रामग्राम: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
(''''रामग्राम''' अथवा 'रामगाम' महात्मा बुद्ध से सम्बन्धित...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replacement - "पश्चात " to "पश्चात् ") |
||
(One intermediate revision by the same user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
'''रामग्राम''' अथवा 'रामगाम' महात्मा बुद्ध से सम्बन्धित एक ऐतिहासिक स्थान है। [[बौद्ध साहित्य]] के अनुसार [[बुद्ध]] के परिनिर्वाण के | '''रामग्राम''' अथवा 'रामगाम' महात्मा बुद्ध से सम्बन्धित एक ऐतिहासिक स्थान है। [[बौद्ध साहित्य]] के अनुसार [[बुद्ध]] के परिनिर्वाण के पश्चात् अनेक शरीर की भस्म के एक भाग के ऊपर एक महास्तूप 'रामगाम' या 'रामपुर'<ref>'[[बुद्धचरित]]', 28, 66</ref> नामक स्थान पर बनवाया गया था। | ||
*'[[बुद्धचरित]]' के उल्लेख से ज्ञात होता है कि [[रामपुर]] में स्थित आठवां मूल [[स्तूप]] उस समय विश्वस्त नागों द्वारा रक्षित था। इसीलिए [[अशोक]] ने उस स्तूप की धातुएं अन्य सात स्तूपों की भांति ग्रहण नहीं की थीं। | *'[[बुद्धचरित]]' के उल्लेख से ज्ञात होता है कि [[रामपुर]] में स्थित आठवां मूल [[स्तूप]] उस समय विश्वस्त नागों द्वारा रक्षित था। इसीलिए [[अशोक]] ने उस स्तूप की धातुएं अन्य सात स्तूपों की भांति ग्रहण नहीं की थीं। |
Latest revision as of 07:32, 7 November 2017
रामग्राम अथवा 'रामगाम' महात्मा बुद्ध से सम्बन्धित एक ऐतिहासिक स्थान है। बौद्ध साहित्य के अनुसार बुद्ध के परिनिर्वाण के पश्चात् अनेक शरीर की भस्म के एक भाग के ऊपर एक महास्तूप 'रामगाम' या 'रामपुर'[1] नामक स्थान पर बनवाया गया था।
- 'बुद्धचरित' के उल्लेख से ज्ञात होता है कि रामपुर में स्थित आठवां मूल स्तूप उस समय विश्वस्त नागों द्वारा रक्षित था। इसीलिए अशोक ने उस स्तूप की धातुएं अन्य सात स्तूपों की भांति ग्रहण नहीं की थीं।
- रामग्राम कोलिय क्षत्रियों का प्रमुख नगर था। यह कपिलवस्तु से पूर्व की ओर स्थित था।
- कुणाल जातक के भूमिका-भाग से सूचित होता है कि 'रोहिणी' या राप्ती नदी कपिलवस्तु और रामग्राम जनपदों के बीच की सीमा रेखा बनाती थी। इस नदी पर एक ही बांध द्वारा दानों जनपदों को सिंचाई के लिए जल प्राप्त होता था।[2]
- रामग्राम की ठीक-ठीक स्थिति का सूचक कोई स्थान शायद इस समय नहीं है, किंतु यह निश्चित है कि कपिलवस्तु[3] के पूर्व की और यह स्थान रहा होगा।
- चीनी यात्री युवानच्वांग, जिसने भारत का पर्यटन 630-645 ई. में किया था, अपने यात्रा क्रम में रामगाम कभी आया था।
|
|
|
|
|