एकांकी: Difference between revisions
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Revision as of 11:59, 30 June 2013
एकांकी साहित्य की एक विधा है। एक अंक वाले नाटकों को एकांकी कहते हैं। अंग्रेज़ी के 'वन ऐक्ट प्ले' शब्द के लिए हिंदी में 'एकांकी नाटक' और 'एकांकी' दोनों ही शब्दों का समान रूप से व्यवहार होता है।
इतिहास
हिंदी साहित्य के इतिहासकार एकांकी का प्रारंभ भारतेंदु युग से मानते हैं। जयशंकर प्रसाद के 'एक घूँट' (1929ई.) से दूसरा चरण, भुवनेश्वर प्रसाद के 'कारवाँ' (1935 ई.) से तीसरा तथा डॉ. रामकुमार वर्मा के 'रेशमी टाई' (1941 ई.) संकलन से चौथे चरण की शुरूआत कही गई है। किंतु उक्त कालविभाजन में उन एकांकीकारों को सम्मिलित नहीं किया गया है, जिन्होंने 1955 ई. के आसपास लिखना प्रारंभ किया है और आज भी लिख रहे हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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