महाकाच्यायन: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replacement - "सन्न्यासी" to "संन्यासी")
 
(13 intermediate revisions by 5 users not shown)
Line 1: Line 1:
==महाकश्यप / महाकाच्चयन / Mahakashyap / Mahakachyayn==
'''महाकाच्यायन''' अथवा 'महाकश्यप' भगवान [[बुद्ध]] के प्रमुख छात्रों में से एक थे। इन्हें 'माहाकाश्यप', 'महाकास्यप' आदि नामों से भी जाना जाता है। भगवान बुद्ध की मृत्यु के बाद बौद्ध संघ की जो [[बौद्ध संगीति प्रथम|पहली संगीति]] आयोजित की गई थी, उसके सभापति के रूप में महाकश्यप को ही चुना गया था। उन्हें [[बौद्ध धर्म]] की जैन शाखा का पहला प्रधान भी माना जाता है।
महाकश्यप [[बुद्ध]] के प्रमुख छात्रों में से एक थे । भगवान बुद्ध की मृत्यु के बाद [[बौद्ध]] संघ की पहली सभा के लिए सभापति के रूप में महाकश्यप को चुना गया । उन्हे बौद्ध धर्म के जेन (Zen) शाखा का पहला प्रधान भी माना जाता है । वे बुद्ध के एकमात्र ऐसे छात्र थे जिनके साथ भगवान बुद्ध ने वस्त्रों का आदान-प्रदान किया था । बुद्ध ने बहुत बार महाकश्यप कि बड़ाई भी की थी और महाकश्यप को अपने बराबर का दर्जा दिया था । महाकश्यप कपिल नाम के ब्राह्मण और उन्की पत्नी सुमनदेवी के पुत्र के रूप में मगध में पैदा हुए वे काफी धन दौलत सुख सुविधाओं के बीच बड़े हुए । उनके चाहते हुए भी उनका विवाह कर दिया गया अपने माता पिता कि मृत्यु के बाद कुछ समय तक उन्होंने अपनी पत्नी के साथ अपने माता पिता के धन दौलत को सम्भाला, लेकिन कुछ समय बाद उन दोनों ने सन्यासी बनने का फैसला कर लिया । वे दोनों बुद्ध के अनुयायी बन गये ।
*महाकश्यप का जन्म [[मगध]] के महातीर्थ नामक ब्राह्मण ग्राम के [[ब्राह्मण]] [[परिवार]] में हुआ था। यह धूतवादियों में अग्रणी था। यह बुद्ध की मृत्यु के पश्चात् राजगृह की [[सप्तपर्णि गुहा]] में होने वाली बौद्ध संगति का सभापति बना था।<ref>{{cite book | last = | first =चंद्रमौली मणि त्रिपाठी  | title =दीक्षा की भारतीय परम्पराएँ  | edition = | publisher = | location =भारत डिस्कवरी पुस्तकालय | language =हिंदी  | pages =88  | chapter =}}</ref>
 
*महाकाच्यायन बुद्ध के एकमात्र ऐसे छात्र थे, जिनके साथ भगवान बुद्ध ने वस्त्रों का आदान-प्रदान किया था।
 
*बुद्ध ने बहुत बार महाकश्यप की बड़ाई भी की थी और महाकश्यप को अपने बराबर का दर्जा दिया।
 
*महाकश्यप 'कपिल' नाम के [[ब्राह्मण]] और उनकी पत्नी 'सुमनदेवी' के पुत्र के रूप में [[मगध]] में पैदा हुए थे। वे काफ़ी धन दौलत और सुख-सुविधाओं के बीच बड़े हुए थे।
*विवाह की इच्छा होते हुए भी महाकश्यप का [[विवाह]] कर दिया गया था।
*अपने [[माता]]-[[पिता]] कि मृत्यु के बाद कुछ समय तक महाकश्यप ने अपनी पत्नी के साथ अपने माता-पिता की धन-दौलत को सम्भाला, लेकिन कुछ समय बाद उन दोनों ने संन्यासी बनने का फ़ैसला कर लिया, और दोनों [[बुद्ध]] के अनुयायी बन गये।


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
==संबंधित लेख==
{{बौद्ध धर्म}}{{बुद्ध के शिष्य}}
[[Category:बौद्ध_धर्म]] [[Category:गौतम बुद्ध]]
[[Category:बौद्ध_धर्म_कोश]][[Category:बौद्ध काल]]
__INDEX__
__INDEX__
[[Category:बौद्ध_धर्म]]
__NOTOC__

Latest revision as of 11:44, 3 August 2017

महाकाच्यायन अथवा 'महाकश्यप' भगवान बुद्ध के प्रमुख छात्रों में से एक थे। इन्हें 'माहाकाश्यप', 'महाकास्यप' आदि नामों से भी जाना जाता है। भगवान बुद्ध की मृत्यु के बाद बौद्ध संघ की जो पहली संगीति आयोजित की गई थी, उसके सभापति के रूप में महाकश्यप को ही चुना गया था। उन्हें बौद्ध धर्म की जैन शाखा का पहला प्रधान भी माना जाता है।

  • महाकश्यप का जन्म मगध के महातीर्थ नामक ब्राह्मण ग्राम के ब्राह्मण परिवार में हुआ था। यह धूतवादियों में अग्रणी था। यह बुद्ध की मृत्यु के पश्चात् राजगृह की सप्तपर्णि गुहा में होने वाली बौद्ध संगति का सभापति बना था।[1]
  • महाकाच्यायन बुद्ध के एकमात्र ऐसे छात्र थे, जिनके साथ भगवान बुद्ध ने वस्त्रों का आदान-प्रदान किया था।
  • बुद्ध ने बहुत बार महाकश्यप की बड़ाई भी की थी और महाकश्यप को अपने बराबर का दर्जा दिया।
  • महाकश्यप 'कपिल' नाम के ब्राह्मण और उनकी पत्नी 'सुमनदेवी' के पुत्र के रूप में मगध में पैदा हुए थे। वे काफ़ी धन दौलत और सुख-सुविधाओं के बीच बड़े हुए थे।
  • विवाह की इच्छा न होते हुए भी महाकश्यप का विवाह कर दिया गया था।
  • अपने माता-पिता कि मृत्यु के बाद कुछ समय तक महाकश्यप ने अपनी पत्नी के साथ अपने माता-पिता की धन-दौलत को सम्भाला, लेकिन कुछ समय बाद उन दोनों ने संन्यासी बनने का फ़ैसला कर लिया, और दोनों बुद्ध के अनुयायी बन गये।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. दीक्षा की भारतीय परम्पराएँ (हिंदी), 88।

संबंधित लेख