कांचनगिरि
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 12:56, 21 November 2013 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs) (''''कांचनगिरि''' विदेह के उत्तर कुरु व देवकुरु में सी...' के साथ नया पन्ना बनाया)
कांचनगिरि विदेह के उत्तर कुरु व देवकुरु में सीता व सीतोदा नदी के दोनों तटों पर पचास-पचास अथवा नदी के भीतर स्थित दस-दस द्रहों के दोनों ओर पाँच-पाँच करके, कंचन वर्ण वाले कूटाकार सौ-सौ पर्वत हैं। अर्थात् देवकुरु व उत्तर कुरु में पृथक-पृथक सौ-सौ हैं।[1]
- यह पर्वत वानर यूथपति केसरी का निवास स्थान था, जो श्रीराम के भक्त हनुमान के पिता थे।
- लंका पर विजय प्राप्त करके जब श्रीराम पुष्पक विमान द्वारा किष्किंधा से अयोध्या जा रहे थे, तब विमान कांचनगिरि की ओर चल पड़ा और कांचनगिरी पर्वत पर उतरा। श्रीराम स्वयं सबके साथ माँ अंजना के दर्शन के लिए गये थे।[2]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ कांचन गिरि (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 21 नवम्बर, 2013।
- ↑ अंजनी पुत्र हनुमान (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 21 नवम्बर, 2013।
संबंधित लेख
|
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज