ग़ौस मोहम्मद ख़ान: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
No edit summary |
||
(One intermediate revision by the same user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
[[चित्र:mohammadgaus.jpg|thumb|250px|lright|मुस्लिम संत मोहम्मद | [[चित्र:mohammadgaus.jpg|thumb|250px|lright|मुस्लिम संत ग़ौस मोहम्मद का मक़बरा, [[ग्वालियर]]]] | ||
'''ग़ौस मोहम्मद ख़ान''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Mohammad | '''ग़ौस मोहम्मद ख़ान''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Ghouse Mohammad Khan'') 16वीं शताब्दी के महान [[मुस्लिम]] संत थे। [[अकबर के नवरत्न|बादशाह अकबर के नवरत्नों]] में से एक [[तानसेन]] ग़ौस मोहम्मद के शिष्य थे। मुस्लिम गुरु और [[हिंदू]] शिष्य के अनूठे प्रेम का प्रतीक हजीरा स्थित ग़ौस मोहम्मद का मक़बरा दुनिया का एकमात्र ऐसा ऐतिहासिक स्मारक है, जहां देश-विदेश के गायक व संगीतकार मन्नत मांगने आते हैं। सूफ़ी संत ग़ौस मोहम्मद का मकबरा [[मुग़ल]] [[अकबर|बादशाह अकबर]] ने सन 1666 में बनवाया था। उनके शिष्य तानसेन का स्मारक भी यहीं बना है। यहां से हर साल 'तानसेन समारोह' की शुरुआत होती है। देश-विदेश के पर्यटक भी यहां सालभर आते रहते हैं। | ||
*ग़ौस मोहम्मद ख़ान की मृत्यु [[आगरा]] में हुई थी, लेकिन उन्हें दफन [[ग्वालियर]] में किया था।<ref name="pp">{{cite web |url= https://www.bhaskar.com/news/MP-GWA-HMU-MAT-latest-gwalior-news-024004-2412860-NOR.html|title=मोहम्मद गौस की मृत्यु आगरा में हुई थी, लेकिन उन्हें दफन ग्वालियर में किया था। |accessmonthday=24 सितंबर|accessyear=2021 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=bhaskar.com |language=हिंदी}}</ref> | |||
*उनका मकबरा मुग़ल शैली का है। इसमें परशियन, इस्लामिक व भारतीय तीनों तरह का स्थापत्य देखने को मिलता है। | |||
*मक़बरे में बलुआ पत्थरों का प्रयोग किया गया है। यह 200x200 वर्गफीट आकार का चौकोर भवन है। इसके मध्य भाग में एक विशाल कक्ष है, जिसके बीच में मोहम्मद गौस का मजार है। इस कक्ष के ऊपरी भाग में एक विशाल अर्ध गोलाकार गुम्बद बना हुआ है, जो कभी नीले रंग की टाइलों से ढका हुआ था। विशाल कक्ष के चारों ओर सुंदर पत्थर की जालियों से ढकी नक्काशीदार मेहराबें हैं। इसकी छत पर मुग़लकालीन चित्रकला की गई है। भवन के चारों कोनों पर तीन मंजिलें मेहराबों वाली मीनारें बनी हुई हैं। | |||
*ग़ौस मोहम्मद ख़ान ने [[बाबर]], [[हुमायूं]] व [[अकबर]] तीनों मुग़ल सम्राटों का कार्यकाल देखा था। चूंकि ये तीनों मुग़ल सम्राट इनके शिष्य थे, इस कारण दरबार में उन्हें उच्च स्थान प्रदान किया गया। | |||
*[[संगीत]] सम्राट [[तानसेन]] सबसे पहले [[शेरशाह सूरी]] के दरबार में गए, लेकिन वहां का माहौल अच्छा न देखकर [[रीवा]] नरेश रामचंद्र की शरण में चले गए। यहीं से [[अकबर]] तानसेन को अपने दरबार में जबरन ले गया। | |||
*ग़ौस मोहम्मद ख़ान के मक़बरे में लगी पत्थर की झिलमिली कभी [[ग्वालियर]] की पहचान हुआ करती थी, जो अब अपना लगभग अस्तित्व खो चुकी है। | |||
*गौस सूफियों के सत्तारी संप्रदाय के अनुयायी थे। [[इतिहासकार]] अजीज अहमद के अनुसार सत्तारी संप्रदाय के सूफी भारतीय योगियों की तरह [[फल]], पत्ती आदि पर रहते थे एवं योगियों के समान आध्यात्मिक व शारीरिक क्रिया ([[ध्यान]], धारणा व समाधि) करते थे। | |||
*तानसेन ने ग्वालियर नरेश महाराजा मानसिंह के संगीत विद्यालय में शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने [[स्वामी हरिदास]] से [[संगीत]] की शिक्षा ग्रहण की। संगीत में [[ध्रुपद]] की शुरुआत का श्रेय तानसेन को ही जाता है। इसके अलावा उन्होंने गूजरी तोड़ी, मियां मल्हार, मियां की सारंग जैसे कई रागों की शुरुआत की। | |||
*मोहम्मद गौस ने 'गुलजारे अबरार' नामक ग्रंथ की रचना की। तानसेन ने 'रागमाला', 'संगीतसार' व 'गणेश स्रोत' नामक ग्रंथों की रचना की थी। | |||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} |
Latest revision as of 07:05, 24 September 2022
[[चित्र:mohammadgaus.jpg|thumb|250px|lright|मुस्लिम संत ग़ौस मोहम्मद का मक़बरा, ग्वालियर]] ग़ौस मोहम्मद ख़ान (अंग्रेज़ी: Ghouse Mohammad Khan) 16वीं शताब्दी के महान मुस्लिम संत थे। बादशाह अकबर के नवरत्नों में से एक तानसेन ग़ौस मोहम्मद के शिष्य थे। मुस्लिम गुरु और हिंदू शिष्य के अनूठे प्रेम का प्रतीक हजीरा स्थित ग़ौस मोहम्मद का मक़बरा दुनिया का एकमात्र ऐसा ऐतिहासिक स्मारक है, जहां देश-विदेश के गायक व संगीतकार मन्नत मांगने आते हैं। सूफ़ी संत ग़ौस मोहम्मद का मकबरा मुग़ल बादशाह अकबर ने सन 1666 में बनवाया था। उनके शिष्य तानसेन का स्मारक भी यहीं बना है। यहां से हर साल 'तानसेन समारोह' की शुरुआत होती है। देश-विदेश के पर्यटक भी यहां सालभर आते रहते हैं।
- ग़ौस मोहम्मद ख़ान की मृत्यु आगरा में हुई थी, लेकिन उन्हें दफन ग्वालियर में किया था।[1]
- उनका मकबरा मुग़ल शैली का है। इसमें परशियन, इस्लामिक व भारतीय तीनों तरह का स्थापत्य देखने को मिलता है।
- मक़बरे में बलुआ पत्थरों का प्रयोग किया गया है। यह 200x200 वर्गफीट आकार का चौकोर भवन है। इसके मध्य भाग में एक विशाल कक्ष है, जिसके बीच में मोहम्मद गौस का मजार है। इस कक्ष के ऊपरी भाग में एक विशाल अर्ध गोलाकार गुम्बद बना हुआ है, जो कभी नीले रंग की टाइलों से ढका हुआ था। विशाल कक्ष के चारों ओर सुंदर पत्थर की जालियों से ढकी नक्काशीदार मेहराबें हैं। इसकी छत पर मुग़लकालीन चित्रकला की गई है। भवन के चारों कोनों पर तीन मंजिलें मेहराबों वाली मीनारें बनी हुई हैं।
- ग़ौस मोहम्मद ख़ान ने बाबर, हुमायूं व अकबर तीनों मुग़ल सम्राटों का कार्यकाल देखा था। चूंकि ये तीनों मुग़ल सम्राट इनके शिष्य थे, इस कारण दरबार में उन्हें उच्च स्थान प्रदान किया गया।
- संगीत सम्राट तानसेन सबसे पहले शेरशाह सूरी के दरबार में गए, लेकिन वहां का माहौल अच्छा न देखकर रीवा नरेश रामचंद्र की शरण में चले गए। यहीं से अकबर तानसेन को अपने दरबार में जबरन ले गया।
- ग़ौस मोहम्मद ख़ान के मक़बरे में लगी पत्थर की झिलमिली कभी ग्वालियर की पहचान हुआ करती थी, जो अब अपना लगभग अस्तित्व खो चुकी है।
- गौस सूफियों के सत्तारी संप्रदाय के अनुयायी थे। इतिहासकार अजीज अहमद के अनुसार सत्तारी संप्रदाय के सूफी भारतीय योगियों की तरह फल, पत्ती आदि पर रहते थे एवं योगियों के समान आध्यात्मिक व शारीरिक क्रिया (ध्यान, धारणा व समाधि) करते थे।
- तानसेन ने ग्वालियर नरेश महाराजा मानसिंह के संगीत विद्यालय में शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने स्वामी हरिदास से संगीत की शिक्षा ग्रहण की। संगीत में ध्रुपद की शुरुआत का श्रेय तानसेन को ही जाता है। इसके अलावा उन्होंने गूजरी तोड़ी, मियां मल्हार, मियां की सारंग जैसे कई रागों की शुरुआत की।
- मोहम्मद गौस ने 'गुलजारे अबरार' नामक ग्रंथ की रचना की। तानसेन ने 'रागमाला', 'संगीतसार' व 'गणेश स्रोत' नामक ग्रंथों की रचना की थी।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ मोहम्मद गौस की मृत्यु आगरा में हुई थी, लेकिन उन्हें दफन ग्वालियर में किया था। (हिंदी) bhaskar.com। अभिगमन तिथि: 24 सितंबर, 2021।
संबंधित लेख