सुआ

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 14:07, 2 January 2015 by गोविन्द राम (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

thumb|तोता पारम्परिक भारतीय संस्कृत - हिन्दी साहित्य में प्रेमी प्रेमिका के बीच संदेश लाने ले जाने वाले संदेश्वाहक का कार्य 'शुक' करता रहा है। मानवों की बोलियों की हूबहू नक़ल उतारने के गुण होने के कारण और सदियों से घरों में पाले जाने के साथ ही कन्याओं का विशेष प्रिय होने के कारण शुक (सुआ) नारियों का प्रिय रहा है। है। मनुष्य की बोली की नक़ल उतारने में सिद्धहस्त इस पक्षी को साक्षी मानकर उसे अपने दिल का हाल बताने और संदेश भेज कर वियोगिनी यह संतोष करती है कि उसका संदेश उसके प्रेमी तक पहुँच गया है। कालांतर में सुआ के माध्यम से नारियों के मन के भाव और संदेश लोकगीतों में गाये जाने लगे

  1. REDIRECTसाँचा:मुख्य


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

  1. REDIRECT साँचा:जीव जन्तु


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः