Difference between revisions of "शिशुनाग वंश"

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'''शिशुनाग वंश''' भारत का एक प्राचीन राजवंश रहा है, जिसका प्रवर्तक 'शिशुनाग' को माना जाता है। इस राजवंश में[[गौतम बुद्ध]] और [[महावीर|वर्धमान महावीर]] का समकालीन [[बिम्बिसार]] नामक शासक हुआ था। शिशुनाग वंश का शासनकाल बिम्बिसार और [[अजातशत्रु]] के बाद का था। इस काल को आमतौर पर [[नन्दवंश]] से ठीक पहले का माना जाता है और इसका काल लगभग पाँचवीं ई. पू. से चौथी शताब्दी के मध्य तक का है।
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'''शिशुनाग वंश''' [[मगध]] राज्य (दक्षिण [[बिहार]], [[भारत]]) का एक प्राचीन राजवंश था। इस वंश का संस्थापक शिशुनाग को माना जाता है, जिसके नाम पर इस वंश का नाम शिशुनाग वंश पड़ा। इस वंश का शासनकाल [[बिम्बिसार]] और [[अजातशत्रु]] ([[बुद्ध]] के समकालीन) के बाद का था। इस काल को आमतौर पर [[नंद वंश]] से ठीक पहले का माना जाता है और इसका काल लगभग पाँचवीं ई. पू. से चौथी शताब्दी के मध्य तक का है।
====साम्राज्य विस्तार====
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इस वंश के संस्थापक 'शिशुनाग' के प्रतिनिधि थे। धीरे-धीरे वह [[मगध]] की प्राचीन राजधानी [[गिरिव्रज]] या [[राजगीर]] से जुड़े और [[वैशाली]] (उत्तर बिहार) को पुनर्स्थापित किया। शिशुनाग वंश का शासनकाल अपने पूर्ववर्ती शासकों की तरह [[मगध साम्राज्य]] के तीव्र विस्तार के इतिहास में एक चरण का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने अवंतिवर्द्धन के विरुद्ध विजय प्राप्त की और अपने साम्राज्य में [[अवंति]] (मध्य भारत) को सम्मिलित कर लिया।
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*शिशुनाग वंश के संस्थापक शिशुनाग के प्रतिनिधि थे।
====अन्त====
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*इस वंश के राजा मगध की प्राचीन राजधानी [[गिरिव्रज]] या [[राजगीर]] से जुड़े और [[वैशाली]] (उत्तर बिहार) को पुनर्स्थापित किया।
शिशुनाग के पुत्र कालाशोक के काल को प्रमुखत: दो महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए जाना जाता है- वैशाली में दूसरी बौद्ध परिषद की बैठक और [[पाटलिपुत्र]] (आधुनिक [[पटना]], [[बिहार]]) में मगध की राजधानी का स्थानान्तरण। शिशुनाग वंश के पतन का इतिहास भी मगध के [[मौर्य वंश]] से पूर्व के इतिहास जितना ही अस्पष्ट है। पारम्परिक स्रोतों के अनुसार कालाशोक के 10 पुत्र थे, 'काकवर्ण', 'क्षेमधर्म', 'क्षेमजित', 'बिम्बिसार' अथवा 'श्रेणिक', 'अजातशत्रु', 'दर्शक', 'उदयी' अथवा 'उदयन', 'नंदिवर्द्धन' और 'महानंदी', परन्तु उनका कोई विवरण ज्ञात नहीं है। माना जाता है कि अन्तिम राजा को प्राय: 470 ई. में नन्दवंश के संस्थापक [[महापद्मनंद]] ने गद्दी से उतारकर मार डाला और शिशुनाग वंश के शासन का अन्त हो गया। किन्तु [[सिंहली]] अनुश्रुतियों के अनुसार शिशुनाग के वंशजों ने [[हर्यक वंश]] के शासक [[बिम्बिसार]] और उसके उत्तराधिकारियों के उपरान्त शासन किया था।
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*शिशुनाग का शासनकाल अपने पूर्ववर्ती शासकों की तरह [[मगध साम्राज्य]] के तीव्र विस्तार के इतिहास में एक चरण का प्रतिनिधित्व करता है।
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*उसने अवंतिवर्द्धन के विरुद्ध विजय प्राप्त की और अपने साम्राज्य में [[अवंति]] (मध्य भारत) को सम्मिलित कर लिया।
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*शिशुनाग के पुत्र कालाशोक के काल को प्रमुखत: दो महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए जाना जाता है- वैशाली में दूसरी 'बौद्ध परिषद' की बैठक और [[पाटलिपुत्र]] (आधुनिक [[पटना]]) में मगध की राजधानी का स्थानान्तरण।
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*शिशुनाग वंश के पतन का इतिहास भी [[मगध]] के [[मौर्य वंश]] से पूर्व के इतिहास जितना ही अस्पष्ट है।
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*पारम्परिक स्रोतों के अनुसार कालाशोक के 10 पुत्र थे, परन्तु उनका कोई विवरण ज्ञात नहीं है।
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*माना जाता है कि [[नंद वंश]] के संस्थापक [[महापद्मनंद]] द्वारा कालाशोक की निर्दयतापूर्वक हत्या कर दी गई और शिशुनाग वंश के शासन का अन्त हो गया।
  
 
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==संबंधित लेख==
 
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Revision as of 06:46, 14 December 2011

shishunag vansh magadh rajy (dakshin bihar, bharat) ka ek prachin rajavansh tha. is vansh ka sansthapak shishunag ko mana jata hai, jisake nam par is vansh ka nam shishunag vansh p da. is vansh ka shasanakal bimbisar aur ajatashatru (buddh ke samakalin) ke bad ka tha. is kal ko amataur par nand vansh se thik pahale ka mana jata hai aur isaka kal lagabhag paanchavian ee. poo. se chauthi shatabdi ke madhy tak ka hai.

  • shishunag vansh ke sansthapak shishunag ke pratinidhi the.
  • is vansh ke raja magadh ki prachin rajadhani girivraj ya rajagir se ju de aur vaishali (uttar bihar) ko punarsthapit kiya.
  • shishunag ka shasanakal apane poorvavarti shasakoan ki tarah magadh samrajy ke tivr vistar ke itihas mean ek charan ka pratinidhitv karata hai.
  • usane avantivarddhan ke viruddh vijay prapt ki aur apane samrajy mean avanti (madhy bharat) ko sammilit kar liya.
  • shishunag ke putr kalashok ke kal ko pramukhat: do mahatvapoorn ghatanaoan ke lie jana jata hai- vaishali mean doosari 'bauddh parishad' ki baithak aur pataliputr (adhunik patana) mean magadh ki rajadhani ka sthanantaran.
  • shishunag vansh ke patan ka itihas bhi magadh ke maury vansh se poorv ke itihas jitana hi aspasht hai.
  • paramparik srotoan ke anusar kalashok ke 10 putr the, parantu unaka koee vivaran jnat nahian hai.
  • mana jata hai ki nand vansh ke sansthapak mahapadmanand dvara kalashok ki nirdayatapoorvak hatya kar di gee aur shishunag vansh ke shasan ka ant ho gaya.


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh

sanbandhit lekh

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