संजय ख़ान: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
कविता बघेल (talk | contribs) ('{{संजय ख़ान विषय सूची}} {{सूचना बक्सा कलाकार |चित्र=Sanjay-k...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
कविता बघेल (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 19: | Line 19: | ||
|विषय= | |विषय= | ||
|शिक्षा= | |शिक्षा= | ||
|विद्यालय= | |विद्यालय=सेंट जर्मेन हाई स्कूल, बैंगलोर | ||
|पुरस्कार-उपाधि=उत्तर प्रदेश फ़िल्म पत्रकार एसोसिएशन अवार्ड (1981), आंध्र प्रदेश पत्रकार पुरस्कार (1986), | |पुरस्कार-उपाधि=उत्तर प्रदेश फ़िल्म पत्रकार एसोसिएशन अवार्ड (1981), आंध्र प्रदेश पत्रकार पुरस्कार (1986), लाइफ़टाइम अचीवर अवॉर्ड (1996) | ||
|प्रसिद्धि=अभिनेता | |प्रसिद्धि=अभिनेता | ||
|विशेष योगदान= | |विशेष योगदान= | ||
Line 29: | Line 29: | ||
|शीर्षक 2= | |शीर्षक 2= | ||
|पाठ 2= | |पाठ 2= | ||
|अन्य जानकारी= | |अन्य जानकारी=संजय ख़ान कारों, खास तौर से इंपोर्टेड कारों के बड़े शौक़ीन हैं। घोड़ों और कुत्तों से उन्हें खास लगाव है। वह बढ़िया घुड़सवार भी हैं। | ||
|बाहरी कड़ियाँ= | |बाहरी कड़ियाँ= | ||
|अद्यतन= | |अद्यतन= | ||
Line 36: | Line 36: | ||
==परिचय== | ==परिचय== | ||
{{मुख्य| संजय ख़ान का जीवन परिचय}} | {{मुख्य| संजय ख़ान का जीवन परिचय}} | ||
संजय ख़ान का जन्म 3 जनवरी, 1941 में बैंगलोर (अब [[कर्नाटक]]) में एक गजनीवी पठान मुस्लिम उदारवादी परिवार में हुआ था। इन्हें आज भी नई चीजों को सीखने और अपनी जिंदगी में आजमाने का शौक बरकरार है। इन्होंने बिशप कॉटन बॉयज़ स्कूल, बैंगलोर और सेंट जर्मेन हाई स्कूल, बैंगलोर में शिक्षा प्राप्त की। संजय ख़ान की दूसरी पहचान [[फिरोज ख़ान]] और अकबर ख़ान जैसे अभिनेताओं के भाई के तौर पर भी होती | संजय ख़ान का जन्म 3 जनवरी, 1941 में बैंगलोर (अब [[कर्नाटक]]) में एक गजनीवी पठान मुस्लिम उदारवादी परिवार में हुआ था। इन्हें आज भी नई चीजों को सीखने और अपनी जिंदगी में आजमाने का शौक बरकरार है। इन्होंने बिशप कॉटन बॉयज़ स्कूल, बैंगलोर और सेंट जर्मेन हाई स्कूल, बैंगलोर में शिक्षा प्राप्त की। संजय ख़ान की दूसरी पहचान [[फिरोज ख़ान]] और अकबर ख़ान जैसे अभिनेताओं के भाई के तौर पर भी होती है।<ref>{{cite web |url=http://days.jagranjunction.com/2013/01/03/%E0%A4%87%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%B9%E0%A5%8B%E0%A4%82%E0%A4%A8%E0%A5%87-%E0%A4%9C%E0%A5%80%E0%A4%A8%E0%A4%A4-%E0%A4%95%E0%A5%8B-%E0%A4%B8%E0%A4%AC%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%AE/ |title=Sanjay Khan Profile : इन्होंने जीनत को सबके सामने चांटा मारा था |accessmonthday=10 जून |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=days.jagranjunction.com |language=हिंदी}}</ref> | ||
==फ़िल्मी सफ़र== | ==फ़िल्मी सफ़र== | ||
{{मुख्य| संजय ख़ान का फ़िल्मी कॅरियर}} | {{मुख्य| संजय ख़ान का फ़िल्मी कॅरियर}} | ||
संजय ख़ान ने फिल्मों के निर्माता और निर्देशक बने, जिसमें उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई और चंडी सोना (1977), अब्दुल्ला (1980) और कल ढांडा गोरो लॉग (1986) जैसी लोकप्रिय फिल्मों के लेख लिखें। | संजय ख़ान ने फिल्मों के निर्माता और निर्देशक बने, जिसमें उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई और चंडी सोना (1977), अब्दुल्ला (1980) और कल ढांडा गोरो लॉग (1986) जैसी लोकप्रिय फिल्मों के लेख लिखें। | ||
==मुख्य फ़िल्में== | ==मुख्य फ़िल्में== | ||
{{मुख्य| संजय ख़ान की प्रमुख फ़िल्में}} | |||
संजय ख़ान ने ‘द स्वॉर्ड ऑफ टीपू सुल्तान’ नाम के टी.वी. सीरियल में अभिनय किया। जिसमें उनका किरदार टीपू काफी लोकप्रिय रहा। फिर बाद में आई उनकी कुछ सुपरहिट फ़िल्में 1975 में ‘जिंदगी और तूफान’, 1977 ‘मेरा वचन गीता की कसम’, 1971 ‘मेला’, 1972 ‘सबका साथी’, दोस्ती, बेटी, सोने के हाथ, नागिन, वो दिन याद करो, एक फूल दो माली, हैं। इतना ही नहीं संजय ख़ान ने ‘जय हनुमान’, ‘मर्यादावाद पुरुषोत्तम’ जैसे टी.वी. सीरियल करके निर्देशन की दुनिया में अपनी नई पहचान बनाई। | संजय ख़ान ने ‘द स्वॉर्ड ऑफ टीपू सुल्तान’ नाम के टी.वी. सीरियल में अभिनय किया। जिसमें उनका किरदार टीपू काफी लोकप्रिय रहा। फिर बाद में आई उनकी कुछ सुपरहिट फ़िल्में 1975 में ‘जिंदगी और तूफान’, 1977 ‘मेरा वचन गीता की कसम’, 1971 ‘मेला’, 1972 ‘सबका साथी’, दोस्ती, बेटी, सोने के हाथ, नागिन, वो दिन याद करो, एक फूल दो माली, हैं। इतना ही नहीं संजय ख़ान ने ‘जय हनुमान’, ‘मर्यादावाद पुरुषोत्तम’ जैसे टी.वी. सीरियल करके निर्देशन की दुनिया में अपनी नई पहचान बनाई। | ||
==पुरस्कार एवं उपलब्धियां== | ==पुरस्कार एवं उपलब्धियां== | ||
Line 52: | Line 47: | ||
*उत्तर प्रदेश फ़िल्म पत्रकार एसोसिएशन अवार्ड (1981) | *उत्तर प्रदेश फ़िल्म पत्रकार एसोसिएशन अवार्ड (1981) | ||
*आंध्र प्रदेश पत्रकार पुरस्कार (1986) | *आंध्र प्रदेश पत्रकार पुरस्कार (1986) | ||
* | *लाइफ़टाइम अचीवर अवॉर्ड (1996) | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक3 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक3 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} |
Revision as of 11:58, 11 June 2017
संजय ख़ान
| |
पूरा नाम | संजय ख़ान |
जन्म | 3 जनवरी, 1941 |
जन्म भूमि | बैंगलोर |
अभिभावक | पिता: सादिक अली ख़ान तानोली और माता - फातिमा ख़ान |
पति/पत्नी | जीनत अमान (1978-1979), जरीन ख़ान (1955) |
संतान | फ़राह ख़ान अली, सिमोन अरोड़ा, सुजैन ख़ान, जायद ख़ान |
कर्म भूमि | मुम्बई |
कर्म-क्षेत्र | अभिनेता, निर्माता-निर्देशक |
विद्यालय | सेंट जर्मेन हाई स्कूल, बैंगलोर |
पुरस्कार-उपाधि | उत्तर प्रदेश फ़िल्म पत्रकार एसोसिएशन अवार्ड (1981), आंध्र प्रदेश पत्रकार पुरस्कार (1986), लाइफ़टाइम अचीवर अवॉर्ड (1996) |
प्रसिद्धि | अभिनेता |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | संजय ख़ान कारों, खास तौर से इंपोर्टेड कारों के बड़े शौक़ीन हैं। घोड़ों और कुत्तों से उन्हें खास लगाव है। वह बढ़िया घुड़सवार भी हैं। |
संजय ख़ान (अंग्रेज़ी: Sanjay Khan, जन्म: 3 जनवरी, 1941 बैंगलोर) भारतीय फ़िल्म अभिनेता, निर्माता-निर्देशक और टेलीविजन निर्देशक है। अब्बास ख़ान निर्देशित चेतन आनंद की फ़िल्म (1964) 'हकीकत' से अपने कॅरियर की शुरुआत की थी। 1960 और 1970 के दशक में, ख़ान ने कई हिट फ़िल्मों में अभिनय किया, जैसे 'दो लाख', 'एक फूल दो माली', 'इंतकाम' आदि। संजय ख़ान ने 30 से अधिक फ़िल्मों में अभिनय किया है। 1990 में उन्हें प्रसिद्ध ऐतिहासिक कथा टेलीविजन श्रृंखला ‘द स्वॉर्ड ऑफ टीपू सुल्तान’ नाम के टी.वी. सीरियल में अभिनय किया जिसमें उनका किरदार टीपू काफी लोकप्रिय रहा था।
परिचय
संजय ख़ान का जन्म 3 जनवरी, 1941 में बैंगलोर (अब कर्नाटक) में एक गजनीवी पठान मुस्लिम उदारवादी परिवार में हुआ था। इन्हें आज भी नई चीजों को सीखने और अपनी जिंदगी में आजमाने का शौक बरकरार है। इन्होंने बिशप कॉटन बॉयज़ स्कूल, बैंगलोर और सेंट जर्मेन हाई स्कूल, बैंगलोर में शिक्षा प्राप्त की। संजय ख़ान की दूसरी पहचान फिरोज ख़ान और अकबर ख़ान जैसे अभिनेताओं के भाई के तौर पर भी होती है।[1]
फ़िल्मी सफ़र
संजय ख़ान ने फिल्मों के निर्माता और निर्देशक बने, जिसमें उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई और चंडी सोना (1977), अब्दुल्ला (1980) और कल ढांडा गोरो लॉग (1986) जैसी लोकप्रिय फिल्मों के लेख लिखें।
मुख्य फ़िल्में
संजय ख़ान ने ‘द स्वॉर्ड ऑफ टीपू सुल्तान’ नाम के टी.वी. सीरियल में अभिनय किया। जिसमें उनका किरदार टीपू काफी लोकप्रिय रहा। फिर बाद में आई उनकी कुछ सुपरहिट फ़िल्में 1975 में ‘जिंदगी और तूफान’, 1977 ‘मेरा वचन गीता की कसम’, 1971 ‘मेला’, 1972 ‘सबका साथी’, दोस्ती, बेटी, सोने के हाथ, नागिन, वो दिन याद करो, एक फूल दो माली, हैं। इतना ही नहीं संजय ख़ान ने ‘जय हनुमान’, ‘मर्यादावाद पुरुषोत्तम’ जैसे टी.वी. सीरियल करके निर्देशन की दुनिया में अपनी नई पहचान बनाई।
पुरस्कार एवं उपलब्धियां
- उत्तर प्रदेश फ़िल्म पत्रकार एसोसिएशन अवार्ड (1981)
- आंध्र प्रदेश पत्रकार पुरस्कार (1986)
- लाइफ़टाइम अचीवर अवॉर्ड (1996)
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ Sanjay Khan Profile : इन्होंने जीनत को सबके सामने चांटा मारा था (हिंदी) days.jagranjunction.com। अभिगमन तिथि: 10 जून, 2017।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख