नरी सेमरी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
Line 44: Line 44:
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{ब्रज के दर्शनीय स्थल}}
{{ब्रज के दर्शनीय स्थल}}{{उत्तर प्रदेश के धार्मिक स्थल}}
[[Category:ब्रज]][[Category:उत्तर प्रदेश]][[Category:हिन्दू धार्मिक स्थल]][[Category:धार्मिक स्थल कोश]][[Category:ब्रज के धार्मिक स्थल]][[Category:उत्तर प्रदेश के धार्मिक स्थल]][[Category:उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थल]][[Category:पर्यटन कोश]]
[[Category:ब्रज]][[Category:उत्तर प्रदेश]][[Category:हिन्दू धार्मिक स्थल]][[Category:धार्मिक स्थल कोश]][[Category:ब्रज के धार्मिक स्थल]][[Category:उत्तर प्रदेश के धार्मिक स्थल]][[Category:उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थल]][[Category:पर्यटन कोश]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__
{{सुलेख}}
{{सुलेख}}

Latest revision as of 09:47, 9 November 2016

नरी सेमरी
विवरण 'नरी सेमरी' मथुरा, उत्तर प्रदेश स्थित प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। माता के नवरात्र के नौ दिनों में यहाँ भारी मेला आयोजित होता है।
राज्य उत्तर प्रदेश
स्थान छाता, मथुरा
संबंधित लेख ब्रज, ब्रज का कृष्ण काल, नवरात्र, गुप्त नवरात्र, मथुरा, उत्तर प्रदेश पर्यटन
अन्य जानकारी 'वृन्दावनलीलामृत' के अनुसार 'हरि' शब्द के अपभ्रंश के रूप में इस गाँव का नाम 'नरी' हुआ है।

नरी सेमरी छाता, मथुरा से चार मील दक्षिण-पूर्व में 'सेमरी गाँव' में स्थित है। इसका शुद्ध एवं पूर्व नाम 'किन्नरी श्यामरी' है। सेमरी के पास ही दक्षिण दिशा में एक मील दूर नरी गाँव है। सेमरी गाँव में 'यूथेश्वरी श्यामला सखी' का निवास था।

नामकरण

नरी सेमरी के नाम से जुड़ी एक कथा कही जाती है, जो निम्न प्रकार है-

किसी समय मानिनी श्री राधिका का मान भंग नहीं हो रहा था। ललिता, विशाखा आदि सखियों ने भी बहुत चेष्टाएँ कीं, किन्तु मान और भी अधिक बढ़ता गया। अन्त में सखियों के परामर्श से श्रीकृष्ण 'श्यामरी' सखी बनकर वीणा बजाते हुए यहाँ आये। राधिका श्यामरी सखी का अद्भुत रूप तथा वीणा की स्वर लहरियों पर उतराव और चढ़ाव के साथ मूर्छना आदि रागों से अलंकृत संगीत को सुनकर ठगी-सी रह गईं। उन्होंने पूछा- "सखि! तुम्हारा नाम क्या है? और तुम्हारा निवास-स्थान कहाँ है?"

सखी बने हुए कृष्ण ने उत्तर दिया- "मेरा नाम श्यामरी है। मैं स्वर्ग की किन्नरी हूँ।" राधिका श्यामरी किन्नरी का वीणा वाद्य एवं सुललित संगीत सुनकर अत्यन्त विह्वल हो गईं और अपने गले से रत्नों का हार श्यामरी किन्नरी के गले में अर्पण करने के लिए प्रस्तुत हुई, किन्तु श्यामरी किन्नरी ने हाथ जोड़कर उनके श्री चरणों में निवदेन किया कि आप कृपा कर अपना मान रूपी रत्न मुझे प्रदान करें। इतना सुनते ही राधिका जी समझ गईं कि ये मेरे प्रियतम ही मुझसे मान रत्न मांग रहे हैं। फिर तो प्रसन्न होकर उनसे मिलीं। सखियाँ भी उनका परस्पर मिलन कराकर अत्यन्त प्रसन्न हुईं। इस मधुर लीला के कारण ही इस स्थान का नाम 'किन्नरी' से 'नरी' तथा 'श्यामरी' से 'सेमरी' हो गया है।

  • 'वृन्दावनलीलामृत' के अनुसार 'हरि' शब्द के अपभ्रंश के रूप में इस गाँव का नाम 'नरी' हुआ है।

अन्य प्रसंग

जिस समय कृष्ण-बलराम ब्रज छोड़कर मथुरा के लिए प्रस्थान करने लगे, अक्रूर ने उन दोनों को रथ पर चढ़ाकर बड़ी शीघ्रता से मथुरा की ओर रथ को हाँक दिया। गोपियाँ खड़ी हो गईं और एकटक से रथ की ओर देखने लगीं। किन्तु धीरे-धीरे रथ आँखों से ओझल हो गया। धीरे-धीरे उड़ती हुई धूल भी शान्त हो गई। तब वे "हा हरि! हा हरि!" कहती हुईं पछाड़ खाकर धरती पर गिर पड़ीं। इस लीला की स्मृति की रक्षा के लिए महाराज वज्रनाभ ने वहाँ जो गाँव बसाया, वह गाँव ब्रज में हरि नाम से प्रसिद्ध हुआ। धीरे-धीरे हरि शब्द का ही अपभ्रंश ही नरी हो गया। नरी गाँव में किशोरी कुण्ड, संकर्षण कुण्ड और श्री बलदेव जी का दर्शन है।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. नरीसेमरी (हिन्दी) (पी.एच.पी) ब्रजडिस्कवरी। अभिगमन तिथि: 30 सितंबर, 2011।

संबंधित लेख


सुव्यवस्थित लेख|link=भारतकोश:सुव्यवस्थित लेख