार्त दक्षिण एवं गुजरात के अपने प्रतिरूपों से इन अर्थों में कुछ अलग हैं कि इस नाम का मतलब अनिवार्य रूप से शंकर का अनुयायी होना नहीं है। उत्तर में शुद्ध स्मार्त मन्दिर भी दक्षिण की अपेक्षा कम हैं। स्मार्त अन्य देवताओं के बजाए एक देवता को प्राथमिकता दे सकते हैं और आजकल उनमें शिव अत्यधिक लोकप्रिय हैं। लेकिन वे अपनी उपासना में पाँच मुख्य देवताओं-शिव, विष्णु, शक्ति (उनके दुर्गा, गौरी, लक्ष्मी, सरस्वती जैसे सभी रूपों सहित), सूर्य एवं गणेश की पंचायतन पूजा करते हैं।

अय्यर उपाधि

स्मार्त ब्राह्मण हिन्दू धर्म के सार्वभौमिक मूल्यों को प्राथमिकता देते हैं। वे शिक्षा की सभी शाखाओं में सक्रिय हैं। तमिल में 'अय्यर' उपनाम की उपाधि अक्सर उनके नाम के आगे लगाई जाती है, जो अब कुलनाम बन गया है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख