प्रद्योत राजवंश: Difference between revisions

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====चण्ड प्रद्योत====
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राजा प्रद्योत अपने समकालीन समस्त राजाओं में प्रमुख था, इसलिए उसे "चण्ड" कहा जाता था। प्रद्योत के समय [[अवन्ति]] की उन्नति चरमोत्कर्ष पर थी। चंड प्रद्योत का वत्स नरेश 'उद्मन' के साथ दीर्घकालीन संघर्ष हुआ, किंतु बाद में उसने अपनी पुत्री '[[वासवदत्ता]]' का [[विवाह]] उद्मन से कर मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित किया। [[बौद्ध]] ग्रंथ "[[विनयपिटक]]" के अनुसार चण्ड प्रद्योत के [[मगध]] नरेश [[बिम्बिसार]] के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध थे। जब चण्ड प्रद्योत [[पीलिया रोग]] से ग्रसित था, तब बिम्बिसार ने अपने राजवैद्य 'जीवक' को [[उज्जयिनी]] भेजकर उसका उपचार कराया था, परंतु उसके उत्तराधिकारी [[अजातशत्रु]] के अवन्ति नरेश से संबंध अच्छे नहीं थे।
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==अन्य शासक==
==अन्य शासक==
"मंझिमनिकाय" से ज्ञात होता है कि चण्ड प्रद्योत के सम्भावित आक्रमण के भय से अजातशत्रु ने अपनी राजधानी [[राजगृह]] की सुदृढ़ क़िलाबंदी कर ली थी। चण्ड प्रद्योत के पश्चात उसका पुत्र 'पालक' संभवतः अपने अग्रज 'गोपाल' को हटाकर उज्जयिनी के राजसिंहासन पर बैठा था। पालक को [[मगध]] नरेश उद्मन ने कई बार पराजित किया, किंतु अंततः पालक की उद्मन की हत्या करने की योजना फलीभूत हो गई। पालक एक अत्याचारी शासक था। प्रजा ने उसके विरुद्ध सफल विद्रोह कर उसे गद्दी से हटाकर आर्यक को वहाँ का राजा बनाया था।<ref name="ab"/>
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[[पुराण|पुराणों]] के अनुसार प्रद्योत राजवंश का अंतिम शासक [[नन्दिवर्धन]] था। मगध की बढ़ती शक्ति के समक्ष धीरे-धीरे [[अवन्ति]] कमज़ोर होता रहा। अंततः मगध नरेश [[शिशुनाग]] ने प्रद्योत राजवंश का अंत कर दिया तथा [[शूरसेन जनपद|शूरसेन]] सहित अवन्ति राज्य को भी मगध में मिला लिया गया।
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Latest revision as of 07:47, 23 June 2017

प्रद्योत राजवंश प्राचीन भारत में राज्य करने वाला वंश था। 6वीं सदी ई. पू. 'वीतिहोत्र' नामक वंश ने हैहय राजवंश को हटाकर अवन्ति में अपनी राजनीतिक सत्ता की स्थापना की। परंतु इसके तुरंत बाद ही प्रद्योत राजवंश के शासकों ने वीतिहोत्रों के राज्य पर अपना अधिकार कर लिया। प्रद्योत वंश के अभ्युदय के साथ यहाँ के इतिहास के बारे में साक्ष्य मिलने शुरू हो जाते हैं।

पौराणिक साक्ष्य

पुराणों से प्रमाण मिलता है कि गौतम बुद्ध के समय 'अमात्य पुलिक'[1] ने समस्त क्षत्रियों के सम्मुख अपने स्वामी की हत्या करके अपने पुत्र 'प्रद्योत' को अवन्ति के सिंहासन पर बैठाया था। 'हर्षचरित' के अनुसार इस अमात्य का नाम 'पुणक' या 'पुणिक' था। इस प्रकार वीतिहोत्र कुल के शासन की समाप्ति हो गई तथा 546 ई. पू. यहाँ प्रद्योत राजवंश का शासन स्थापित हो गया।[2]

चण्ड प्रद्योत

राजा प्रद्योत अपने समकालीन समस्त राजाओं में प्रमुख था, इसलिए उसे "चण्ड" कहा जाता था। प्रद्योत के समय अवन्ति की उन्नति चरमोत्कर्ष पर थी। चंड प्रद्योत का वत्स नरेश 'उद्मन' के साथ दीर्घकालीन संघर्ष हुआ, किंतु बाद में उसने अपनी पुत्री 'वासवदत्ता' का विवाह उद्मन से कर मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित किया। बौद्ध ग्रंथ "विनयपिटक" के अनुसार चण्ड प्रद्योत के मगध नरेश बिम्बिसार के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध थे। जब चण्ड प्रद्योत पीलिया रोग से ग्रसित था, तब बिम्बिसार ने अपने राजवैद्य 'जीवक' को उज्जयिनी भेजकर उसका उपचार कराया था, परंतु उसके उत्तराधिकारी अजातशत्रु के अवन्ति नरेश से संबंध अच्छे नहीं थे।

अन्य शासक

"मंझिमनिकाय" से ज्ञात होता है कि चण्ड प्रद्योत के सम्भावित आक्रमण के भय से अजातशत्रु ने अपनी राजधानी राजगृह की सुदृढ़ क़िलाबंदी कर ली थी। चण्ड प्रद्योत के पश्चात् उसका पुत्र 'पालक' संभवतः अपने अग्रज 'गोपाल' को हटाकर उज्जयिनी के राजसिंहासन पर बैठा था। पालक को मगध नरेश उद्मन ने कई बार पराजित किया, किंतु अंततः पालक की उद्मन की हत्या करने की योजना फलीभूत हो गई। पालक एक अत्याचारी शासक था। प्रजा ने उसके विरुद्ध सफल विद्रोह कर उसे गद्दी से हटाकर आर्यक को वहाँ का राजा बनाया था।[2]

पतन

पुराणों के अनुसार प्रद्योत राजवंश का अंतिम शासक नन्दिवर्धन था। मगध की बढ़ती शक्ति के समक्ष धीरे-धीरे अवन्ति कमज़ोर होता रहा। अंततः मगध नरेश शिशुनाग ने प्रद्योत राजवंश का अंत कर दिया तथा शूरसेन सहित अवन्ति राज्य को भी मगध में मिला लिया गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सुनिक
  2. 2.0 2.1 मालवा के विभिन्न राजवंश (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 11 अप्रैल, 2013।

संबंधित लेख