विशाखा

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 10:17, 6 July 2018 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs) (''''विशाखा''' एक प्रबुद्ध बौद्ध महिषी, योग्य और एक संस...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

विशाखा एक प्रबुद्ध बौद्ध महिषी, योग्य और एक संस्कारवान महिला थी।

परिचय

विशाखा का जन्म श्रावस्ती के निकट साकेत नगर में धनंजय नाम के सेठ के घर में हुआ था। उसका विवाह श्रावस्ती के सेठ भिगार के बेटे पूर्ववर्धन के साथ हुआ था।

कथा

एक बार जब सेठ भिगार खाना खा रहे थे और विशाखा अपने ससुर को पंखा से हवा कर रही थी, उसी समय एक भिखारी द्वार पर भिक्षा के लिये आ गया। भिखारी को देखकर विशाखा बोली कि "इस समय मेरे ससुर बासी भोजन कर रहे हैं, अतः आज आप आगे जाकर भिक्षा लें।" विशाखा की बात सुनकर सेठ बहुत नाराज हो गया और विशाखा को घर से बाहर निकाल देने का आदेश दे दिया। विशाखा इस बात से विचलित नहीं हुई। उसने कहा "पहले विवाह की शर्त के अनुसार मेरे पिता को बताए हुए 8 ब्राह्मणों के सामने मेरा अपराध सिद्ध कीजिए।"[1]

योग्य प्रबुद्ध बौद्ध महिषी

विशाखा एक योग्य प्रबुद्ध बौद्ध महिषी थी, यह बात इस निर्णय से स्पष्ट हो जाती है कि जब अपराध सिद्ध करने के लिये ब्राह्मण बुलाए गए तो विशाखा ने स्पष्ट किया कि मेरे कहने का तात्पर्य यह था कि मेरे ससुर पुण्य का कोई नया काम न करके अपने पिछले पुण्यों का ही भोग कर रहे हैं। इसलिए मैंने इसे बासी खाना बताया। विशाखा ने यह भी कहा कि "मुझे अपने पिता की दी हुई शिक्षा भी याद है कि घर की आग बाहर न ले जाई जाए और बाहर की आग अंदर न लाई जाए।" विशाखा ने सुखी जीवन के लिए पिता द्वारा बताए गये अन्य उपदेशों की भी जानकारी दी। उक्त बातों को सुनकर उपस्थित विद्वानों ने सेठ को ही इतनी योग्य बहू को प्रताड़ित करने का दोषी ठहराया। सेठ अपनी गलती समझ गया और उसने बुद्ध के चरणों में सिर झुकाकर क्षमा याचना की और कहा "यदि विशाखा मेरे घर न आती तो मैं अंधेरे में पड़ा रहता।" विशाखा ने पूर्वाराम नामक उद्यान में 'भिक्षु संघ' के लिए 'भिगार माता प्रसाद' नाम से एक भव्य भवन का निर्माण कराया था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 805 |

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः