उपालि: Difference between revisions

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Latest revision as of 13:44, 21 March 2014

उपालि बहुत ही धनी व्यक्ति था। वह गौतम बुद्ध के ही समकालीन एक अन्य धार्मिक गुरु निगंथा नाथपुत्ता का शिष्य था। अपने गुरु के कहने पर ही उपालि ने बुद्ध को बहस के लिए चुनौती दी थी। बुद्ध के उपदेशों से प्रभावित होने पर उपालि बुद्ध से स्वयं को अपना शिष्य बना लेने की प्रार्थना करने लगा। बुद्ध ने उसे एक साधारण अनुयायी के रूप में स्वीकार किया।

विलक्षण वक्ता

उपालि के गुरु निगंथा नाथपुत्ता के उपदेश बुद्ध से अलग प्रकार के थे। उपालि बहुत ही विलक्षण वक्ता था और वाद-विवाद में भी बहुत ही कुशल था। उसके गुरु ने उसे एक दिन कहा कि वह कर्म के कार्य-कारण सिद्धांत पर बुद्ध को बहस की चुनौती दे। एक लंबे और जटिल बहस के बाद बुद्ध उपालि का संदेह दूर करने में सफल रहे और उपालि को बुद्ध से सहमत होना पड़ा कि उसके धार्मिक गुरु के विचार गलत हैं।

बुद्ध से प्रभावित

उपालि बुद्ध के उपदेशों से इतना प्रभावित हो गया कि उसने बुद्ध को तत्काल उसे अपना शिष्य बना लेने का अनुरोध किया। लेकिन उसे आश्चर्य हुआ, जब बुद्ध ने उसे यह सलाह दी- "प्रिय उपालि, तुम एक ख्याति प्राप्त व्यक्ति हो। पहले तुम आश्वस्त हो जाओ कि तुम अपना धर्म केवल इसलिए नहीं बदल रहे हो कि तुम मुझसे प्रसन्न हो या तुम केवल भावुक होकर यह फैसला कर रहे हो। खुले दिमाग से मेरे समस्त उपदेशों पर फिर से विचार करो और तभी मेरा अनुयायी बनो।"[1]

चिंतन की स्वतंत्रता की भावना से ओत-प्रोत बुद्ध के इस विचार को सुनकर उपालि और भी प्रसन्न हो गया। उसने कहा- “प्रभु, यह आश्चर्य की बात है कि आपने मुझे पुनर्विचार करने के लिए कहा। कोई अन्य गुरु तो मुझे बेहिचक मुझे अपना शिष्य बना लेता। इतना ही नहीं वह तो धूम-धाम से सड़कों पर जुलूस निकाल कर इसका प्रचार करता कि देखो इस करोड़पति ने अपना धर्म त्याग कर मेरा धर्म अपना लिया है। अब तो मैं और भी आश्वस्त हो गया। कृपया मुझे अपना अनुयायी स्वीकार करें।”

बुद्ध की सलाह

बुद्ध ने उपालि को अपने साधारण अनुयायी के रूप में स्वीकार तो कर लिया, लेकिन उसे यह सलाह दी- “प्रिय उपालि, हालाँकि तुम अब मेरे अनुयायी बन चुके हो, लेकिन तुम्हें अब भी सहिष्णुता और करुणा का परिचय देना चाहिए। अपने पुराने गुरु को भी दान देना जारी रखो, क्योंकि वह अभी भी तुम्हारी सहायता पर आश्रित हैं।”


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कथा (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 01 नवम्बर, 2013।

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