श्रृंगवेरपुर: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "<references/>" to "<references/> *पुस्तक- ऐतिहासिक स्थानावली, लेखक-विजयेन्द्र कुमार माथुर, प्रकाशन- राजस्थान ग्)
m (Text replace - "<references/> *पुस्तक- ऐतिहासिक स्थानावली, लेखक-विजयेन्द्र कुमार माथुर, प्रकाशन- राजस्थान ग्रंथ अका)
Line 27: Line 27:
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
*पुस्तक- ऐतिहासिक स्थानावली, लेखक-विजयेन्द्र कुमार माथुर, प्रकाशन- राजस्थान ग्रंथ अकादमी जयपुर
*ऐतिहासिक स्थानावली | विजयेन्द्र कुमार माथुर |  वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार


==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==

Revision as of 07:13, 16 June 2013

[[चित्र:Shringverpur.jpg|thumb|श्रृंगवेरपुर, इलाहाबाद]] इलाहाबाद से 22 मील (लगभग 35.2 कि.मी.) उत्तर-पश्चिम की ओर स्थित 'सिंगरौर' नामक स्थान ही प्राचीन समय में श्रृंगवेरपुर नाम से परिज्ञात था। रामायण में इस नगर का उल्लेख आता है। यह नगर गंगा घाटी के तट पर स्थित था। महाभारत में इसे 'तीर्थस्थल' कहा गया है।

इतिहास

डॉ.बी.बी. लाल के निर्देशन में इस स्थल का उत्खनन कार्य किया गया है। इनका सहयोग के. एन. दीक्षित ने किया। यहाँ 1977-1978 ई. के बीच टीले का उत्खनन करवाकर महत्त्वपूर्ण संस्कृतियों का उद्घाटन किया गया। श्रृंगवेरपुर टीले के उत्खनन से विभिन्न संस्कृतियों का पता चलता है।

विभिन्न संस्कृतियाँ

पहली संस्कृति गैरिक मृद्भाण्ड संस्कृति है जिसका समय 1050 ई.पू. से 1000 ई.पू. आँका गया है। इसमें गेरुए रंग के मिट्टी के टुकड़े मिले हैं, जिनका प्रसार सम्पूर्ण गंगाघाटी में दिखाई देता है। सरकण्डों की छाप लगे हुए तथा जले हुए मिट्टी के टुकड़े भी हैं जिससे सूचित होता है कि इस काल के लोग बाँस-बल्ली की सहायता से अपने आवास के लिए झोपड़ियों का निर्माण करते थे।

निर्धारण काल

द्वितीय संस्कृति का काल निर्धारण 950 ई.पू. से 700 ई.पू. किया गया है। इस संस्कृति के प्रमुख पात्र काले-लाल, धूसर आदि हैं।

ताम्रनिर्मित

तीसरी संस्कृति उत्तरी काले मार्जित मृद्भाण्ड (एन.बी.पी.) से सम्बन्धित है। इन मृद्भाण्डों के साथ-साथ इस स्तर से ताम्र निर्मित तीन बड़े कलश एवं अन्य सामग्री बहुतायत मात्रा में मिली हैं।

शुंग काल

चौथी संस्कृति शुंग काल से सम्बन्धित है। इस स्तर से एक आयताकार तालाब के प्रमाण उल्लेखनीय है। यह पक्की ईंटों से निर्मित था। उत्तर की ओर से जल के प्रवेश और दक्षिण की ओर से उसके निकास के लिए नाली बनाई गई थी। इसमें पेयजल की सफाई का विशेष प्रबन्ध किया गया था। भारत के किसी पुरास्थल से उत्खनित यह सबसे बड़ा तालाब हैं। इस काल में नगरीकरण अपने उत्कर्ष पर था।

प्राचीन अवशेष

पांचवी संस्कृति का सम्बन्ध गुप्त युग से है। इस काल के गुप्तकालीन मिट्टी की मूर्तियाँ तथा गहरे लाल रंग के मृद्भाण्ड मिले हैं। इस युग में नगर के ह्रास के प्रमाण मिले हैं।

आभूषण व मुद्राएँ

छठे सांस्कृतिक स्थल का सम्बन्ध कन्नौज गहड़वाल वंश से है। यहाँ से गहड़वाल नरेश गोविन्द चन्द्र की 13 रजत मुद्राएँ तथा मिट्टी में रखे हुए कुछ आभूषण मिले हैं। उस काल के पश्चात यह स्थल लम्बे समय तक गुमनाम रहा।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  • ऐतिहासिक स्थानावली | विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार

संबंधित लेख