सुआ: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "हिंदी" to "हिन्दी") |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 3: | Line 3: | ||
{{main|तोता}} | {{main|तोता}} | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | |||
{{लेख प्रगति|आधार= | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
Line 14: | Line 12: | ||
{{पशु पक्षी}} | {{पशु पक्षी}} | ||
[[Category:प्राणि विज्ञान]] | [[Category:प्राणि विज्ञान]] | ||
[[Category:विज्ञान कोश]] | [[Category:प्राणि विज्ञान कोश]] | ||
[[Category:पक्षी]] | [[Category:पक्षी]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ | __NOTOC__ |
Latest revision as of 14:07, 2 January 2015
thumb|तोता पारम्परिक भारतीय संस्कृत - हिन्दी साहित्य में प्रेमी प्रेमिका के बीच संदेश लाने ले जाने वाले संदेश्वाहक का कार्य 'शुक' करता रहा है। मानवों की बोलियों की हूबहू नक़ल उतारने के गुण होने के कारण और सदियों से घरों में पाले जाने के साथ ही कन्याओं का विशेष प्रिय होने के कारण शुक (सुआ) नारियों का प्रिय रहा है। है। मनुष्य की बोली की नक़ल उतारने में सिद्धहस्त इस पक्षी को साक्षी मानकर उसे अपने दिल का हाल बताने और संदेश भेज कर वियोगिनी यह संतोष करती है कि उसका संदेश उसके प्रेमी तक पहुँच गया है। कालांतर में सुआ के माध्यम से नारियों के मन के भाव और संदेश लोकगीतों में गाये जाने लगे
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
- REDIRECT साँचा:जीव जन्तु