गंडव्यूह: Difference between revisions
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Revision as of 13:38, 1 August 2017
गंडव्यूह बौद्ध महायान संप्रदाय का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। इसमें बोधिसत्व का गुणगान और उनकी उपासना की चर्चा है।
- इस ग्रंथ के संबंध में अनुश्रुति है कि एक दिन भगवान बुद्ध श्रावस्ती स्थित जेतवन में विहार कर रहे थे, तब उनके साथ सामंत भद्र, मंजुश्री आदि पाँच हज़ार बोधिसत्व थे। उन्होंने बुद्ध से ज्ञान प्रदान करने की प्रार्थना की। तब बुद्ध ने बोधिसत्व की उपासना के संबंध में बताया।[1]
- गंडव्यूह ग्रंथ में बोधिसत्व के लक्षण कहे गए हैं।
- बोधिसत्व प्राप्ति के निमित्त जो कुछ भी करणीय हैं, वह गंडव्यूह में बताया गया है।
- समस्त जीवों से प्रेम और करुणा करना, उनके दु:ख की निवृति के निमित्त प्रयत्न करना और जीवों को स्वर्ग मार्ग बताने के निमित्त उपदेश करना बोधिसत्व का कर्तव्य है।
- इस ग्रंथ के अंत में 'भद्रचारी प्रणिघात गाथा' नामक एक स्त्रोत्र है। उसमें महायान पंथ के तत्वज्ञान के निमित्त बुद्ध की स्तुति है।
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख