बन्ना: Difference between revisions

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<blockquote>"सुनेरी लचकदार बना मेरा किनने सजाया। जी। बाबा सजाया जी दादी सजाया जी, दादी का ता दार। बना मेरा किनने सजाया जी।"</blockquote>
<blockquote>"सुनेरी लचकदार बना मेरा किनने सजाया। जी। बाबा सजाया जी दादी सजाया जी, दादी का ता दार। बना मेरा किनने सजाया जी।"</blockquote>


*इसमें बना नाम का एक एक मात्रिक [[छन्द]] भी बताया जाता है। इसमें 10, 8 और 14 के विराम से 32 मात्राएँ होती हैं।
*इसमें 'बना' नाम का एक मात्रिक [[छन्द]] भी बताया जाता है। इसमें 10, 8 और 14 के विराम से 32 मात्राएँ होती हैं।


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बन्ना लड़के विवाह के अवसर पर गाये जाने वाले लोकगीत को कहते हैं। इस लोकप्रिय लोकगीत कू 'बना' या 'बरना' भी कहा जाता है। 'बन्ना' का शाब्दिक अर्थ वर या दूल्हा होता है। इस अर्थ के अनुरूप इस गीत में वर के रूप-गुण एवं सौन्दर्य आदि का विशद वर्णन किया जाता है।[1]

  • यह गीत उत्तर प्रदेश के पूर्वी तथा पश्चिमी ज़िलों में विशेष रूप से प्रचलित है। स्थान-भेद के अनुसार इसकी भाषा तथा शैली में भिन्नता पायी जाती है।
  • विवाह की लग्न पड़ जाने के बाद और खासतौर से बारात की निकासी से पहले स्त्रियाँ इस गीत को ढोलक पर गाती हैं।
  • यह गीत मुसलमानों के यहाँ भी निकाह के अवसर पर बड़े सुन्दर ढंग से गाया जाता है। इसमें उर्दू तथा फ़ारसी शब्दों के प्रयोग अधिक मात्रा में मिखते हैं।
  • राहुल सांकृत्यायन द्वार सम्पादित "आदि हिन्दी की कहानियाँ और गीतें" नामक संग्रह से एक 'बन्ना' गीत का आंशिक उदाहरण इस प्रकार है-

"सुनेरी लचकदार बना मेरा किनने सजाया। जी। बाबा सजाया जी दादी सजाया जी, दादी का ता दार। बना मेरा किनने सजाया जी।"

  • इसमें 'बना' नाम का एक मात्रिक छन्द भी बताया जाता है। इसमें 10, 8 और 14 के विराम से 32 मात्राएँ होती हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी साहित्य कोश, भाग 1 |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |संपादन: डॉ. धीरेंद्र वर्मा |पृष्ठ संख्या: 427 |

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