सुजाता: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''सुजाता''' भगवान बुद्ध के समकालीन [[उरुवेला|उर...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
Line 13: Line 13:
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{मौर्य काल}}{{अशोक}}
{{बौद्ध धर्म}}
[[Category:गौतम बुद्ध]][[Category:प्राचीन भारत का इतिहास]][[Category:चरित कोश]][[Category:बौद्ध धर्म कोश]][[Category:इतिहास कोश]]
[[Category:गौतम बुद्ध]][[Category:प्राचीन भारत का इतिहास]][[Category:चरित कोश]][[Category:बौद्ध धर्म कोश]][[Category:इतिहास कोश]]
__INDEX__
__INDEX__

Revision as of 12:25, 4 June 2014

सुजाता भगवान बुद्ध के समकालीन उरुवेला प्रदेश के सेनानी ग्राम में रहने वाली स्त्री, जिसने बुद्ध को खीर खिलाई थी। इसकी दासी का नाम पूर्णा था, जिसने बुद्ध को एक बरगद के वृक्ष के नीचे बैठे देखा था।

  • सम्बोधि-प्राप्ति के पूर्व बुद्धों का किसी न किसी महिला के हाथों खीर का ग्रहण करना कोई अनहोनी घटना नहीं रही। उदाहरणार्थ, विपस्सी बुद्ध ने सुदस्सन-सेट्ठी पुत्री से, सिखी बुद्ध ने पियदस्सी-सेट्ठी-पुत्री से, वेस्सयू बुद्ध ने सिखिद्धना से, ककुसंघ बुद्ध ने वजिरिन्धा से, कोमागमन बुद्ध ने अग्गिसोमा से, कस्सप बुद्ध अपनी पटनी सुनन्दा से तथा गौतम बुद्ध ने सुजाता से खीर ग्रहण किया था।
  • पाँच तपस्वी साथियों के साथ वर्षों कठिन तपस्या करने के बाद गौतम बुद्ध ने चरम तप का मार्ग निर्वाण प्राप्ति के लिए अनिवार्य नहीं माना। तत: उन तपस्वियों से अलग हो वे जब अजपाल निग्रोध वृक्ष के नीचे बैठे तो उनमें मानवी संवेदनाओं के अनुरूप मानवीय आहार ग्रहण करने की इच्छा उत्पन्न हुई, जिसे सुजाता नाम की महिला ने खीर अपंण कर पूरा किया।[1]
  • उस वृक्ष के नीचे एक बार उसवेला के निकटवर्ती सेनानी नाम के गाँव के एक गृहस्थ की पुत्री सुजाता ने प्रतिज्ञा की थी के पुत्र-रत्न प्रप्ति के बाद वह उस वृक्ष के देव को खीर-अर्पण करेगी। जब पुत्र-प्राप्ति की उसकी अभिलाषा पूर्ण हुई, तब उसने अपनी दासी पूर्णा[2] को उस वृक्ष के पास की जगह साफ करने को भेजा, जहाँ उसे खीरार्पण करना था।
  • जगह साफ करते समय पूर्णा ने जब गौतम बुद्ध को उस पेड़ के नीचे बैठे देखा तो उन्हें ही उस पेड़ का देवता समझ भागती हुई अपनी स्वामिनी को बुलाने गयी।
  • देव की उपस्थिति के समाचार से प्रसन्न सुजाता भी तत्काल वहाँ पहुँची और सोने की कटोरी में बुद्ध को खीर अर्पण किया।
  • बुद्ध ने उस कटोरी को ग्रहण कर पहले सुप्पतित्थ नदी में स्नान किया। तत्पश्चात उन्होंने उस खीर का सेवन कर अपने 49 दिनों का उपवास तोड़ा।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सुजाता (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 04 जून, 2014।
  2. कहीं-कहीं इस दासी का नाम 'पुनाना' भी मिलता है।

संबंधित लेख