पितृ कुण्ड, वाराणसी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 10:11, 10 November 2016 by रिंकू बघेल (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

पितृ कुण्ड उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी नगर में स्थित है। महाभारत में जलदान की महिमा का वर्णन किया गया है। संसार में जल से अधिक किसी भी दान को बड़ा नहीं बताया गया है। भलाई चाहने वाला मनुष्य प्रतिदिन जल का दान करे। भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि “जल सर्वदेव मय है। अधिक क्या कहें यह मेरा स्वरूप है। पवित्रता के लिए भूमि की शुद्धि जल से करें।“

धार्मिक मान्यता

अपव्यय न करें (महाभारत आश्वमेधिक पर्व) न केवल शरीर, इन्द्रियों और चित्त की शुद्धि भी जल के आचमन से होती है अपितु भगवान श्रीकृष्ण ने आत्मशुद्धि के लिये भी जल के आचमन की संस्तुति की है। जल के कारण ही तीर्थों की विशिष्टता है। पितरों के तर्पण में जल की प्रधानता हैं। प्राचीन काल में बाण को शक्तिशाली बनाने के लिये योद्धा बाण संचालन के पूर्व जल का विनियोग करते और मन्त्र पढ़ते थे। तब कहीं सामान्य बाण नारायणशस्त्र, पाशुपतास्त्र आदि के रूप में परिवर्तित हो जाते थे। काशी गया के नाम से विख्यात तीर्थ पितृ कुण्ड, मातृ कुण्ड और पिशाचमोचन त्रिपुरान्तकेश्वर क्षेत्र में अवस्थित है। इसी क्षेत्र में सूर्य कुण्ड, मिसिर पोखरा और लक्ष्मी कुण्ड भी है। इस क्षेत्र में देवायतनों की संख्या अपेक्षाकृत कम है।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कुंड व तालाब (हिंदी) काशी कथा। अभिगमन तिथि: 11 जनवरी, 2014।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः