संकटमोचन मंदिर, वाराणसी: Difference between revisions
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'''संकटमोचन मंदिर''' [[वाराणसी]] में [[हनुमान]] जी का मंदिर है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण [[गोस्वामी तुलसीदास]] जी ने कराया था। लगभग 1608 ई. 1611 ई. के बीच संकटमोचन मंदिर को बनाया गया है। मान्यता है कि तुलसीदास जी ने [[रामचरितमानस]] का कुछ अंश संकटमोचन मंदिर के पास विशाल [[पीपल]] के पेड़े के नीचे बैठकर लिखा था। [[चैत्र]] [[महीने]] के [[शुक्ल पक्ष]] की [[पूर्णिमा]] को यहां [[हनुमान जयन्ती|हनुमान जयंती]] धूम-धाम से मनायी जाती है। इस दौरान मंदिर में बड़े स्तर पर संगीत कार्यक्रम आयोजित होता है। जिसमें देश के ख्यातिलब्ध गायक अपना गायन और संगीत प्रस्तुत करते हैं। हर [[मंगलवार]] और [[शनिवार]] को मंदिर में अन्य दिनों की अपेक्षा श्रद्धालुओं की खूब भीड़ जुटती है। मंदिर परिसर में | '''संकटमोचन मंदिर''' [[वाराणसी]] में [[हनुमान]] जी का मंदिर है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण [[गोस्वामी तुलसीदास]] जी ने कराया था। लगभग 1608 ई. 1611 ई. के बीच संकटमोचन मंदिर को बनाया गया है। मान्यता है कि तुलसीदास जी ने [[रामचरितमानस]] का कुछ अंश संकटमोचन मंदिर के पास विशाल [[पीपल]] के पेड़े के नीचे बैठकर लिखा था। [[चैत्र]] [[महीने]] के [[शुक्ल पक्ष]] की [[पूर्णिमा]] को यहां [[हनुमान जयन्ती|हनुमान जयंती]] धूम-धाम से मनायी जाती है। इस दौरान मंदिर में बड़े स्तर पर संगीत कार्यक्रम आयोजित होता है। जिसमें देश के ख्यातिलब्ध गायक अपना गायन और संगीत प्रस्तुत करते हैं। हर [[मंगलवार]] और [[शनिवार]] को मंदिर में अन्य दिनों की अपेक्षा श्रद्धालुओं की खूब भीड़ जुटती है। मंदिर परिसर में काफ़ी संख्या में [[बन्दर]] भी रहते हैं।<ref>{{cite web |url=http://www.kashikatha.com/%E0%A4%A6%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B6%E0%A4%A8%E0%A5%80%E0%A4%AF-%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%B2/%E0%A4%AE%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B0/ |title=मंदिर|accessmonthday=10 जनवरी |accessyear=2014 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=काशी कथा |language=हिंदी }}</ref> | ||
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[[चित्र:Sankat-Mochan-Temple-varanasi.jpg|thumb|संकटमोचन मंदिर, वाराणसी]] संकटमोचन मंदिर वाराणसी में हनुमान जी का मंदिर है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण गोस्वामी तुलसीदास जी ने कराया था। लगभग 1608 ई. 1611 ई. के बीच संकटमोचन मंदिर को बनाया गया है। मान्यता है कि तुलसीदास जी ने रामचरितमानस का कुछ अंश संकटमोचन मंदिर के पास विशाल पीपल के पेड़े के नीचे बैठकर लिखा था। चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को यहां हनुमान जयंती धूम-धाम से मनायी जाती है। इस दौरान मंदिर में बड़े स्तर पर संगीत कार्यक्रम आयोजित होता है। जिसमें देश के ख्यातिलब्ध गायक अपना गायन और संगीत प्रस्तुत करते हैं। हर मंगलवार और शनिवार को मंदिर में अन्य दिनों की अपेक्षा श्रद्धालुओं की खूब भीड़ जुटती है। मंदिर परिसर में काफ़ी संख्या में बन्दर भी रहते हैं।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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