भरतपुर: Difference between revisions
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'''भरतपुर''' पूर्वी [[राजस्थान]] राज्य, पश्चिमोत्तर [[भारत]] का एक महत्त्वपूर्ण ज़िला है। यह [[आगरा]] से 55 किमी. पश्चिम में स्थित है। लगभग 1733 में स्थापित यह शहर कभी भूतपूर्व भरतपुर रियासत की राजधानी था। भरतपुर शहर की बात की जाए तो इसकी स्थापना ' | '''भरतपुर''' पूर्वी [[राजस्थान]] राज्य, पश्चिमोत्तर [[भारत]] का एक महत्त्वपूर्ण ज़िला है। यह [[आगरा]] से 55 किमी. पश्चिम में स्थित है। लगभग 1733 में स्थापित यह शहर कभी भूतपूर्व भरतपुर रियासत की राजधानी था। भरतपुर शहर की बात की जाए तो इसकी स्थापना '[[ठाकुर चूड़ामन सिंह]]' (चूणामणि) [[जाट]] ने की थी, लेकिन बाद में शासक राजा [[सूरजमल]] ने इसे सजाया और सँवारा। यह अपने समय में जाटों का गढ़ हुआ करता था। यहाँ के मंदिर, महल व क़िले जाटों के कला कौशल की गवाही देते हैं। राष्ट्रीय उद्यान के अलावा भी देखने के लिए यहाँ अनेक जगह हैं । इसका नामकरण [[राम]] के भाई [[भरत]] के नाम पर किया गया है । [[लक्ष्मण]] इस राजपरिवार के कुलदेव माने गये हैं। इसके पूर्व यह जगह सोगरिया जाट सरदार रुस्तम के अधिकार में था जिसको महाराजा सूरजमल ने जीता और 1733 में भरतपुर नगर की नींव डाली। | ||
==इतिहास== | ==इतिहास== | ||
भरतपुर भूतपूर्व जाट-रियासत का मुख्य नगर है, जिसकी स्थापना चूणामणि जाट ने 1700 ई. के लगभग की थी। इमादउस-सयादत के लेखक के अनुसार चूरामन (चूणामणि) ने जो अपने प्रारम्भिक जीवन में लूटमार किया करता था, भरतपुर की नींव एक सुदृढ़ गढ़ी के रूप में डाली थी। यह स्थान आगरा से मात्र 48 कोस पर स्थित था। गढ़ी के चारों ओर एक गहरी परिखा थी। धीरे-धीरे चूरामन ने इसको एक मोटी व मज़बूत मिट्टी की दीवार से घेर लिया। गढ़ी के अन्दर ही वह अपना लूट का माल लाकर जमा कर देता था। आसपास के कुछ गाँवों में उसने कुछ चर्मकारों को यहाँ लाकर बसाया और गढ़ी की रक्षा का भार उन्हें सौंप दिया। जब उसके सैनिकों की संख्या लगभग चौदह हज़ार हो गई तो चूरामन एक विश्वस्त सरदार को गढ़ी का अधिकार देकर लूटमार करने के लिए कोटा-बूँदि की ओर चला गया। | भरतपुर भूतपूर्व जाट-रियासत का मुख्य नगर है, जिसकी स्थापना चूणामणि जाट ने 1700 ई. के लगभग की थी। इमादउस-सयादत के लेखक के अनुसार चूरामन (चूणामणि) ने जो अपने प्रारम्भिक जीवन में लूटमार किया करता था, भरतपुर की नींव एक सुदृढ़ गढ़ी के रूप में डाली थी। यह स्थान आगरा से मात्र 48 कोस पर स्थित था। गढ़ी के चारों ओर एक गहरी परिखा थी। धीरे-धीरे चूरामन ने इसको एक मोटी व मज़बूत मिट्टी की दीवार से घेर लिया। गढ़ी के अन्दर ही वह अपना लूट का माल लाकर जमा कर देता था। आसपास के कुछ गाँवों में उसने कुछ चर्मकारों को यहाँ लाकर बसाया और गढ़ी की रक्षा का भार उन्हें सौंप दिया। जब उसके सैनिकों की संख्या लगभग चौदह हज़ार हो गई तो चूरामन एक विश्वस्त सरदार को गढ़ी का अधिकार देकर लूटमार करने के लिए कोटा-बूँदि की ओर चला गया। | ||
