किसा गौतमी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replacement - "khoj.bharatdiscovery.org" to "bharatkhoj.org")
No edit summary
 
Line 8: Line 8:
*किसा गौतमी निराश होकर [[बुद्ध]] के पास लौट आई। तब बुद्ध ने किसा गौतमी को उपदेश दिया कि मृत्यु के दु:ख से सारा संसार पीड़ित है। जन्म-मृत्यु का चक्र निरंतर चलता रहता है। पुत्र का शोक भूलकर [[धर्म]] की शरण में लग जाओ।  
*किसा गौतमी निराश होकर [[बुद्ध]] के पास लौट आई। तब बुद्ध ने किसा गौतमी को उपदेश दिया कि मृत्यु के दु:ख से सारा संसार पीड़ित है। जन्म-मृत्यु का चक्र निरंतर चलता रहता है। पुत्र का शोक भूलकर [[धर्म]] की शरण में लग जाओ।  
*किसा गौतमी सांसारिक मोह त्यागकर भिक्षुणी हो गई और आध्यात्मिक विकास कर [[अर्हत]] पद प्राप्त किया।
*किसा गौतमी सांसारिक मोह त्यागकर भिक्षुणी हो गई और आध्यात्मिक विकास कर [[अर्हत]] पद प्राप्त किया।


{{seealso|गौतम बुद्ध|बौद्ध धर्म|बुद्ध की शिक्षा}}
{{seealso|गौतम बुद्ध|बौद्ध धर्म|बुद्ध की शिक्षा}}
Line 17: Line 21:
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{बौद्ध धर्म}}
{{बौद्ध धर्म}}
{{बौद्ध धर्म शब्दावली}}
[[Category:बौद्ध धर्म शब्दावली]]
[[Category:बौद्ध दर्शन]][[Category:गौतम बुद्ध]][[Category:बौद्ध धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]][[Category:बौद्ध काल]][[Category:चरित कोश]][[Category:हिन्दी विश्वकोश]]
[[Category:बौद्ध दर्शन]][[Category:गौतम बुद्ध]][[Category:बौद्ध धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]][[Category:बौद्ध काल]][[Category:चरित कोश]][[Category:हिन्दी विश्वकोश]]
__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 10:47, 10 April 2018

किसा गौतमी महात्मा बुद्ध की शिष्या थी। शरीर से कृश होने के कारण ही सब लोग उसे 'किसा गौतमी' के नाम से सम्बोधित करते थे।[1]

  • कहा जाता है कि किसा गौतमी के एक ही पुत्र था, जिसे बाग़ में खेलते समय साँप ने डँस लिया।
  • जब किसा गौतमी अपने मृत पुत्र के शव को लेकर शोकाकुल भटक रही थी, तब किसी ने उससे कह दिया कि बुद्ध के पास जाओ, वह तुम्हारे पुत्र को जीवित कर देंगें।
  • किसा गौतमी ने पुत्र के शव को ले जाकर बुद्ध के चरणों में डाल दिया और जीवित कर देने की प्रार्थना की।
  • उसकी प्रार्थना सुनकर बुद्ध ने कहा- "ठीक है, तुम किसी ऐसे घर से एक मुट्ठी अन्न ले आओ, जिसके यहाँ कभी कोई मरा न हो। यदि तुम ऐसा कर सकीं तो मैं तुम्हारे पुत्र को जीवित कर दूँगा।"
  • दिन भर नगर में भटकती रहने के बाद भी किसा गौतमी को कोई भी ऐसा घर नहीं मिला, जहाँ कभी कोई मरा न हो।
  • किसा गौतमी निराश होकर बुद्ध के पास लौट आई। तब बुद्ध ने किसा गौतमी को उपदेश दिया कि मृत्यु के दु:ख से सारा संसार पीड़ित है। जन्म-मृत्यु का चक्र निरंतर चलता रहता है। पुत्र का शोक भूलकर धर्म की शरण में लग जाओ।
  • किसा गौतमी सांसारिक मोह त्यागकर भिक्षुणी हो गई और आध्यात्मिक विकास कर अर्हत पद प्राप्त किया।



  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. किसा गौतमी (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 09 फ़रवरी, 2014।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

बौद्ध धर्म शब्दावली

सुजीता सुमंत दर्शी विशाख विमल कीर्ति वज्राचार्य वज्रवाराही वज्र भैरव वज्रगर्भ वज्रकालिका महाप्रजापति मंडपदायिका भद्राकपिला ब्रह्मदत्ता पृथु भैरव पूर्ण मैत्रायणी पुत्र पूर्ण काश्यप पटाचारा नलक नदीकृकंठ नंदा (बौद्ध) धर्म दिन्ना धमेख द्रोणोबन देवदत्त दशबल दंतपुर थेरीगाथा त्रिरत्न त्रियान त्रिमुखी तनुभूमि ज्वलनांत जलगर्भ छंदक चातुर्महाराजिक चलासन चरणाद्री चक्रांतर चक्रसंवर गोपा खेमा खसर्प खदूरवासिनी क्रकुच्छंद केयुरबल कृष्ण (बुद्ध) कुशीनार कुलिशासन कुक्कुटपाद कुकुत्संद कुंभ (बौद्ध) किसा गौतमी काय आश्रव अंबपाली अव्याकृत धर्म अकुशलधर्म उत्पाद