पद्मसम्भव: Difference between revisions
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*[[तिब्बत]] के राजा ख्रि-स्रोड-लदे-वचन् के निमंत्रण पर वह तिब्बत गया और वहाँ पर उसने तंत्रयान का प्रचार किया। | |||
*तिब्बती लोगों को विश्वास था कि उसे ऐसी सिद्धियाँ प्राप्त थीं, जिनसे वह अलौकिक चमत्कार दिखा सकता था। | |||
*पद्मसम्भ्व ने तिब्बत में [[बौद्ध धर्म]] के जिस सम्प्रदाय की स्थापना की, उसे पश्चिमी विद्वान 'लाल टोपीवाले' कहते हैं। | |||
*तिब्बत के राजा तथा वहाँ के बहुत से तिब्बतियों को पद्मसम्भव ने अपना शिष्य बनाया। | |||
*उसने तिब्बत में बौद्ध धर्म के जिस रूप का प्रचार किया, वह 'लामा धर्म' के नाम से विख्यात है। | |||
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Revision as of 09:38, 22 October 2011
पद्मसम्भव एक प्रसिद्ध भारतीय भिक्षुक था, जो आठवीं शताब्दी ई. के मध्यकाल में था। कहा जाता है कि वह पहले उद्यान (स्वार्त) का राजकुमार था और उसने बौद्ध भिक्षु की दीक्षा ली थी।
- तिब्बत के राजा ख्रि-स्रोड-लदे-वचन् के निमंत्रण पर वह तिब्बत गया और वहाँ पर उसने तंत्रयान का प्रचार किया।
- तिब्बती लोगों को विश्वास था कि उसे ऐसी सिद्धियाँ प्राप्त थीं, जिनसे वह अलौकिक चमत्कार दिखा सकता था।
- पद्मसम्भ्व ने तिब्बत में बौद्ध धर्म के जिस सम्प्रदाय की स्थापना की, उसे पश्चिमी विद्वान 'लाल टोपीवाले' कहते हैं।
- तिब्बत के राजा तथा वहाँ के बहुत से तिब्बतियों को पद्मसम्भव ने अपना शिष्य बनाया।
- उसने तिब्बत में बौद्ध धर्म के जिस रूप का प्रचार किया, वह 'लामा धर्म' के नाम से विख्यात है।
- तिब्बती लोग बुद्ध के समान ही 'पद्मसम्भव' की भी पूजा करते हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
भट्टाचार्य, सच्चिदानन्द भारतीय इतिहास कोश, द्वितीय संस्करण-1989 (हिन्दी), भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, 232।