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भरतपुर की शोभा बढ़ाने तथा राजधानी को सुंदर तथा शानदार महलों से अलंकृत करने का कार्य राजा [[सूरजमल]] जाट ने किया, जो भरतपुर का सर्वश्रेष्ठ शासक था। 1803 ई. में लॉर्ड लेक ने भरतपुर के क़िले का घेरा डाला। इस समय भरतपुर तथा परिवर्ती प्रदेश में आगरे तक राजा [[जवाहर सिंह]] का राज्य था। क़िले की स्थूल मिट्टी की दीवारों को तोप के गोलों से टूटता न देखकर लेक ने इसकी नींव में बारूद भरकर इन्हें उड़ा दिया। इस युद्ध के पश्चात भरतपुर की रियासत [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आ गई। | भरतपुर की शोभा बढ़ाने तथा राजधानी को सुंदर तथा शानदार महलों से अलंकृत करने का कार्य राजा [[सूरजमल]] जाट ने किया, जो भरतपुर का सर्वश्रेष्ठ शासक था। 1803 ई. में लॉर्ड लेक ने भरतपुर के क़िले का घेरा डाला। इस समय भरतपुर तथा परिवर्ती प्रदेश में आगरे तक राजा [[जवाहर सिंह]] का राज्य था। क़िले की स्थूल मिट्टी की दीवारों को तोप के गोलों से टूटता न देखकर लेक ने इसकी नींव में बारूद भरकर इन्हें उड़ा दिया। इस युद्ध के पश्चात भरतपुर की रियासत [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आ गई। | ||
==पर्यटन== | ==पर्यटन== | ||
भरतपुर [[राजस्थान]] का एक प्रमुख शहर होने के साथ-साथ देश का सबसे प्रसिद्ध पक्षी उद्यान भी है । 29 वर्ग किलोमीटर में फैला यह उद्यान पक्षी प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है । विश्व धरोहर सूची में शामिल यह स्थान प्रवासी पक्षियों का भी बसेरा है । यहाँ आने वाले हर पर्यटन के आकर्षण का केंद्र पक्षी उद्यान ही रहता है। सर्दियों के मौसम में यहाँ प्रवासी पक्षियों को देखा जा सकता है। विलक्षण पक्षी देखना चाहते हैं, तो [[अक्तूबर]] और [[अप्रैल]] में यहाँ आएँ। [[हरियाणा]] में 'सुल्तान पक्षी उद्यान' और [[उत्तराखंड]] में '[[जिम कोर्बेट राष्ट्रीय उद्यान|जिम कॉर्बेट नेशलन पार्क]]' भी पक्षी प्रेमियों के लिए अच्छे ठिकाने हैं। यहाँ 150 विभिन्न प्रजातियों के पक्षी देख सकते हैं। जिनमें भारतीय [[मैना]] से लेकर बुलबुल तक शामिल हैं। | |||
भरतपुर [[राजस्थान]] का एक प्रमुख शहर होने के साथ-साथ देश का सबसे प्रसिद्ध पक्षी उद्यान भी है । 29 वर्ग किलोमीटर में फैला यह उद्यान पक्षी प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है । विश्व धरोहर सूची में शामिल यह स्थान प्रवासी पक्षियों का भी बसेरा है । यहाँ आने वाले हर पर्यटन के आकर्षण का केंद्र पक्षी उद्यान ही रहता है। सर्दियों के मौसम में यहाँ प्रवासी पक्षियों को देखा जा सकता है। विलक्षण पक्षी देखना चाहते हैं तो [[अक्तूबर]] और [[अप्रैल]] में यहाँ | |||
शहर के बाहरी इलाक़े में स्थित [[केवलादेव घाना राष्ट्रीय उद्यान]], पर्यटकों के सर्वाधिक आकर्षण का केन्द्र है, जो मुर्ग़ाबियों के विशाल जमावड़ों, सारस पक्षियों के आवासीय घोंसलों, बगुलों, बुज्जा पक्षियों, हेरन, बानकर और जलकौवों के लिए विश्वविख्यात है। यह पक्षी उद्यान [[भारत]] का एकमात्र ऐसा स्थान है, जिसे प्रवासी 'साइबेरियाई सारस' की शरणस्थली के रूप में जाना जाता है। | शहर के बाहरी इलाक़े में स्थित [[केवलादेव घाना राष्ट्रीय उद्यान]], पर्यटकों के सर्वाधिक आकर्षण का केन्द्र है, जो मुर्ग़ाबियों के विशाल जमावड़ों, सारस पक्षियों के आवासीय घोंसलों, बगुलों, बुज्जा पक्षियों, हेरन, बानकर और जलकौवों के लिए विश्वविख्यात है। यह पक्षी उद्यान [[भारत]] का एकमात्र ऐसा स्थान है, जिसे प्रवासी 'साइबेरियाई सारस' की शरणस्थली के रूप में जाना जाता है। |
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[[चित्र:Starling.jpg|thumb|250px|मैना, केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, भरतपुर
Starling, Keoladeo National Park, Bharatpur]]
भरतपुर पूर्वी राजस्थान राज्य, पश्चिमोत्तर भारत का एक महत्त्वपूर्ण ज़िला है। यह आगरा से 55 किमी. पश्चिम में स्थित है। लगभग 1733 में स्थापित यह शहर कभी भूतपूर्व भरतपुर रियासत की राजधानी था। भरतपुर शहर की बात की जाए तो इसकी स्थापना 'ठाकुर चूड़ामन सिंह' (चूणामणि) जाट ने की थी, लेकिन बाद में शासक राजा सूरजमल ने इसे सजाया और सँवारा। यह अपने समय में जाटों का गढ़ हुआ करता था। यहाँ के मंदिर, महल व क़िले जाटों के कला कौशल की गवाही देते हैं। राष्ट्रीय उद्यान के अलावा भी देखने के लिए यहाँ अनेक जगह हैं । इसका नामकरण राम के भाई भरत के नाम पर किया गया है । लक्ष्मण इस राजपरिवार के कुलदेव माने गये हैं। इसके पूर्व यह जगह सोगरिया जाट सरदार रुस्तम के अधिकार में था जिसको महाराजा सूरजमल ने जीता और 1733 में भरतपुर नगर की नींव डाली।
इतिहास
भरतपुर भूतपूर्व जाट-रियासत का मुख्य नगर है, जिसकी स्थापना चूणामणि जाट ने 1700 ई. के लगभग की थी। इमादउस-सयादत के लेखक के अनुसार चूरामन (चूणामणि) ने जो अपने प्रारम्भिक जीवन में लूटमार किया करता था, भरतपुर की नींव एक सुदृढ़ गढ़ी के रूप में डाली थी। यह स्थान आगरा से मात्र 48 कोस पर स्थित था। गढ़ी के चारों ओर एक गहरी परिखा थी। धीरे-धीरे चूरामन ने इसको एक मोटी व मज़बूत मिट्टी की दीवार से घेर लिया। गढ़ी के अन्दर ही वह अपना लूट का माल लाकर जमा कर देता था। आसपास के कुछ गाँवों में उसने कुछ चर्मकारों को यहाँ लाकर बसाया और गढ़ी की रक्षा का भार उन्हें सौंप दिया। जब उसके सैनिकों की संख्या लगभग चौदह हज़ार हो गई तो चूरामन एक विश्वस्त सरदार को गढ़ी का अधिकार देकर लूटमार करने के लिए कोटा-बूँदि की ओर चला गया।
जाट-रियासत
भरतपुर की शोभा बढ़ाने तथा राजधानी को सुंदर तथा शानदार महलों से अलंकृत करने का कार्य राजा सूरजमल जाट ने किया, जो भरतपुर का सर्वश्रेष्ठ शासक था। 1803 ई. में लॉर्ड लेक ने भरतपुर के क़िले का घेरा डाला। इस समय भरतपुर तथा परिवर्ती प्रदेश में आगरे तक राजा जवाहर सिंह का राज्य था। क़िले की स्थूल मिट्टी की दीवारों को तोप के गोलों से टूटता न देखकर लेक ने इसकी नींव में बारूद भरकर इन्हें उड़ा दिया। इस युद्ध के पश्चात भरतपुर की रियासत अंग्रेज़ों के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आ गई।
पर्यटन
भरतपुर राजस्थान का एक प्रमुख शहर होने के साथ-साथ देश का सबसे प्रसिद्ध पक्षी उद्यान भी है । 29 वर्ग किलोमीटर में फैला यह उद्यान पक्षी प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है । विश्व धरोहर सूची में शामिल यह स्थान प्रवासी पक्षियों का भी बसेरा है । यहाँ आने वाले हर पर्यटन के आकर्षण का केंद्र पक्षी उद्यान ही रहता है। सर्दियों के मौसम में यहाँ प्रवासी पक्षियों को देखा जा सकता है। विलक्षण पक्षी देखना चाहते हैं, तो अक्तूबर और अप्रैल में यहाँ आएँ। हरियाणा में 'सुल्तान पक्षी उद्यान' और उत्तराखंड में 'जिम कॉर्बेट नेशलन पार्क' भी पक्षी प्रेमियों के लिए अच्छे ठिकाने हैं। यहाँ 150 विभिन्न प्रजातियों के पक्षी देख सकते हैं। जिनमें भारतीय मैना से लेकर बुलबुल तक शामिल हैं।
शहर के बाहरी इलाक़े में स्थित केवलादेव घाना राष्ट्रीय उद्यान, पर्यटकों के सर्वाधिक आकर्षण का केन्द्र है, जो मुर्ग़ाबियों के विशाल जमावड़ों, सारस पक्षियों के आवासीय घोंसलों, बगुलों, बुज्जा पक्षियों, हेरन, बानकर और जलकौवों के लिए विश्वविख्यात है। यह पक्षी उद्यान भारत का एकमात्र ऐसा स्थान है, जिसे प्रवासी 'साइबेरियाई सारस' की शरणस्थली के रूप में जाना जाता है।
संचार एवं व्यवसाय
एक संचार केन्द्र के तौर पर सड़क व रेल मार्ग से जयपुर, आगरा और मथुरा से जुड़ा भरतपुर महत्वपूर्ण औद्योगिक और कृषि व्यवसाय केन्द्र भी है। इसके प्रमुख उद्योगों में तेल-मिलें, धातु निर्माण कारख़ाने, रेलवे कार्यशालाएँ और मोटरगाड़ी बनाने के कारख़ाने शामिल हैं। भरतपुर के हाथीदाँत, चाँदी या चन्दन की लकड़ी के हत्थे वाले हाथ से बने चंवर प्रसिद्ध हैं। इस शहर में कई अस्पताल और राजस्थान विश्वविद्यालय से सम्बद्ध महाविद्यालय हैं।
कृषि
भरतपुर उत्तर और दक्षिण में विलग पहाड़ी क्षेत्र में एक विस्तृत जलोढ़ मैदान में स्थित है। बाजरा, चना, जौ, गेंहूँ और तिलहन यहाँ की प्रमुख फ़सलें हैं।
जनसंख्या
भरतपुर का अधिकांश क्षेत्र 18वीं सदी में स्थापित भूतपूर्व रियासत का है। 1949 में यह राजस्थान राज्य का अंग बन गया। इसकी जनसंख्या (2001 के अनुसार) नगर पालिका क्षेत्र 2,04,456 तथा ज़िला कुल 20,98,323 है ।
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